छत्तीसगढ़ में मोदी गारंटी पर ग्रहण, महादेव ऐप मामले में ED की जांच रिपोर्ट रद्दी की टोकरी में, नामजद के बजाए अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज

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रायपुर। छत्तीसगढ़ कैडर के दागी IPS अफसर PM मोदी की गारंटी के खिलाफ एकजुट हो गए हैं, नतीजतन महादेव ऐप घोटाले में नामजद के बजाए अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज करने को लेकर प्रदेश में बवाल खड़ा हो गया है। मामला EOW बनाम ED का नजर आने लगा है। बताते हैं कि गंभीर जांच के बाद ED ने नामजद आरोपियों का ब्यौरा EOW को सौंपा था। लेकिन मूल तथ्यों की जांच किए बगैर ही EOW में अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने से ED की कार्यवाही सवालों के घेरे में है। दोनों ही जांच एजेंसियो में मतभेद भी दिखाई देने लगे हैं। सूत्र दावा कर रहे हैं कि नामजद FIR नही होने से ED की जांच रिपोर्ट विवादों में आ गई है। उनके मुताबिक मामला उच्चस्तरीय जांच के लिए CBI को सौंपा जाना चाहिए।

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऐलान वाकई मोदी गारंटी है, या फिर कोई चुनावी जुमला। इसे लेकर राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई है। मामला करीब 6000 करोड़ के महादेव ऐप बेटिंग घोटाले का है। पूर्ववर्ती भू-पे राज में सरकारी ठिकानों में भ्रष्टाचार और घोटालों की अचानक आई बाढ़ से पूरे प्रदेश का जन-जीवन प्रभावित हो गया था। आदिवासी हों या आम जनता, मजदूर हों या फिर कारोबारी और उद्योगपति, समाज का एक बड़ा वर्ग अवैध उगाही और भ्रष्टाचार से दो-चार हो रहा था। सरकार पर काबिज नुमाइंदे ही सिर्फ जन-धन लुटने के लिए ताक में लगे रहते,भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन गया था। ऐसे समय PM मोदी ने जनता को न्याय का भरोसा दिलाया था। उन्होंने मोदी गारंटी पेश की थी। लेकिन विधान सभा चुनाव के दौरान जनता को मुहैय्या कराई गई मोदी गारंटी पर ही अब सवाल खड़े होने लगे हैं।

हालिया विधान सभा चुनाव में भू-पे सरकार के काले कारनामों से निजात दिलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को ऐलान करना पड़ा था कि भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों को जेल भेजा जाएगा।PM मोदी ने विभिन्न जन सभाओं में खुला ऐलान किया था कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद महादेव ऐप घोटालेबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। खासतौर पर उन लोगों के खिलाफ जो भू-पे सरकार की गोद में बैठ कर महादेव ऐप सट्टा कारोबार को सरकारी संरक्षण प्रदान कर रहे थे। लेकिन लोकसभा चुनाव के पूर्व राज्य में मोदी गारंटी पर ही ग्रहण लगते नजर आ रहा है। राज्य में बीजेपी सरकार के सत्ता संभालने के तीसरे महिने में ही बड़ा उलट-फेर सामने आया है।अब ED के सख्त निर्देशों को दरकिनार कर राज्य के EOW ने महादेव ऐप घोटाले में कारोबारी, अफसरों और सटोरियों के खिलाफ नामजद FIR ना दर्ज करते हुए सिर्फ अज्ञात के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया है। राज्य सरकार के गृह मंत्रालय के इस फैसले से मोदी गारंटी पर उंगलियां उठने लगी हैं।

