बैतूल / इन दिनों देशभर में किसान आंदोलन और कृषि कानून की चर्चा जोरो पर है | केंद्र सरकार का मानना है कि नए कृषि कानूनों के तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग लागू होने से किसानों की आय बढ़ेगी | उनकी ज्यादातर समस्याएं खत्म हो जाएंगी | केंद्र की इस दलील के साथ ही मध्य प्रदेश के बैतूल में जो मामला सामने आया है, उससे मौजूदा कृषि कानून के दावों पर सवाल खड़ा होता है | दरअसल बैतूल के हजारो किसानों ने 2018 में मुनगा या सहजन, अंग्रेजी नाम ड्रमस्टिक की खेती करने के लिए एक कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट किया था | इस कंपनी ने करार करने के बावजूद किसानों को धोखा दे दिया | अब यह कंपनी गायब हो चुकी है | किसानो का इस कंपनी से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है | उधर कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट करने वाले हजारो किसान पुलिस में मामला दर्ज करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं |
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मामला बैतूल जिले के ग्राम भैसदेही से सटे लगभग आधा सैकड़ा गांव का है | किसानों के मुताबिक राज्य के हॉर्टिकल्चरल डिपार्टमेंट ने यूडब्ल्यूईजीओ एग्री सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के बारे में किसानों को बताया था | इसके बाद किसानों ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए करार किया |
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ड्रमस्टिक फार्मिंग के लिए राज्य के हार्टिकल्चरल विभाग की सिफारिशों के आधार पर किसानों ने सितंबर 2018 में कंपनी के साथ हुए अनुबंध पर पौधारोपण किया | अनुबंध के तहत इन किसानों ने पौधारोपण के लिए 20,000 रुपये प्रति एकड़ का भुगतान किया | ज्यादातर किसानों ने दो एकड़ जमीन का रजिस्ट्रेशन कर 40,000 रुपये जमा किए थे | किसानों को इस दौरान कंपनी ने पौधे और तकनीकी जानकारी दी |
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कंपनी ने उपज खरीदने का आश्वासन भी दिया था | बताया जाता है कि कुछ किसानों को ही इस दौरान पौधे मिल पाए |लेकिन कई किसानों को रजिस्ट्रेशन फ़ीस चुकाने के बाद भी पौधे नहीं मिले | इन किसानों ने 17 सितंबर, 2019 को जिला कलेक्टर के यहां शिकायत की थी | लेकिन शिकायत के बाद भी कुछ नहीं हुआ |
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बैतूल जिले के इन गांव में ऐसे पीड़ित किसानों की संख्या करीब 200 से ज्यादा है | जो इंसाफ के लिए भटक रहे है | उधर जिन किसानों ने मुनगा की खेती के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था, उन्हें ऐसे पौधे मिले जो जल्दी ही सूख गए थे | पीड़ित किसानों की दलील है कि अब फसल की “खरीद का सवाल ही नहीं उठा क्योंकि ज्यादातर किसानों को पौधे ही नहीं और जिन्हे मिले वो भी सूख गए |
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किसानों के मुताबिक बवाल मचाने के बाद, बैतूल जिला प्रशासन ने कृषि विभाग से जांच कराने के लिए कहा लेकिन इस जांच का कुछ भी नतीजा नहीं निकला | उधर न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर केपी भगत ने कहा कि हम जांच कर रहे हैं, अभी तक हमें 97 किसानों की सूची मिली है | उनके मुताबिक कंपनी को नोटिस भेजा गया है | उधर राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों को आश्वासन दिया है कि जल्द ही कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी |