महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी (BJP) नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने आज (गुरुवार को) शिवसेना (Shiv Sena) के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के सीएम के तौर पर एकनाथ शिंदे के नाम का ऐलान किया. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बीजेपी, एकनाथ शिंदे को समर्थन देगी. ऐसे में ये जान लीजिए कि आखिर एकनाथ शिंदे कौन हैं और कैसे वो अचानक महाराष्ट्र की राजनीति के इतने महत्वपूर्ण नेता बन गए.
कैसा रहा एकनाथ शिंदे का बचपन?
बता दें कि एकनाथ शिंदे का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था. शिंदे ने अपने बचपन में काफी गरीबी देखी. जब वो 16 साल के थे तो उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक सहायता के लिए ऑटो रिक्शा चलाना शुरू किया. बताया जाता है कि 1980 के दशक में वो बाल ठाकरे के विचारों से काफी प्रभावित हुए. इसके बाद शिंदे, शिवसेना में शामिल हो गए. एकनाथ शिंदे साल 2004 में पहली बार विधायक चुने गए. बाल ठाकरे के निधन के बाद शिवसेना के बड़े नेताओं में शिंदे को गिना जाने लगा. लेकिन पिछले दो साल में शिंदे की जगह उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को ज्यादा तवज्जो दी जाने लगी, इस बात से एकनाथ शिंदे नाराज हो गए.
शिंदे का राजनीतिक गुरु कौन है?
जान लें कि एकनाथ शिंदे को राजनीति में जाने की प्रेरणा तब के कद्दावर नेता आनंद दीघे से मिली. एकनाथ शिंदे पहले शिवसेना के शाखा प्रमुख बने और फिर बाद में वो ठाणे म्युनिसिपल के कॉर्पोरेटर बन गए. लेकिन एक दौर ऐसा भी आया जब वो निजी जीवन में बहुत दुखी हुए. उनका परिवार पूरी तरह बिखर गया था. 2 जून, 2000 को एकनाथ शिंदे के 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा का निधन हो गया था. शिंदे अपने बच्चों के साथ सतारा गए थे. बोटिंग के दौरान एक्सीडेंट हो गया था. बेटा-बेटी की मौत के बाद शिंदे ने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया था. इस बुरे दौर में शिंदे को आनंद दीघे ने सही राह दिखाई और राजनीति में बने रहने के लिए कहा.
एकनाथ शिंदे को मिली अपने गुरु की राजनीतिक विरासत
गौरतलब है कि 26 अगस्त 2001 को शिंदे के राजनीतिक गुरु आनंद दीघे का एक हादसे में निधन हो गया था. उनकी मौत को आज भी कई लोग हत्या मानते हैं. कहा जाता है कि दीघे के निधन से शिवसेना के लिए ठाणे में खालीपन आ गया था और पार्टी का वर्चस्व कम होने लगा था. फिर समय रहते शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को मौका दिया, उन्हें वहां की कमान सौंप दी. शिंदे शुरुआती दिनों से ही आनंद दीघे के साथ जुड़े हुए थे. ठाणे की जनता ने भी एकनाथ शिंदे पर भरोसा जताया और शिवसेना परचम लहरा.