रायपुर /दिल्ली : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भ्रष्टाचार के पर्याय बन गए है। पुख्ता और प्रामाणिक दस्तावेजों के आधार पर सूत्र दावा कर रहे है कि बीते पौने पांच सालो में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनका पारिवारिक और राजनैतिक कुनबा ही सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ करने वाले गिरोह का हिस्सा था। कांग्रेस की अगुवाई में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार के गठन के साथ ही न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने बघेलखण्ड के अपराधों और अवैधानिक क्रियाकलापों से आमजनता को अवगत कराया था।
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राज्य में 25 रूपए टन कोल परिवहन लेव्ही के रूप में “गब्बर सिंह” टैक्स की वसूली,शराब के एक और दो नंबर के धंधे,जल-जीवन मिशन में अरबो का भ्रष्टाचार,छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड NRDA और वन विभाग से मंत्री मोहम्मद अकबर के परिजनों द्वारा सैकड़ो करोड़ के फर्जी बिलो के भुगतान, रायपुर के शांति नगर इलाके की जमीन को औने पौने दाम में हड़पने का खुलासा किया था।
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जनता को कभी सरकारी इबारतो और शब्द शैली में उलझा कर तो कभी कानूनी दाँव पेंचो के सहारे सरकार की तिजोरी पर हाथ साफ़ करने के मामलों में न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने लगातार पत्रकारिता के उच्च मापदंडो का पालन करते हुए हकीकत बयां की थी।कभी लालच तो कभी अंजाम भुगतने की बघेलखण्ड की धमकियों के बावजूद वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव और उनकी टीम ने उफ़ तक नहीं की। न्यूज़ टुडे नेटवर्क पर प्रसारित खबरें तथ्यों के साथ केंद्रीय जांच एजेंसियों के दफ्तरों में गूंजती रही।
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वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी अति प्रिय विश्वसुन्दरी सौम्या के साथ मिलकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर उनका कुनबा घोटालो और सरकारी कुकर्मों को दबाने-छिपाने और पत्रकारों का मुँह बंद कराने में जुटा रहा। इसके लिए पुलिस तंत्र और वन विभाग का दुरुपयोग किया गया। नतीजतन जनता की जेब खाली कर खुद की तिजोरी भरने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके खास प्रत्येक कार्यो में सहभागी बने मंत्री मोहम्मद अकबर ने एकतरफा बदले की कार्यवाही की थी।
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राजनैतिक और कानूनी रूप से सक्षम प्रजा तंत्र के दोनों ही गुनाहगारो के काले कारनामो पर वैधानिक कार्यवाही करने के बजाए छत्तीसगढ़ शासन के जिम्मेदार अधिकारियो ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया। काले कारनामो और आर्थिक अपराधों की जांच करने वाली राज्य सरकार की एजेंसी आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो,एंटी करप्शन ब्यूरो और छत्तीसगढ़ पुलिस भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री अकबर के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं कर सकी।
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पुख्ता तौर पर मिली जानकारी के मुताबिक दोनों ही राजनेताओ का कुनबा भारी भरकम भ्रष्टाचार के बोझ तले दबा हुआ है। लोकतंत्र के लूटमार गिरोह के आगे छत्तीसगढ़ शासन के आत्मसमर्पण करने के उपरांत राज्य की प्रशासनिक व्यस्था छिन्न भिन्न है। शासन का कामकाज जमानत पर रिहा आरोपियों के हाथो में आ गया है। कई गंभीर मामलों के आरोपी ED और CBI के वांटेड छत्तीसगढ़ शासन की बागडोर संभाल रहे है,राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन और DGP अशोक जुनेजा हाथ पर हाथ धरे बैठे है।
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ऐसे अफसरों के कार्यकाल में मंत्रालय में ED की रेड हो रही है,तो कभी कई IAS और IPS अधिकारी घोषित रूप से “गैंगस्टर” की तर्ज पर अखिल भारतीय सेवाओं का धंधा कर रहे है। उनके काले कारनामे अदालतों की कार्यवाही का हिस्सा बन रहे है।
