रायपुर / दिल्ली :छत्तीसगढ़ में ED की जांच नए मोड़ पर है,कई नौकरशाहों और राजनेताओ के मनी लॉन्ड्रिंग मामलो की जांच को लेकर उसे जूझना पड़ रहा है। ‘तू डाल डाल तो मैं पात पात’ की तर्ज पर संदेहियों और ED के बीच रस्साकसी जारी है। प्रदेश के प्रभावशील नौकरशाहों और कारोबारियों के खिलाफ तीस हजारी कोर्ट में फैसला सुरक्षित बताया जा रहा है। जबकि कोल खनन परिवहन घोटाले की जांच में सहयोग के वादे के उपरांत ED के चंगुल से छूट कर घर गए प्रमुख संदेही अनिल टुटेजा ने दोबारा उसके दफ्तर का रुख तक नहीं किया है। सूत्र बताते है कि टुटेजा पिता-पुत्र कोल खनन परिवहन घोटाले में अपनी गिरफ़्तारी के भय से नदारद है,वे एजेंसियों को ढूंढे नहीं मिल रहे है।
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बताते है कि ED दफ्तर में पूर्व में नजर आए अनिल टुटेजा कई दावों और वादों की तस्दीक के बाद छूटे थे। उन्होंने जांच में हर तरह के सहयोग का भरोसा दिलाया था। सूत्र बताते है कि टुटेजा की बयानी और तस्दीक के बाद संदेहियों की बैंड बाजा बारात के पहिए थम गए थे। बताते है कि देर शाम तक ED दफ्तर में जांच में सहयोग कर रहे,टुटेजा साहब एक बार घर लौटे तो दूसरी बार ED दफ्तर में दाखिल होने से भी परहेज कर रहे है। बताते है कि एजेंसियां उनकी बातो पर यकीन करके ठगा सा महसूस कर रहीं है।
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देश में पहली बार अखिल भारतीय सेवाओं के दर्जनों अधिकारी मनी लॉन्ड्रिंग और फेरा के दायरे में है,उनके खिलाफ अलग-अलग घोटालो में एक साथ जांच जारी है। इसमें अधिकारीयों के अलावा उनके पुत्र,परिजनों समेत कई नाते-रिश्तेदारों को भी संदेह के दायरे में लिया गया है। बताते है कि मुख्यमंत्री बघेल के सत्ता संभालने के बाद कई नौकरशाहों की संपत्ति और आमदनी में जबरदस्त उछाल देखा गया है,जबकि परिजन हाथ पर हाथ धरे घर पर बैठे रहे। एजेंसियां संदेहियों के आय के स्रोतों की पड़ताल कर रही है।
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ED ने नौकरशाही के अलावा कई ऐसे नेताओ और कारोबारियों को भी जांच के दायरे में पाया है,जो संवैधानिक कुर्सी में बैठे शख्स से उपकृत थे। वे एक संगठित गिरोह के तौर पर लोक सेवको के साथ लेव्ही वसूली समेत अन्य अपराधों में शामिल थे। एजेंसियों ने घोटाले की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आर्थिक मामलों से जुड़े सहयोगियों और कारोबारियों से भी पूछताछ शुरू कर दी है।
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बताते है कि प्रवर्तन निदेशालय ने कोल खनन परिवहन घोटाले में “किक बैक मनी” के बड़े मामलो को अपनी तफ्तीश में शामिल किया है। कोल परिवहन घोटाले के सामने आते ही DMF फंड और खदानों के आवंटन से जुड़े कई मामले भी एजेंसियों के संज्ञान में आए है। उनकी तस्दीक के बाद कई सरकारी विभागों में छापेमारी का दौर जारी है। बताते है कि मंत्रालय,चिप्स और आबकारी विभाग में शराब घोटाले से जुड़े कई सबूत हाथ लगने के बाद एजेंसियों ने कई संदेहियों को कब्जे में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
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बताते है कि एक साथ तीन बड़े घोटालों के मामलों में जांच जारी है। कोल खनन परिवहन घोटाले के ज्यादातर संदेही DMF और माइनिंग घोटाले में भी सक्रिय बताए जाते है। लिहाजा घोटालो की आपसी कड़ी जोड़ते हुए ED की टीम इसकी जड़ों तक पहुँच गई है। सूत्र बताते है कि तमाम संदेहियों के तार भी आपस में सौम्या,टुटेजा,समीर विश्नोई और सत्ता के शीर्ष से जुड़े हुए है।
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यह भी बताया जा रहा है कि खनिज विभाग के कई जिम्मेदार अधिकारीयों ने खदान आवंटन,खनन और परिवहन से जुड़े मामलों में हकीकत से एजेंसियों को रूबरू कराया है। DMF फंड के दुरूपयोग को लेकर कोरबा,राजनांदगांव,रायगढ़,अंबिकापुर,जांजगीर-चाम्पा,दंतेवाड़ा और बस्तर जिले के कई इलाको में स्थल परिक्षण के बाद एजेंसियां अपनी रिपोर्ट बनाने में जुटी है।
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बता दें कि DMF फंड के उपयोग को लेकर भारत सरकार की गाइड लाइन का पालन ना करते हुए कई कलेक्टरो ने मनमर्जी से पब्लिक मनी का बेजा इस्तेमाल किया था। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर जिलों के कलेक्टर DMF फंड घोटाले के प्रमुख संदेही के तौर पर तलब किए जा सकते है। बताते है कि अधिकांश IAS और IPS अधिकारी कोल खनन परिवहन घोटाले के अलावा कई और अपराधों में लिप्त पाए गए है। संदेहियों से कई दस्तावेजी सबूतों और चैट के आधार पर पूछताछ की जा रही है।
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बताते है कि IAS रानू साहू से लम्बी पूछताछ के बाद प्रशासनिक हलकों में खलबली है। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ अफसरों के अलावा CM बघेल के प्रभार वाले विभागों में ही,एजेंसियों ने सबसे ज्यादा गड़बड़ी पाई है। जानकारी के मुताबिक CMO से जुड़े 4 IPS और 7 IAS के अलावा 3 स्टेट प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गंभीर आर्थिक अपराधों के दायरे में बताए जाते है,एजेंसियों ने इन्हे प्रथम दृष्टया कदाचार का भी दोषी पाया है।
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सूत्र बताते है कि अखिल भारतीय सेवाओं के दर्जनों अधिकारी जांच के दायरे में है। एजेंसियों ने विभागीय बजट में हेर-फेर,निविदा टेंडर में गड़बड़ी,सरकारी रकम के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार,गबन,मनी लॉन्ड्रिंग,सरकारी राशि की स्वीकृति हेतु अपनाई जाने वाली वैधानिक प्रक्रिया की जांच के बाद एक प्रतिवेदन भी तैयार किया है। बताते है कि आने वाले दिनों प्रशासनिक काम काज के मामलों में अधिकारियों की भूमिका से ED अदालत को भी अवगत करा सकती है।
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सूत्र यह भी बताते है कि मुख्यमंत्री के प्रभार वाले वित्त विभाग में ही काम काज नियमो के विपरीत संचालित था। यह भी बताया जा रहा है कि ED की जाँच में तेजी आते ही वित्त विभाग में छुटियों पर जाने वाले अफसरों की कतार लग रही है,छुट्टी के आवेदनों की संख्या में दिनों दिन इजाफा हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक विभागीय सचिव के ठिकानो में छापेमारी के बाद उन्होंने भी दफ्तर से दूरियां बना ली है।फिलहाल मुख्यधारा के संदेहियों पर गिरफ़्तारी की लटकती तलवार से राजनीति भी उफान पर है।