रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सेंट्रल जेल रायपुर में दस्तक देकर पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से मेल-मुलाकात की है। हाल में लखमा को ED ने जेल दाखिल कराया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया से यहाँ मेल-मुलाकात करने में कोई रूचि नहीं दिखाई। अलबत्ता विधायक देवेंद्र यादव से नितांत अकेले पलों में जिरह कर बघेल ने अपना रास्ता नाप लिया। जानकारी के मुताबिक गुरुवार को दोपहर में केंद्रीय जेल रायपुर में पूर्व मुख्यमंत्री की दस्तक चर्चा में है।
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शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व मंत्री कवासी लखमा से मुलाकात के लिए बघेल ने एड़ी-चोटी एक कर दी थी। बताते है कि उन्होंने अफसरों से चर्चा कर कवासी लखमा से तुरंत मुलाकात की इच्छा जताई थी। इसके बाद बगैर समय गवाएं, बघेल ने लखमा से ईडी रिमांड में पूछे गए सवालों को लेकर जानकारी एकत्रित की। यही नहीं बघेल ने लखमा को भविष्य में होने वाली कई जांच और बयानों को लेकर आगाह भी किया। सूत्र तस्दीक करते है कि बघेल ने उनसे होने वाले संभावित सवालों और ईडी की पूछताछ के तौर-तरीकों को लेकर लखमा से चर्चा की है।
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जेल में बंद विधायक देवेन्द्र यादव से भी मेल-मुलाकात कर बघेल ने उनका भी हाल-चाल जाना। इस जेल मुलाकात के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, हमारे विधायक साथी कवासी लखमा और देवेंद्र यादव से मेरी मुलाकात हुई। उन्होंने कहा, कवासी लखमा और देवेंद्र यादव को जबरदस्ती फंसाया गया है। उन्होंने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी ने तय कर रखा है कि उनके खिलाफ जो आवाज उठाएगा, उसका मुंह बंद कराना है।
उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा है, यह तानाशाह सरकार जनहित और अधिकार के लिए उठने वाली आवाजों को षड्यंत्र कर खामौश कर देना चाहती है। लेकिन अंत में विजय सत्य की होगी। उधर सूत्र तस्दीक कर रहे है कि कवासी लखमा के पुत्र हरीश लखमा और उनके ओएसडी से जारी पूछताछ के बाद ईडी पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड और बघेल को भी तलब कर सकती है। फ़िलहाल, ED के गलियारों में दोनों की कार्यप्रणाली के नमूनों और दस्तावेजी प्रमाणों की पड़ताल भी जारी है।
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बताते है कि शराब घोटाले के तमाम आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी और समर्थक ही है, कांग्रेस के अन्य किसी नेता या मंत्री के नहीं। राजनीति के जानकारों के मुताबिक प्रशासनिक और कारोबारी गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री ने एक आपराधिक गिरोह बनाया था। कांग्रेस राज में इस गिरोह ने ही सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ किया था। जबकि पार्टी के ज्यादातर नेता और समर्थक पूरे 5 साल तक कांग्रेस की मजबूती में जुटे रहे। यह देखना गौरतलब होगा कि आखिर कब बघेल और ढांड की जोड़ी पर एजेंसियों की नजरे इनायत होगी।