रायपुर : छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के शराब घोटाले में नई क़ानूनी जंग ने ED को पसोपेश में डाल दिया है। क़ानूनी दांवपेचों के मद्देनजर रायपुर की विशेष कोर्ट ने शराब निर्माता कंपनियों समेत 8 लोगों को आरोपी बनाने के निर्देश दिए है। हालिया सुनवाई के दौरान आरोपी कारोबारी अनवर ढेबर की आपत्ति को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने शराब निर्माता कंपनियों समेत 8 लोगों को नोटिस जारी किया है। इसमें आबकारी विभाग की गतिविधियों में मैनपावर सप्लायर कंपनी के संचालक सिद्धार्थ सिंघानिया समेत तीन शराब निर्माता कंपनी और कारोबारियों के नाम शामिल है। ED की विशेष कोर्ट ने इन सभी के खिलाफ भी आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए है।
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इनमे ओम साईं ब्रेवरेज, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, वेलकम डिस्टलरी, मेजर्स नेक्स्ट जेन, भाटिया वाइन मर्चेंट, दीशिता वेंचर्स, मेसर्स टॉप सिक्योरिटीज और सिद्धार्थ सिंघानिया को ईडी कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। 28 फरवरी को ईडी कोर्ट में प्रकरण की अगली सुनवाई होगी। अदालती सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कारोबारी अनवर ढेबर ने अपने वकील के जरिये पेश एक आवेदन में दलील दी थी कि शराब घोटाले को अंजाम देने के लिए अवैध होलोग्राम डिस्लरीयों में चस्पा किये जाते थे। आवेदन में यह भी कहा गया था कि अवैध होलोग्राम वाली शराब बेवरेज कॉर्पोरेशन के बजाय डिस्लरी से ही सीधे दुकानों तक पहुँचती थी, मुख्य गड़बड़ी इसी डिस्लरी में होती थी।
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उधर ED ने इस आवेदन के जवाब में दलील दी थी कि मामले की जांच जारी है, डिस्लरी संचालकों से लगातार पूछताछ हो रही है। दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद विशेष कोर्ट ने डिस्लरी समेत अन्य कंपनियों के खिलाफ केस रजिस्टर्ड करने के निर्देश दिए। जानकारी के मुताबिक ताजा अदालती फरमान से आबकारी महकमे और EOW-ED के गलियारों में गहमागहमी है। दरअसल, मामले को एजेंसियों की विवेचना से जोड़ कर देखा जा रहा है। विधिक सूत्र तस्दीक करते है कि शराब ठेकेदारों और मुख्य कारोबारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के फैसले का एजेंसियों की विवेचना पर दूरगामी परिणाम घटित होने के आसार है।
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उनके मुताबिक नए आरोपी बनाये जा रहे शराब ठेकेदार और कारोबारी घोटाले की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो रहे थे। उनके आधिकारिक बयानों से पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ महत्वपूर्ण सबूत हाथ लगे थे। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश की तमाम डिस्लरी में पूर्व मुख्यमंत्री और उनके गिरोह ने कब्ज़ा जमा लिया था। डिस्लरी संचालकों के हाथों से कामकाज छीन कर आबकारी अमले और प्राइवेट कारोबारियों को शराब के निर्माण और आवाजाही की कमान सौंप दी गई थी।
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नतीजतन, शराब ठेकेदार अपनी ही डिस्लरी में प्रभावहीन हो गए थे। डिस्लरी संचालन का एकाधिकार पूर्व मुख्यमंत्री के हाथों में था। जबकि ठेकेदारों को मुनाफा मिलने के बजाय सिर्फ डिस्लरी का किराया ही प्राप्त हो पाता था। यही नहीं तमाम डिस्लरी में कब्ज़ा जमा चूके भूपे गिरोह के सदस्य शराब निर्माण से लेकर उसे ठिकाने लगाने के लिए आबकारी विभाग के तंत्र का भरपूर इस्तेमाल कर रहे थे।
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सूत्रों के मुताबिक ED की पूछताछ के दौरान डिस्लरी संचालकों ने पूरे घोटाले की हकीकत सिलसिलेवार अपने बयानों में दर्ज कराई है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल कों घोटाले का असली लाभार्थी इंगित किया गया है। भूपे बघेल गिरोह को होने वाले लाभ और इस गिरोह द्वारा ठेकेदारों को प्रतिमाह प्रदत्त रकम का ब्यौरा भी ज्यादातर कारोबारियों ने एजेंसियों के समक्ष पेश किया है। इसमें साफतौर पर बताया गया है कि शराब के गैर-क़ानूनी उपक्रम को आबकारी विभाग के कई सरकारी अधिकारी कर्तव्यनिष्ठां के साथ अंजाम दे रहे थे। उनकी देखरेख में अवैध शराब की निकासी और सरकारी दुकानों में उसकी आपूर्ति सुनिश्चित होती थी। ठेकेदार तो अपनी ही डिस्लरी में सिर्फ नौकर या सुपरवाइजर बन कर रह गए थे।
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यह भी बताया जाता है कि मामले की विवेचना के दौरान आबकारी विभाग के आरोपी अधिकारियों की विभागीय जिम्मेदारी अभी तक तय नहीं की गई है। जबकि घोटाला उजागर हुए 3 वर्ष से अधिक का समय बीत चूका है, डेढ़ साल से अधिक अवधि से तत्कालीन आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी जेल की हवा खा रहे है। यह भी तस्दीक की जा रही है कि राज्य सरकार ने सिविल सेवा आचरण संहिता एवं अन्य विधिक प्रावधानों के तहत घोटाले में लिप्त आबकारी अधिकारियों-कर्मियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए विभागीय प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं की है।
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इसके चलते तमाम दागी अधिकारी अभी भी मौज-मस्ती में है। जबकि सरकारी तिजोरी में पड़ी मार से कई लोक कल्याणकारी योजनाओं को लेकर प्रदेश सरकार फंड की कमी के दौर से गुजर रही है। बहरहाल, 2200 करोड़ के शराब घोटाले में अब नई क़ानूनी जंग सुर्ख़ियों में है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के अरमानों पर अब फिरेगा पानी या फिर ताजा अदालती फरमान से नए आरोपियों की बढ़ेगी मुश्किलें, यह देखना गौरतलब होगा ?
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