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छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मोहम्मद अकबर का कुनबा रोजाना लाखो-करोडो की कमाई कर रहा है। नान घोटाले, कोल खनन परिवहन और आबकारी घोटाले से बघेल परिवार तो वन विभाग के केम्पा फंड समेत दूसरे ठेको और कार्यो से जहांपनाह अकबर खानदान मालामाल है। बताते है कि “अकबर बाड़े” में भी अनुपातहीन संपत्ति और ब्लैक मनी की बाढ़ है। अकबर का काला धन भी संभाले नहीं संभल रहा है।
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सूत्र बताते है कि रायपुर से लेकर गुजरात तक करीब 5 हजार करोड़ खपाया गया है। यह वनविभाग के केम्पा फंड की रकम बताई जाती है। इस केंद्रीय फंड के बटवारे का सहज सूंदर और आसान मास्टर प्लान कामयाब रहा है। बताते है कि पौने पांच सालो में मोहम्मद अकबर के निर्देश पर सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाए गए है। प्रदेश के वनो को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। इसके एवज में पूरा अकबर कुनबा हरा भरा हो गया है,जबकि सूखे जल जंगल जमीनों पर बघेलखण्ड का परचम लहलहा रहा है। प्रदेश का कोई भी नागरिक सरकार के जंगलराज की सुध ले सकता है।
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सूत्र बताते है कि गरीब जनता के विकास की सरकारी निधि का बड़ा हिस्सा मंत्री अकबर और उसके नवरत्नों के पास है। इनकी भी वैध अवैध संपत्ति अंबानी और अडानी की तर्ज पर दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रही है। बताते है कि सल्तनत अकबर के दौर में अर्जित संपत्ति से कही अधिक संपत्ति पर लोकतंत्र के अकबर ने हाथ साफ़ किया है। राज्य का कोई भी नागरिक अकबर खानदान की 2018 से पूर्व की संपत्ति का आंकलन कर मौजूदा अर्जित संपत्ति का जायजा ले कर आंकलन कर सकता है। बताते है कि अकबर की आकूत धन-दौलत में नान घोटाले का भी बड़ा हिस्सा है।इस घोटाले की नीव तत्कालीन खाद्य मंत्री मोहम्मद अकबर ने ही रखी थी।
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सूत्र यह भी दावा कर रहे है कि 50 करोड़ की नगदी स्वीकारने के बाद ही एक जूनियर IFS अधिकारी को वन विभाग की कमान सौंपी गई है। इसके लिए सात वरिष्ठ ईमानदार अधिकारियों को नजरअंदाज कर इस अधिकारी को अकबर की चाकरी का जिम्मा सौंपा गया है। जानकारी के मुताबिक केम्पा फंड का पूरा इस्तेमाल सिर्फ कागजो में हुआ है, इसके पुरूस्कार के रूप में घोटाले के जिम्मेदार साहब को ही वन विभाग की जिम्मेदारी अधिकृत रूप से सौंप दी गई है। भारत सरकार की कोई भी एजेंसी दिन में टॉर्च जलाकर भी जंगल में “केम्पा का कोला” और अकबर का गोला देख सकता है। जंगल की रौशनी में कभी उजाले को उन दिनों की याद सताती है,जब बगैर केम्पा फंड के भी दिन में छाया और घना अंधेरा आच्छादित रहता था।
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ताजा जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ शासन के DGP और CS के अपराधियों के सामने आत्मसमर्पण करने के उपरांत राज्य में कानून व्यस्था का सवाल खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद छत्तीसगढ़ शासन की कार्यप्रणाली कर्तव्यनिष्ठा की पटरी से उतर चुकी है। इससे निर्मित प्रतिकूल परिस्थियों से भारत सरकार दो-चार हो रही है।
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प्रवर्तन निदेशालय के हत्थे अब वो हवाला कारोबारी चढ़ गए है,जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिजनों की हिस्सेदारी वाली आबकारी घोटाले की रकम को इधर से उधर कर रहे थे। सरकारी रकम की मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल कारोबारी अनवर ढेबर के अलावा रवि बजाज,अरविन्द सिंह और सुमीत मालू से पूछताछ जारी है। ये सभी शराब की तस्करी और सरकारी तिजोरी में चपत लगाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवैधानिक कुर्सी से बंधे हुए थे।
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सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल उर्फ़ बिट्टू के साथ दामाद बाबू “क्षितिज चंद्राकर” को ED का न्यौता भेजा गया है। हालाँकि चैतन्य बघेल इसके पूर्व तीन बार ED के दफ्तर में हाजिर हो चुके है।पहले मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया और दुर्ग की एक पंचायत नेता के साथ आर्थिक-व्यापारिक संबंधो को लेकर बिट्टू मालामाल बताए जाते है।
