
रायपुर : – छत्तीसगढ़ में निर्वतमान मुख्य सचिव की बिदाई की बेला करीब है, अगले 24 घंटो के भीतर प्रदेश को नया मुख्य सचिव प्राप्त हो जायेगा। लेकिन मौजूदा मुख्य सचिव की कार्य प्रणाली एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल, भ्रष्टाचार के खिलाफ ”जीरो टॉलरेंस” नीति के पालन का पुख्ता दावा राज्य की विष्णुदेव साय सरकार द्वारा किया जा रहा है। लेकिन मुख्य सचिव खुद सरकार के इस दावे की हवा निकालने में जुटे बताये जाते है। उन्होंने एक बार फिर ED के उस रिपोर्ट कार्ड को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है, जिसमे जाँच एजेंसी ने आधा दर्जन से ज्यादा उन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की गुहार लगाई है, जिनकी 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में संलिप्तता सामने आई थी। एजेंसी ने ऐसे अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। यही नहीं आल इंडिया सर्विस के उन अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब भी किया गया था। सूत्रों द्वारा दावा किया जा रहा है कि ED के इतने महत्वपूर्ण निर्देशों को निर्वतमान मुख्य सचिव ने दरकिनार कर दिया है, उस पत्र को मंत्रालय की एक विशेष अलमारी में कैद कर दिया गया है।

प्रशासनिक मामलों के जानकारों के मुताबिक छत्तीसगढ़ शासन को ED की ओर से जारी इस पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उनके मुताबिक नए चीफ सेक्रेटरी को कार्यभार सौंपने से पूर्व प्रदेश के सबसे बड़े घोटालों में शुमार अधिकारियो को प्रशासनिक स्तर पर कड़ी कार्यवाही का संदेशा सुनिश्चित किया जाना चाहिए था। लेकिन इस वैधानिक कार्य से मुँह मोड़ते हुए एक बार फिर मौजूदा चीफ सेकेट्री ने पूरवर्ती भू – पे सरकार के प्रति अपनी निष्ठां जाहिर करते हुए प्रदेश बीजेपी इकाई को मुश्किल में डाल दिया है। विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एलान – ए – जंग शुरू किया था। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व वाली राज्य की बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जोर – शोर से शंखनाद कर रही है। ऐसे में मुख्य सचिव की बेरुखी से बीजेपी की मान – प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है, मामला राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में खूब सुर्खियां बटोर रहा है।

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार अभी भी एक गंभीर बीमारी के रूप में देखा जा रहा है। यह पहला मौंका नहीं है जब भू – पे राज के घोटालों की जाँच को लेकर बीजेपी शासनकाल में ED के दिशा निर्देशों और रिपोर्ट कार्ड की अवहेलना की गई है। इसके पूर्व भी वर्ष 2023 – 24 में मौजूदा मुख्य सचिव ने ED के अरमानों पर पानी फेर दिया था। उन्होंने ED के उस शिकायती पत्र को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया था, जिसमे आयकर छापों का ब्यौरा देते हुए पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और तत्कालीन सुपर सीएम और प्रमोटी आईएएस अनिल टुटेजा के खिलाफ छत्तीसगढ़ शासन स्तर पर वैधानिक कार्यवाही की गुहार लगाई गई थी। बता दें कि प्रवर्तन निर्देशालय ( ED ) सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग और आर्थिक अपराधों को लेकर ही आरोपियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही में जुटी है। प्रदेश में नौकरशाही के कुछ खास सरकारी सेवको ने आर्थिक अपराधों के अतिरिक्त भी कई ऐसे काले कारनामों को अंजाम दिया है, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के संगीन अपराधों की श्रेणी में शामिल है। इनमे कोल खनन परिवहन घोटाला एवं भ्रष्टाचार के अन्य प्रकरण भी शामिल बताये जाते है।

जानकारी के मुताबिक कोल खनन परिवहन घोटाले में ED ने आधा दर्जन से अधिक IAS-IPS अफसरों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए साय सरकार को पत्र लिखा है। करोडो के कोल लेवी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य सरकार को पत्र लिख कर लगभग 10 वरिष्ठ IAS-IPS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है, पत्र मुख्य सचिव के नाम जारी बताया जाता है। हालांकि मंत्रालय में यह पत्र प्राप्त हुए कई दिन गुजर चुके है, महीने भर से वैधानिक कार्यवाही की गुहार वाला यह पत्र धूल खा रहा है। सूत्र दावा कर रहे है कि पहले की तर्ज पर इस बार भी मुख्य सचिव ने घोटालेबाज अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही वाले पत्र को दरकिनार कर 30 सितम्बर को नए CS को कार्यभार सौंपने की तैयारी कर ली है।

जानकारों के मुताबिक मुख्य सचिव जैसे पद पर बने रहते इतने महत्वपूर्ण और गंभीर मामले पर कार्यवाही से जुड़े पत्र को आम जनता और शासन – प्रशासन की नजरो से छिपाये रखने की मुख्य सचिव की मंशा से सरकार की नीतियों पर भी सवालियां निशान लग रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए निर्वतमान मुख्य सचिव ने खुद के लिए नई कुर्सी कबाड़ने की कवायतें भी शुरू कर दी है। उनके उल्लेखनीय कार्यो से गदगद सरकार के एक प्रभावशील धड़े ने मौजूदा रिटायर मुख्य सचिव के पुनर्वास के लिए नए दरवाज़े और समीकरण भी खोल दिए गए है। इस धड़े के लिए अनुकूल साबित हुए रिटायर चीफ सेकेट्री के पुनर्वास के लिए विद्युत नियामक आयोग, रेरा, मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य ऐसे ही संवैधानिक संस्थाओं में चेयरमेन की कुर्सी सौंप कर उपकृत करने की चर्चा जोरो पर है।

कोल खनन परिवहन घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय लगातार कार्यवाही में जुटा है। उसकी जांच में सामने आया था कि 15 जुलाई 2020 को तत्कालीन खनिज निदेशक व निलंबित IAS समीर विश्नोई ने एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में ऑनलाइन कोल ट्रांसपोर्ट परमिट को ऑफलाइन मोड में बदल दिया गया था। इसके बाद कारोबारियों से 25 रुपये टन अवैध लेवी वसूलने का नया उपक्रम शुरू किया गया था। इस घोटाले का मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी को बताया जाता है। उसके अलावा 2010 बैंच के निलंबित IAS समीर विश्नोई और रानू साहू एवं पूर्व मुख्यमंत्री भू – पे बघेल की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा भी लूटमार में शामिल थे। बहरहाल, प्रभावशील आरोपियों के प्रशासनिक मुखिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ शंखनाद कर रही, बीजेपी के बीच रस्सा – कसी का दौर जारी है, देखना गौरतलब होगा कि जन भावनाओं के प्रति जागरूक साय सरकार क्या रुख इख़्तियार करती है।