
प्रयागराज: प्रयागराज जल निगम के इंजीनियर पुष्कर गोयल पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वे बीते हफ्तेभर से हैरान-परेशान हैं। दरअसल, उनका कल्लू शहर में कही खो गया है ? इसकी खोजबीन में पुष्कर गोयल ने दिन-रात किया हुआ है। वे कभी गंगा घाट में तो कभी ऑफिस के इर्द-गिर्द तो कभी शहर के गली कूचों की खाक छान रहे है। उनके दफ्तर में भी मायूसी छाई है। जल निगम में अपना काम काज निपटाने के बाद कल्लू की खोजबीन में गोयल साहब भटक रहे है। उन्होंने दस हजार रुपये इनाम देने की घोषणा तक कर दी है। उन्होंने प्रयागराज शहर भर में 130 स्थानों पर कल्लू की तस्वीरों वाले पोस्टर चस्पा कराए हैं।

अब फतेहपुर कार्यालय से छुट्टी लेकर कल्लू को ढूंढने में 24X7 जुटे लगे हैं। बताते है कि इंजीनियर पुष्कर अव्वल दर्जे के पशु प्रेमी है। उनका कल्लू के साथ करीब का नाता था। जानकार तस्दीक करते है कि इंजिनियर साहब का देशी कुत्ता कल्लू एक दिन बंदरों से जा भिड़ा था। बन्दर भी कम बदमाश नहीं निकले। उन्होंने पहले कल्लू की जमकर पिटाई की, फिर उसे कई जगह ऐसा काटा कि कल्लू दोबारा इंजीनियर साहब के ठिकाने पर नजर नहीं आया। घटना के बाद से पीड़ित गोयल साहब काफी व्यथित है। उन्होंने कल्लू को ढूंढने वाले को 10 हज़ार का इनाम देने का ऐलान किया है।

कल्लू और इंजीनियर गोयल की दोस्ती लगभग 3 वर्ष पुरानी बताई जाती है। उस समय वे झूंसी के कटका कार्यालय में कार्यरत थे। इस दफ्तर में आने जाने के दौरान कल्लू अक्सर कार्यालय गेट पर पुष्कर गोयल के स्वागत में खड़ा रहता था। उन्हें देख कर खुश होता था, फिर गोयल साहब ने उसे खाना खिलाना शुरू किया। दिनों-दिन उनकी मित्रता गाढ़ी होते चले गई। दोस्ती ऐसी रंग लाई कि इंजीनियर साहब रोजाना घर में बना खाना लेकर आने लगे, वे बड़े चाव के साथ कल्लू को खाना खिलाते।

हफ्तेभर से ज्यादा दिन हो गए, इंजीनियर साहब कल्लू के ठिकाने पर रोजाना खाना लेकर पहुँच रहे है। लेकिन दूर-दूर तक कल्लू नहीं दिख रहा है। अलबत्ता स्थानीय लोग तस्दीक करते है कि बंदरों से बेवजह लड़ने भिड़ने के चलते उसका बुरा हाल हो गया है, बंदरों ने उसका पैर बुरी तरह से काट डाला है, कुल्लू जख्मी हो गया है। यह भी बताया जाता है कि एक दिन घायल अवस्था में कल्लू जल निगम के दफ्तर के पीछे सुस्ता रहा था। लोगों ने इसकी सूचना पुष्कर गोयल को दी थी। गोयल साहब ख़ुशी-ख़ुशी मौके पर पहुंचे और कल्लू को खाना खिलाया था। पुष्कर उसे इलाज के लिए म्योराबाद में रक्षा नामक एनजीओ चलाने वाली वंशिका मैडम के पास ले गए। उसका समुचित इलाज भी कराया था।

इसके बाद कटरा के पशु चिकित्सक डॉ.एके सिंह से संपर्क कर कल्लू के पैर में चार इंच के गहरे घाव की ड्रेसिंग करवाई। चिकित्सक ने इंजेक्शन और पट्टी लगा कर कल्लू को ख़ुशी-ख़ुशी विदा किया। इधर कल्लू के मिल जाने से गदगद गोयल साहब उसे फिर एनजीओ के दफ्तर में देखभाल के लिए छोड़ गए। वे रोजाना उसका हालचाल ले ही रहे थे कि दो दिन बाद मौका मिलते ही कल्लू NGO के दफ्तर से भी भाग गया। अब कुल्लू प्रयागराज के किस इलाके में है ? इसे लेकर कयासों का दौर लगाया जा रहा है। बताते है कि कल्लू पर नजर रख रहे उत्पाती बन्दर NGO के दफ्तर के इर्द-गिर्द डेरा डाले हुए थे। इस बीच उन्हें देखकर कल्लू कहां गायब हो गया ? किसी को कुछ नहीं पता। फ़िलहाल, भूखे-प्यासे पुष्कर गोयल सरकारी कार्यालय से छुट्टी लेकर कल्लू की तलाश में मारे-मारे फिर रहे है।