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बताते है कि अबकी बार कारोबारी अनवर ढेबर की गिरफ़्तारी से भ्रष्टाचार का डबल इंजन भी सामने आया है। ढेबर बंधुओ से हुई पूछताछ के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी एजेंसियां उनकी हाथ की सफाई के मूल मन्त्र जानने के लिए बुलावा भेजने की तैयारी में है। हालाँकि घर-परिवार के बुजुर्गी से पूर्व पारिवारिक हितग्राहियो से पूछताछ का दौर शुरू हो गया है।
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छत्तीसगढ़ के तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल वर्ष 2018 में मात्र 8 करोड़ लगभग के मालिक थे। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के अगले महीने ही उनकी संपत्ति बढ़कर तीन गुनी अर्थात 23 करोड़ के लगभग पहुँच गई। बाकि वर्षो मतलब वर्ष 2019 से लेकर 2023 तक मुख्यमंत्री की आय में कितनी वृद्धि हुई,इसका आंकलन केंद्रीय जांच एजेंसियां कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा उनके नाते-रिश्तेदारों की संपत्ति में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है।
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सूत्र बताते है कि विभिन्न सरकारी विभागों से होने वाली अवैध वसूली मुख्यमंत्री बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल और दामाद क्षितिज चंद्राकर के हाथो में जाती थी। बताते है कि पिता पुत्र और दामाद सरकार के तमाम विभागों में लोक कल्याणकारी कार्यों को पूरी शिद्दत के साथ अंजाम दिया करते थे। ED की दबिश के बाद भी कुनबे की आय में कोई गिरावट दर्ज नहीं की गई। यही हाल वन मंत्री मोहम्मद अकबर और उनके कुनबे का भी बताया जाता है।
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जानकारी के मुताबिक बघेलखण्ड की तर्ज पर सल्तने अकबर ने भी दर्जनों खुद की कंपनियों के अलावा सैकड़ो कारोबारियों की कंपनी में भी जमकर दांव खेला है। अकबर से सम्बद्ध कारोबारियों की कई होटल,बेशकीमती जमीने,शॉपिंग मॉल,पेट्रोल पंप और अवैध कब्जो की भरमार है। सूत्र बताते है कि कई राज्यों में फैली शैल कम्पनिया भारत सरकार की योजनाओ के फंड पर खुद का कारोबार और निवेश दर्शा रही है,इसके लिए रायपुर में ही दर्जनों चार्टेड एकाउंटेंट वन टू का फोर-फोर टू का वन करने में जुटे हुए है।
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सूत्र बताते है कि आबकारी घोटाले की अहम कड़ी अप्पू तस्कर पर सवार होने के बाद ED के हाथो लगी है,इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बेचैन है। उन्होंने भारत सरकार और ED के सामने नई चुनौतियां पेश करने के लिए विधि मंत्री मोहम्मद अकबर को मैदान में उतारा है। इसके लिए देश के महंगे वकीलों की तैनाती और उनके खर्चो को सरकारी मदो में समाहित करने के लिए सरकारी धन का सर्वाधिक दुरूपयोग किया जा रहा है। वन विभाग से मोटी रकम की अवैध वसूली कर कर्नाटक समेत ने चुनावी राज्यों में भेजे जाने के मामले भी सुर्खियां बटोर रहे है।
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सूत्रों द्वारा यह भी बताया जा रहा है कि विधि सचिव रामकुमार तिवारी अदालती बाजार में 50 करोड़ के सौदे का ऑफर लिए घूम ईहे है। बिलासपुर से लेकर दिल्ली तक कई अदालती दलाल सूर्यकांत तिवारी,सौम्या चौरसिया और बघेलखण्ड को राहत दिलाने का दावा कर सरकारी ऑफर को हाथो-हाथ वसूलने के लिए हाथ-पांव मार रहे है।
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जंगलो में रैन बसेरा कर सरकारी रेस्ट हाउस में चहल कदमी और शिकार कर मौज मस्ती करने वाला अमला भी सल्तनत-ए-अकबर का बताया जाता है। इसकी तस्दीक भी केंद्रीय जांच एजेंसियों के अलावा राज्य का कोई भी आम नागरिक कर सकता है।
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छत्तीसगढ़ में राज्य की तमाम जाँच एजेंसियों ने ढेरो शिकायतों के बावजूद इन पौने पांच सालो में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टोली के खिलाफ कोई वैधानिक कदम नहीं उठाया। यही नहीं वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को प्रमाणित करने के लिए भी कोई रूचि नहीं दिखाई।