जानकारी के मुताबिक EOW ने महादेव ऐप सट्टा घोटाले में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर सबको चौंका दिया है। इससे पूर्व ED ने आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो को शिकायती पत्र भेज कर करीब 70 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे। सूत्रों के मुताबिक ED द्वारा जारी शिकायती पत्र में लगभग आधा दर्जन IPS अधिकारियों का काला चिट्ठा भी संलग्न किया गया था। बताते हैं कि सट्टा कारोबार को संरक्षण देने के लिए 2005 बैच के IPS अधिकारी शेख आरिफ,2001 बैच के आनंद छाबड़ा,2007 बैच के प्रशांत अग्रवाल,2004 बैच के अजय यादव समेत राज्य पुलिस सेवा के कई अधिकारियों को प्रति माह लाखों रुपए रिश्वत के रूप में दिए जाने के दस्तावेजी साक्ष्य EOW को सौंपे गए थे।इसमें ASP संजय ध्रुव समेत दर्जनों थानेदारों का नाम भी शामिल है।ED ने तमाम दागी अफसरो की कार्यप्रणाली पर चोट करते हुए छत्तीसगढ़ में पुलिस सिस्टम पर गंभीर टिप्पणियां भी की थी।

बताते हैं कि भ्रष्टाचार समेत IPC की दूसरी धाराओं के तहत तमाम दागियों के खिलाफ वैधानिक कदम उठाने का अनुरोध ED ने EOW से किया था। उसने नामजद FIR दर्ज करने हेतु पर्याप्त तथ्य और दस्तावेजी प्रमाण भी EOW को सौंपे थे। बावजूद इसके EOW ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। सूत्रों के मुताबिक कानून के कई सरकारी जानकारों ने भी EOW को नामजद FIR दर्ज करने की सलाह दी थी। उसे भी दरकिनार कर दिया गया,अब जानकारी सामने आ रही है कि EOW ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर ED के तथ्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

महादेव ऐप मामले में अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज होने से राजनैतिक गलियारा भी सक्रिय हो गया है। विपक्ष को बीजेपी पर हमला करने के लिए नया हथियार मिल गया है। यह भी बताया जाता है कि ED ने चंद्रभूषण वर्मा समेत 4 गवाहों से प्राप्त दस्तावेजी प्रमाणों और बयानों के आधार पर महादेव ऐप घोटाले की विभिन्न पहलुओं पर जांच की थी। इसके बाद उसने राज्य सरकार के हिस्से वाली वैधानिक कार्यवाही के लिए EOW को महत्त्वपूर्ण जानकारियां सौंपी थी।

सूत्र बताते हैं कि जांच के उपरांत लगभग 70 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज करने के लिए EOW को पर्याप्त आधार भी मुहैय्या कराए गए थे। बावजूद इसके अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई। सरकार के इस फैसले से एजेंसियां भी सख्ते में है। बताया जाता है कि महादेव ऐप सट्टा कारोबार के तार तत्कालीन मुख्यमंत्री भू-पे बघेल उनके पुत्र चैतन्य बघेल से भी जुड़े हैं। इसके अलावा भू-पे के करीबी रिश्तेदार विनोद वर्मा, निलंबित डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया, विजय भाटिया, दम्मानी बंधु और कई नामी गिरामी सटोरियों से तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय भी इसमें जुड़ा था।

ED ने तमाम संदेहियों और आरोपियों का नेटवर्क खंगालने के बाद कई ठिकानों पर छापेमारी की कार्यवाही को भी अंजाम दिया था। महादेव ऐप अंतर्राज्यीय घोटाले में अब तक 1764 करोड़ रुपए जब्त किए जा चुके हैं।ED की सतत जारी कार्यवाही के बीच रायपुर में EOW में अज्ञात के खिलाफ दर्ज FIR को लेकर खलबली है। उधर एक बयान में राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि किसी के बयानों के आधार पर कोई आरोप साबित नही होता, इसमें और जांच की जरूरत है, बयान भर से किसी को फांसी नही दी जा सकती।

गृहमंत्री ने EOW में दर्ज FIR के मामलों को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब इसी लहजे में देकर पत्रकारों को भी चौंका दिया है। गृहमंत्री के इस बयान की चर्चा राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में भी खूब हो रही है। प्रदेश में महादेव ऐप घोटाले की जांच के मामले में EOW में अज्ञात के खिलाफ दर्ज FIR को “मोदी गारंटी” पर लग रहे ग्रहण के रूप में जनता देख रही है।लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच रस्साकशी देखी जा सकती है।