रायपुर: ED ने छत्तीसगढ़ में हुए DMF घोटाले में माया वारियर को गिरफ्तार कर लिया है। कोरबा में आदिवासी विकास विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर रहते हुए घोटाले करने का उनके ऊपर आरोप है। आज ED ने उन्हें कोर्ट में पेश किया और 23 अक्टूबर तक रिमांड पर ले लिया है। बताया जा रह है कि माया वारियर वर्तमान में आदिवासी विकास विभाग मंत्रालय में पदस्थ थीं।
बताया जा रहा है कि DMF घोटाले में यह पहली गिरफ्तारी है, मगर कोरबा में अपने कार्यकाल के दौरान IAS रानू साहू के ऊपर भी DMF में गड़बड़ी का आरोप है और और वे पहले से ही जेल में हैं। ED ने मंगलवार को माया वारियर को पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
कोरबा जिले को DMF के तहत हर वर्ष अरबों की राशि मिलती है। जिला प्रशासन में बैठे उच्चाधिकारियों ने इस रकम का किस तरह इस्तेमाल किया यह जग जाहिर है। पूर्व कलेक्टर रानू साहू के कार्यकाल में माया वारियर सहायक आयुक्त के पद पर रहीं और उन्होंने अपने अधीन हॉस्टल्स और अन्य भवनों में DMF की रकम का जमकर दुरूपयोग किया।
माया वारियर के कार्यकाल के दौरान छात्रावासों के मरम्मत और सामान खरीदी के लिए DMF के करोड़ो रूपये के फंड का इस्तेमाल किया गया और इसकी मूल नस्ती ही कार्यालय से गायब कर दी गयी। बताया जा रहा हैं कि 6 करोड़ 62 लाख रूपये में करीब 3 करोड़ रूपये का विभाग ने कई ठेकेदारों को भुगतान भी कर दिया, लेकिन किस काम के एवज में कितना भुगतान किया गया, इससे जुड़े सारे दस्तावेज ही विभाग से गायब हो गए।
कोरबा आदिवासी विकास विभाग की पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर पर आरोप है कि कोरबा में अपने कार्यकाल के दौरान विभागीय निविदाओं में भ्रष्टाचार करने, अपने चुनिंदा ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने तथा डीएमएफ, राज्य सरकार व केंद्र सरकार से प्राप्त फंड का दुरुपयोग किया गया।
बताते चलें कि पूर्व में ED ने DMF के मामले में की गई कार्रवाई के दौरान माया वारियर के दुर्ग स्थित निवास पर छापा भी मारा था। इसके अलावा बीते वित्तीय वर्ष में महालेखाकार CAG द्वारा कोरबा में DMF के फंड से किये गए खर्च की ऑडिट भी की गई है। फ़िलहाल यह जानकारी सामने नहीं आ सकी है कि माया वारियर को DMF के किन कार्यों में घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।