रायपुर। रायपुर के बूढ़ा तलाब स्थित धरना प्रदर्शन स्थल में एक नौजवान अनशन पर बैठा है। पिछले 24 घंटों में उसकी सेहत पर वातावरण का विपरीत प्रभाव भी पड़ा है। भरी गर्मी और मक्खी मच्छरों के बीच सार्वजनिक स्थल में उसका अनशन फिर भी जारी है। उसके संकल्पों को ना तो धूप और खराब मौसम प्रभावित कर पाया है और ना ही उसके जोशों खरोशों में कोई कमी आई है। वो भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाने के लिए भूख- हड़ताल पर भी है। स्वास्थ्य में गिरावट के चलते डॉक्टरों ने उसका हाल चाल जाना है, जी हां हम बात कर रहे हैं नवगठित आजाद जनता पार्टी और उसके अध्यक्ष उज्जवल दीवान की। दीवान के धरने का दूसरा दिन गहमा गहमी भरा रहा। धरना प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं , वरिष्ठ नागरिकों और पत्रकारों ने उनकी पीठ थपथपाई। उज्जवल के इस प्रयास की सराहना भी की।
उधर उज्जवल ने महादेव ऐप घोटाले की चर्चा करते हुए बताया कि इस मामले में ED में नामजद आधा दर्जन से ज्यादा IPS और CGPS अधिकारियों से अभी तक PHQ स्तर पर जवाब तलब तक नही किया गया है, जबकि आरोपी अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही के लिए ED ने राज्य की बीजेपी सरकार को निर्देशित भी किया था। उन्होंने DGP अशोक जुनेजा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपनी कुर्सी बचाने के लिए पूरे 4 साल तक भ्रष्टाचार बर्दाश्त करते रहे। अब रिटायरमेंट को बमुश्किल 1 माह बचा है, इस अवधि में भी आरोपी अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही नही की गई है। पूरा मामला EOW के सिर मढ दिया गया है। ऐसे में DGP के पद का क्या ? आखिर क्यों संविदा कर्मी की तर्ज पर DGP को ढोया जा रहा है।
उज्जवल ने कहा कि IPS अधिकारियों पर लगाम कसने की जिम्मेदारी DGP पर होती है, वे ही अधिकारियों के चाल चलन पर नजर रखते हैं। प्रदेश की आपराधिक गतिविधियों का जायजा लेने के बाद ऑल इंडिया सर्विस कोड ऑफ कंडक्ट के तहत दागी अफसरों पर कार्यवाही की जाती है, लेकिन IPS अधिकारियों को इनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार का भरपूर मौका दिया गया। हमारे जवानों के लिए घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट इन्ही की अगुवाई में खरीदी गई थी। इसके लिए इन्होंने अनिल टुटेजा के साथ सांठ गांठ भी की थी। मकसद था इनकी कुर्सी सही सलामत बची रहे। नतीजतन शेख आरिफ और छाबड़ा जैसे दागी अफसरों को महादेव ऐप सट्टा बाजार के संरक्षण में झोंक दिया गया था। यह सट्टा कारोबार खुद तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल और उनके कारोबारी साथी संचालित कर रहे थे। छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारी भी इसमें शामिल होकर प्रतिमाह लाखों रूपए कमा रहे थे।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 बैच के ED मुंबई में पदस्थ एक IPS अधिकारी गोयल ने वर्ष 2005 बैच के छत्तीसगढ कैडर के IPS शेख आरिफ से सांठ गांठ कर महादेव ऐप घोटाले की जांच की दशा और दिशा ही बदल दी थी। नतीजतन घोटाले में लिप्त IPS अधिकारियों को बच निकलने का पर्याप्त मौका मिला। इस जांच में ED के तत्कालीन अधिकारियों ने गोयल के मौखिक निर्देश पर गंभीर लापरवाही बरती थी। उन्होंने दागी अधिकारियों के खिलाफ ना तो छापेमारी की और ना ही उनकी आय के श्रोतों का पता लगाया। यही नहीं पर्याप्त सबूत होने के बावजूद जांच में खामियां बरती गई।
उन्होंने बताया कि 2200 करोड़ के शराब घोटाले में भी ED के तत्कालीन अधिकारियों ने इसी तरह की कार्यप्रणाली का परिचय दिया था। नतीजतन तकनिकी त्रुटि के चलते सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार की भदद् पीट गई थी। आरोपी टुटेजा एंड कंपनी को फायदा मिला और ED की ECIR भी खारिज हो गई। इस मामले में भी अभी तक ED के उस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उन्होंने इस पूरे मामले को CBI को सौंपे जाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि शराब घोटाले की जांच को प्रभावित करने के लिए दागी IPS अधिकारी बड़े पैमाने पर लेनदेन भी कर रहे हैं। इसके चलते उनके खिलाफ EOW में नामजद के बजाए अज्ञात में प्रकरण दर्ज किया गया है। जबकि अन्य आरोपियों ने अपने बयानों में कई सबूतों के साथ IPS अधिकारियों को महादेव ऐप घोटाले के संरक्षण के लिए मोटी प्रोटेक्शन मनी मिलती थी।
उज्जवल दीवान ने कहा कि नामजद के बजाए अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर ED ने अभी तक कोई आपत्ति भी जाहिर नही की है। उन्होंने कहा कि EOW के तत्कालीन चीफ डीएम अवस्थी पर दबाव डालकर यह कमजोर F.I.R.दर्ज की गई थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जहां नामजद आरोपी बनाया गया वहीं दागी IPS अधिकारियों के खिलाफ अज्ञात में प्रकरण दर्ज किया गया, उन्होंने कहा कि यह महाभ्रष्टाचार है। EOW के तत्कालीन DG इस दौरान संविदा नियुक्ति पर तैनात थे। दागी IPS अधिकारियों ने इसका भरपूर लाभ उठाते हुए राज्य की बीजेपी सरकार के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। आरोपी अधिकारी अपने बचाव में राज्य सरकार को भी विवादों में घेर रहे हैं। कानूनी दांवपेचों के सहारे घोटाले से बच निकलने के तमाम रास्तों पर विष्णुदेव साय सरकार की साख दांव पर है। इसलिए राज्य सरकार को 6000 करोड़ के महादेव ऐप घोटाले की जांच CBI को सौंपनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपनी सभाओं में PM मोदी ने भी असली गुनाहगारों को जेल भेजने की घोषणा की थी। लेकिन दागी अफसरों ने पूरी जांच दूसरों के सिर मढ दी, ऐसे में छोटी मछलियां फंस गई और मगरमच्छों को भ्रष्टाचार का नया अवसर मिल गया। उज्जवल दीवान ने PSC घोटाले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संलिप्तता का जिक्र करते हुए कहा कि इससे हजारों नौजवानों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। उन्होंने विष्णुदेव साय सरकार से दागी IPS अधिकारियों के खिलाफ फौरी कार्यवाही की मांग की है। आजाद जनता पार्टी ने महादेव ऐप घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज भी पेश किए। उन्होंने बताया कि तमाम दस्तावेज राज्य सरकार की आलमारी में कैद हैं, फिर भी आरोपियों को बचाने की मुहिम जोरों पर है।