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इन वर्षो में कांग्रेस के चुनावी आरोपों की सच्चाई जाहिर करने के लिए बघेल सरकार ने कोई वैधानिक कदम तक नहीं उठाया। ऐसे में एक जिम्मेदार राजनैतिक दल पर लगाए गए आरोपों की असलियत तो पत्रकार पूछेंगे ही ? हालांकि मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के नेता गुहार लगा रहे है कि बघेल ने झूठे आरोप लगाकर बीजेपी सरकार को बदनाम किया था। लिहाजा उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
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राज्य के मुख्य विपक्षी दल की आवाज़ पत्रकार नहीं तो आखिर कौन बुलंद करेगा,वो भी तब,जब विपक्ष प्रामाणिक आरोपों को खोज रहा हो,कांग्रेस के आरोप खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रमाणित नहीं कर सके। कानूनी दाँवपेंचो की नूरा कुश्ती में वक्त गुजार दिया गया। ऐसे में पत्रकारों के सवाल से परहेज क्यों ? गुंडे अपराधियों के बजाए पत्रकारों पर फर्जी मामले लाद कर उनके घरो में बुलडोजर क्यों चलाया जा रहा है,मुख्यमंत्री भूपेश नंदलाल बघेल जी,पत्रकार तो फिर भी सवाल करेंगे ही,वर्ना इस्तीफा दो,कुर्सी छोड़ो।अलबत्ता इन वर्षो में बतौर मुख्यमंत्री अपने पद का गंभीरता पूर्वक निर्वहन करने के बजाए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहपरिवार ही सरकारी लूट का प्रतिष्ठान खोल बैठे।
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मुख्यमंत्री पद की गरिमा और मान सम्मान तक कायम रखने में नाकामयाब रहे,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली से देश की आन बान और शान की प्रतीक अखिल भारतीय सेवाओं पर भी सवालिया निशान लग गया है। छत्तीसगढ़ कैडर के कई IAS,IPS और IFS अफसर सेवा के धंधे में लिप्त पाए गए है। अदालती चार्जशीट और फाइलों में दर्ज दास्तान बताती है कि भारत सरकार अखिल भारतीय सेवाओं के जरिए प्रजातंत्र के डकैतों की नियुक्ति भी कर रही है,ऐसे दागियों को सेवा से पृथक करने के लिए उसके कायदे कानून शिथिल पड़ चुके है।
नतीजतन छत्तीसगढ़ जैसा श्रमिकों और किसानो से भरपूर राज्य में सालाना लाखो करोड़ खर्च करने के बाद भी प्रजातंत्र के मालिक बदहाल है,जबकि उनके वोटो से जनता का सपना साकार करने का वादा कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाला शख्स भूपेश बघेल ही खुद ब खुद भ्रष्टाचार के गर्त में समा रहा है।
छत्तीसगढ़ में हजारो करोड़ के आबकारी घोटाले में कारोबारी अनवर ढेबर की गिरफ़्तारी एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई है। बताते है कि अनवर ढेबर को 5 दिनों के लिए ED की रिमांड में दोबारा भेजा गया है,उनके भाई रायपुर महापौर एजाज ढेबर से लगातार पूछताछ जारी है,इसकी प्रगति से दिनों दिन मुख्यमंत्री पर भी ED का शिकंजा कसते जा रहा है। राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के रिटायर अधिकारियो को संविदा नियुक्ति प्रदान कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोटालो को अंजाम देने की नई तरकीब निकाली है।
बताते है कि मलाईदार विभागों में रिटायर अधिकारियों की फौज तैनात कर ज्यादातर आर्थिक अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संविदा नियुक्ति के नियम कायदों को दरकिनार कर रिटायर्ड अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनात कर रहे है, इसमें प्रमुखता दागी अफसरों को दी जा रही है,ताकि सीएम खुद अपने साथियों के साथ सरकारी धन का वारा न्यारा कर सकें।
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छत्तीसगढ़ में अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नहीं बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की धूम है,जनता को राजनीति के अपराधीकरण से छुटकारे की उम्मीद जगी है। सरकारी तिजोरी में जमा होने वाले धन की बर्बादी रुकने के आसार बढ़ते नजर आ रहे है,आस जगी है कि सरकारी योजनाओ का धन जनता की सुविधा में खर्च होगा ना की राजनेताओ की तिजोरी में सुशोभित होगा। जागो जनता जागो,अपने जनप्रतिनिधियों से रातो रात करोड़पति बनने का मूलमंत्र पूछो,ताकि लोकतंत्र के राजाओ की तर्ज पर आपके भी दुःखहरण हो जाए।