रायपुर /बलरामपुर : ED ने विभिन्न जिलों के कलेक्टर दफ्तर में दबिश देने के बाद कोल घोटाले और DMF फंड के दुरुप्रयोग को लेकर दस्तावेजी प्रमाण जुटाने शुरू कर दिए है। उसकी ताजा कार्यवाही में बलरामपुर जिले के खनिज अधिकारी अवधेश बारीक़ को कब्जे में लिया गया है। अवधेश बारीक़ रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू और मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ सौम्या चौरसिया का खास ”पट्ठा” है।
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उसके बारे में बताया जाता है कि वो सौम्या चौरसिया के फरमानो को पालन करने के लिए कानून की किताब और माइनिंग एक्ट को रद्दी की टोकरी में डाल दिया करता था। सूत्र बताते है कि माइनिंग से होने वाली उगाही के लिए कारोबारियों को कायदे -कानूनों की आड़ में धमकाने -चमकाने की जवाबदारी अवधेश के कंधो पर थी। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी होने वाले उपसचिव सौम्या चौरसिया के उलटे -सीधे फरमान को अमलीजामा पहनाकर वो लोगो से अवैध वसूली किया करता था। फिर यह रकम रानू साहू और सौम्या के बताये ठिकानो पर सुनियोजित रूप से पहुंच जाया करती थी। सूत्रों के मुताबिक दोनों महिला अफसरों की कार्यप्रणाली के चलते ED उनसे भी लगातार पूछताछ कर रही है।
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उसने कवर्धा, बलरामपुर ,धमतरी, जगदलपुर ,दंतेवाड़ा समेत कुछ और जिलों में भी DMF फंड के घोटाले के दस्तावेज अपने कब्जे में लिए है। खनिज विभाग में ”माटी के मोल” आवंटित की जा रही खदानों की फाइलें ED की निगाहें में है। विवेचना के उपरांत ED की टीम सौम्या और रानू साहू के कारनामों की तस्दीक और वैधानिक कार्यवाही में जुटी है।
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उधर ED के चंगुल में फंसने से दोनों अधिकारियों की वजह से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी कांग्रेस सरकार की जनता के बीच जमकर फजीहत हो रही है। बावजूद इसके दागी अफसरों को संरक्षण और हकीकत बयां करने वाले पत्रकारों पर झूटी FIR दर्ज करने की बघेल सरकार की मुहिम चर्चा में है।
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लोगो को बखूबी समझ में आने लगा है कि कलेक्टर रायगढ़ रानू साहू और डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया से ED सरकार के विकास कार्यो पर नहीं बल्कि घोटालो और भ्रष्टाचार को लेकर पूछताछ कर रही है। बावजूद इसके ऐसे अफसरों को मुख्यमंत्री का सरंक्षण प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री बघेल को ऐसे समय राजनीति के पंडित भी “राजधर्म” का पालन करने की सलाह दे रहे है।