
रायपुर :- पर्यावरण चैंपियन पुरस्कार 2025: सुनीता चंसोरिया भारतीय वन्य जीव संस्था राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन एवं भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से प्रायोजित यह पुरस्कार विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारतीय वन्य जीवन संस्थान देहरादून में विशेष समारोह में दिया गया यह सम्मान पर्यावरण संरक्षण में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए प्रदान किया गया यह पुरस्कार पांच कैटेगरी में से चैंपियन इंस्टीट्यूशन फॉर नेचर समग्र उत्कृष्ट श्रेणी में प्रदान किया गया इस पुरस्कार के लिए महाविद्यालय श्रेणी में दुर्गा महाविद्यालय का चयन किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अनूप नौटियाल एवं विशिष्ट अतिथि चिपको आंदोलन की अंतिम जीवित कड़ी सुदेश देवी रही कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ संगीता अंगों म वैज्ञानिक प्रशिक्षण एवं समन्वयक वन्य जीव संस्था एवं एनएमसीजी मैं अपने वक्तव्य में चैंपियंस अवार्ड की पूरी जानकारी दी एवं सभी अतिथियों का कार्यक्रम में आने के लिए आभार व्यक्त किया विशिष्ट अतिथि सुदेश देवी ने अपने संघर्ष शील जीवन को बड़े ही सरल तरीकों से रेखांकित किया उन्होंने बताया कि वह उसे जमाने की चौथी पास है जब लड़कियों को घर से नहीं निकलने दिया जाता था एवं शिक्षा से वंचित रखा जाता था आज के समय का जो सर्कुलर इकोनामी का मॉडल को उन्होंने बड़े सरल तरीके से समझाया उसे जमाने में यह प्रचलन में भी नहीं था उसे जमाने में पेड़ों को राखी बांधकर यह माना जाता था कि यह पेड़ ही हमारी रक्षा करेंगे जंगल से घास और घास से चार जानवरों के लिए वहीं से गोबर और फिर खेती खेती से अनाज हमारा भरण पोषण इसलिए पेड़ों को न काटने के लिए वह चिपको आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा पर जब जेल से आई तो उन्होंने यह बात बताई कि वहां पर हम लोग बड़े शांति से रहते थे वहां में कोई काम नहीं करना पड़ता था और बदले में हमें रोटी दाल सब्जी मिलती थी और हमें भजन सीखने को भी मिला पर जब हम जेल से बाहर आए तो हमें गांव वालों ने गांव से दूर रखा एवं समाज से हमें दूर रखा गया कि यह महिलाएं जेल में रहकर आई है इसलिए इनके साथ नहीं उठना बैठना सुदेश देवी आज भी लड़कियों की शिक्षा के लिए कार्य कर रही हैं मुख्य अतिथि के रूप में अनूप नौटियाल ने कहा कि यह उत्तराखंड राज्य का गठन हुए भी 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं इसलिए हमें इस राज्य के लिए विकास कैसे हो विकास के नीतियां क्या हो कैसे परिवर्तन हो विकास और पर्यावरण के बीच कैसे संतुलन बन क्योंकि पिछले 8 वर्षों में अगर पर्यावरण दिवस की थीम प्लास्टिक को लेकर रखी गई है इसका मतलब यह है की समस्या सिर्फ प्लास्टिक नहीं है समस्या सिंगल युस प्लास्टिक है क्योंकि वैश्विक स्तर पर अगर हम देखें तो 60 से 65 किलो प्रति व्यक्ति प्लास्टिक का उपयोग प्रतिवर्ष करता है कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से से 15 लोगों को सम्मानित किया गया आभार प्रदर्शन डॉक्टर सोफिल मलिक ने कियाकार्यक्रम में हेमलता मैडम जोशी मैडम डॉ सोफिल मलिक एवं वन्य जीव संस्थान की पूरी टीम वन्य जीव संस्थान नमामि गंगे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अधिकारी एवं सहयोगी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे