रायपुर/दिल्ली। देश के कई राज्यों में अंजाम दिए गए करीब 6 हजार करोड़ के महादेव एप घोटाले का मुख्यालय छत्तीसगढ़ के भिलाई में था। इस एप को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनका गिरोह संचालित कर रहा था। इस गिरोह में आईएएस, आईपीएस अफसरों के अलावा स्टेट पुलिस सर्विस के दर्जनों अधिकारी महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में शामिल थे। इनका कार्य नागरिकों की जान माल की सुरक्षा करने के बजाय सट्टा कारोबार का सफलतम संचालन करना भर था। वेतन भत्ते सरकार से लेते थे लेकिन ये अफसर नॉकरी महादेव एप की करते थे।
बताते हैं कि नॉकरशाहों को वेतन भत्ते मिलाकर महज लाख- दो लाख ही मासिक वेतन मिल पाता है, लेकिन महादेव एप के जरिए इन्हें प्रतिमाह 50 लाख रुपये तक का भुगतान प्राप्त होता था। अधिकारियों को दोहरे पद पर दोहरा लाभ होता था। मसलन रायपुर आईजी और आईजी इंटलीजेंस को दोनों पदों के लिए अलग-अलग रकम सौपी जाती थी, जबकि अधिकारी एक ही था। एसएसपी और एएसपी इस गिरोह के महत्वपूर्ण कर्ताधर्ता होते थे। इन्हें एकमुश्त आईपीएस अधिकारियों के बराबर कालाधन मिलता था। महादेव एप की गतिविधियों को कानूनी संरक्षण और भूपेश सरकार के आशीर्वाद के लिए प्रतिमाह सैकड़ों करोड़ का भुगतान होता था। ईडी ने जांच पड़ताल के बाद अवैध वसूली का जो ब्यौरा इकट्ठा किया है वो हैरान करने वाला है.
सूत्र बताते हैं कि प्रवर्तन निर्देशालय दिल्ली ने ईओडब्ल्यू को जिन अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए है, उनमें आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी है, ये सभी अधिकारी रायपुर और दुर्ग पुलिस रेंज में वर्ष 2021 से लेकर 2023 तक तैनात रहे हैं। इन अफसरों में आईपीएस शेख आरिफ, आनंद छाबड़ा, अजय यादव, प्रशांत अग्रवाल और आईपीएस अभिषेक पल्लव का नाम सुर्खियों में है। जबकि एएसपी अभिषेक माहेश्वरी और एएसपी संजय ध्रुव को आईपीएस अफसरों से ज्यादा एकमुश्त भुगतान होता था। दस्तावेज बताते हैं कि एएसपी अभिषेक माहेश्वरी को प्रतिमाह 35 लाख प्राप्त होते थे, जबकि आनंद छाबड़ा को आईजी रायपुर रेंज एवं आईजी इंटेलिजेंस के दोहरेपद के लिए प्रतिमाह 20 लाख रुपये का भुगतान होता था। इसी तरह शेख आरिफ को आईजी रायपुर रेंज और एसीबी/ ईओडब्ल्यू के दोहरेपद के चलते 20 लाख एकमुश्त रकम मिलती थी। यही हाल अजय यादव का था। उसे भी आईजी रायपुर रेंज और आईजी इंटेलिजेंस के दोहरेपद के लिए प्रतिमाह 20 लाख रुपये सौपे जाते थे।
एसएसपी दुर्ग अभिषेक पल्लव और एसएसपी रायपुर प्रशान्त अग्रवाल को प्रतिमाह 10 लाख का भुगतान होता था, जबकि एएसपी दुर्ग संजय ध्रुव के हाथों में अकेले 20 लाख रुपये आते थे। बताते हैं कि रायपुर आईजी कार्यालय में पदस्थ कांस्टेबल राजेंद्र पांडेय को महंगी लग्जरी गाड़ी महादेव एप की ओर से उपलब्ध कराई गई थी। इसके जरिए वो शेख आरिफ की रकम रखकर निवेशकर्ताओं तक पहुँचाता था। सूत्र बताते हैं कि महादेव एप घोटाले की रकम खपाने में इस कांस्टेबल का महत्वपूर्ण हाथ था। वो शेख आरिफ के लिए जमीन दलाली का कार्य भी करता था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्यालय का असल कामकाज भी महादेव एप के माध्यम से संचालित होता था। इसमें सौम्या चौरसिया को लगभग 1 करोड़ प्रतिमाह, मुख्यमंत्री बघेल के साथी विजय भाटिया को 1 करोड़ प्रतिमाह, तत्कालीन सीएम बघेल के ओएसडी सूरज कश्यप को 35 लाख प्रतिमाह प्राप्त होते थे। महादेव एप की मोटी रकम मुख्यमंत्री बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के ठिकानों पर भी भेजी जाती थी। इस रकम का ब्यौरा भी ईडी के पास मौजूद हैं। बताते हैं कि विनोद वर्मा को सालाना 5 करोड़ रुपये दिए जाते थे।
पुलिस सब इंस्पेक्टर चन्द्रभूषण वर्मा ने धारा 50 के तहत दिए गए अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके टोली का पूरा काला चिठ्ठा दर्ज कराया है। सूत्र बताते हैं कि चन्द्रभूषण वर्मा ने सरकारी गवाह बनने के लिए भी हामी भरी है। फ़िलहाल वो रायपुर सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में है। महादेव एप घोटाले के जरिए केंद्र सरकार के छवि खराब करने में भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई थी। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर में समय – समय पर होने वाले कई धरना प्रदर्शनों के लिए मोटी रकम रायपुर-दुर्ग से भेजी जाती थी। छत्तीसगढ़ के कुछ चुनिंदा आईपीएस अधिकारी यह रकम रायपुर से हवाला के जरिए दिल्ली भेजते थे।
फिलहाल राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी सरकार दागी अफसरों के खिलाफ जल्द कारगर कदम उठाने की तैयारी में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक नामजद एफआईआर दर्ज करने सम्बन्धी ईडी का पत्र मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा जा चुका है। सूत्र यह भी बताते हैं कि मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलते ही ईओडब्ल्यू और छत्तीसगढ़ पुलिस राज्य के दागी अधिकारियों, कारोबारियों और नेताओं को उनके असल ठिकाने में दाखिल कराने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे।