रायपुर/ छत्तीसगढ़ कैडर के वर्ष 1981 बैच के आईएएस अधिकारी विवेक ढांड की ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के चर्चे आम है | अपने पद पर रहते हुए इस अफसर ने इतनी ईमानदरी से कार्य किया कि आयकर अधिकारियों और इंफोर्स्मेंट डायरेक्टर की विजिलेंस टीम को उनकी चौखट पर आना पड़ा | रायपुर के सिविल लाइन स्थित लंबे चौड़े उनके बंगले में सुबह से ही आयकर और ईडी की टीम उन दस्तावेजों को खंगाल रही है , जिनके जरिये विवेक ढांड ने ईमानदारी का परिचय देते हुए अरबों रूपये की चल अचल संपत्ति अर्जित की थी | बताया जाता है कि ईडी और आयकर के अफसर ईमानदारी के उन सिद्धांतों और पैमानों से रूबरू होना चाहते है , जिसके चलते विवेक ढांड की समस्त स्रोतों से अर्जित आय का आंकड़ा चंद हजार रुपयों से सीधे कई अरबों रूपये तक पहुंच गया था | जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में विवेक ढांड से ईमानदार आईएएस अफसर शायद ही कोई और है | ईमानदार अफसरों की खोजबीन के लिए यदि दिन में लालटेन लेकर ढूंढा जाये तो विवेक ढांड जैसा ईमानदार अफसर खोजे नहीं मिलेगा |
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उनकी ईमानदारी के चलते पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में उन्हें खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति समेत दर्जनों ऐसे मलाईदार विभागों में तैनाती दी गई थी जहां उन्होंने भ्रष्ट्राचार को खत्म करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था | उनकी कार्यप्रणाली से तत्कालीन सरकार के मुखिया इतने खुश हुए थे कि कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की योग्यता को दरकिनार कर उन्होंने विवेक ढांड को मुख्य सचिव की कुर्सी पर आसीन करना मुनासिब समझा था | यह भी बताया जा रहा है कि कई कनिष्ठ आईएएस अधिकारी और राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोटी आईएएस उनकी ईमानदारी की कसम खाते नहीं थकते है | ऐसे कर्तव्यनिष्ट अफसर की कार्यप्रणाली से खुश होकर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने विवेक ढांड की ईमानदारी के सफर को उनके रिटायरमेंट के बाद भी जारी रखने का फैसला किया था | ताकि उनकी “ईमानदारी का चिराग” सिर्फ मंत्रालय और चंद सरकारी विभागों में ही नहीं बल्कि रियल स्टेट सेक्टर में भी जलता रहे |
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रियल स्टेट सेक्टर में अरबो-खरबो के निवेश और ब्लैकमनी की रोकथाम के लिए उन्हें रेरा के चेयरमेन के पद पर बैठाकर महत्वपूर्ण जवाबदारी सौंपी गई थी | बताया जाता है कि टेक्स चोरी और भू-माफियाओं पर लगाम लगाने , ब्लैकमनी खपाने में कड़ी कार्रवाई करने , जमीनों के गोलमाल पर रोक , सरकारी विकास योजनाओं की आड़ में पड़त और खाली पड़ी सस्ती जमीनों की कायापलट कर उन्हें बेशकीमती बनाये जाने के गोरखधंधे की रोकथाम , भू-माफियाओं की रोकथाम , खेतिहर और सामान्य जमीनों को आवासीय और व्यावसायिक प्रयोजन में तब्दील करने के मामलों में रोक लगाने , आवास-पर्यावरण और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाने के मामलों की रोकथाम , ईमानदार बिल्डरों को परेशान करने वालों की नाक में नकेल कसने और प्रशासन के विभिन्न विभागों में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ट अफसरों को संरक्षण देने के मामले में विवेक ढांड की निष्पक्ष और पारदर्शितापूर्ण कार्यप्रणाली राज्य की जनता के लिए अनुपम भेट है | इसे सदियों तक याद रखा जायेगा |
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बताया जाता है कि बीजेपी सरकार की रवानगी के बाद मौजूदा कांग्रेस सरकार ने भी विवेक ढांड की ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा पर मुहर लगाते हुए उन्हें रेरा चेयरमेन के पद पर बने रहने का फैसला बरक़रार रखा था | ईमानदार छवि के इस होनहार अफसर को कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में “सुपर सीएम” की ख्याति भी प्राप्त हुई है | उनकी योग्यता ने कई मौकों पर इसे साबित करने में भी कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी | विवेक ढांड की कार्यप्रणाली पर बारिकी से नजर रखने वाले जानकार बताते है कि ढांड साहब अपना फरमान सीधे जाहिर करने की कोई जहमत नहीं उठाते | किसी को ठिकाने लगाना हो या फिर इधर से उधर करना हो , बस वो अपने विश्वासपात्र “मुनीम” जी के जरिये नौकरशाहों , पत्रकारों और अन्य जरूरतमंदों को संदेशा भिजवा दिया करते है | हालांकि “मुनीम” जी भी ईडी और आयकर अफसरों के कब्जे में है |
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राज्य के नौकरशाह इस बात से बेहद खुश है कि ढांड साहब की ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा पर मुहर लगाने के लिए ईडी और आयकर के बड़े अधिकारियों को उनके बंगले का रुख करना पड़ा | उन्हें मलाल है कि इस पुनीत कार्य में शामिल होने का मौका सीबीआई को नहीं मिला |
प्रशासनिक जानकार बताते है कि आम लोगों को एक साधारण तहसीलदार अथवा अनुविभागीय अधिकारी से आय प्रमाणपत्र प्राप्त करने का मौका बमुश्किल मिल पाता है | लेकिन ईमानदार अफसरों को उनकी आय और कर्तव्यपरायणता का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आयकर , ईडी और सीबीआई को सक्षम अधिकारी माना गया है | ऐसे अफसर गिने चुने ही होते है जिन्हे यह सौभाग्य प्राप्त होता है |
रायपुर के एक और चर्चित चार्टड एकाउंटेंट कमलेश जैन के दफ्तर और घर पर भी आयकर और ईडी के अधिकारियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है | बताया जाता है कि विवेक ढांड के अलावा उनकी ईमानदारी के तमाम दस्तावेजों का लेखा-जोखा संभालने की जवाबदारी कमलेश जैन के कंधों पर है | वे बखूबी इसका निर्वहन कर रहे है | ब्लैक एंड वाइट मामलों के जानकारों के मुताबिक हजारों रुपयों का सफर तय करते हुए ढांड साहब की कर्त्तव्यनिष्ठता आखिर किस तरह से करोड़ों और फिर अरबों की उचाईयों तक पहुंची , इसका वृतांत श्रीमान कमलेश जैन की मधुर वाणी से फूट रहा है | सूत्र बता रहे है कि जल्द ही आयकर और ईडी मुख्यालय में इनका “सत्संग” कार्यक्रम रखा जायेगा | जानकारी के मुताबिक रायपुर-महासमुंद मार्ग पर स्थित होटल “लूट महल” के सौदे के दस्तावेज भी छापामार कार्रवाई के दौरान बरामद हुए है | इसमें 150 करोड़ के सौदे को 130 करोड़ में निपटाने की इबारत दर्ज है | लेकिन यह रकम कितनी ईमानदारी से कमाई गई थी , उसके स्रोत और ठिकाने लगाने के दांवपेचों की रूपरेखा जानने के लिए ईडी और आयकर अधिकारियों ने दिलचस्पी दिखाई है | बताया जाता है कि छापे में कुछ स्टाम पेपर पर दर्ज वो करारनामा मिला है , जिसमे होटल “लूट महल” के मालिक पटवा बंधुओं और ईमानदारी से कमाई गई रकम के मालिकों ने निष्पादित किया है |
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बहरहाल छत्तीसगढ़ में ईमानदारी की मिशाल ही नहीं बल्की जीवंत मूर्ति विवेक ढांड को अब सुप्रीम कोर्ट के साथ साथ आयकर और ईडी को भी अपनी ईमानदारी का किस्सा सुनाने का मौका मिलेगा | दरअसल राज्य में एक हजार करोड़ के समाज कल्याण विभाग में हुए कथित घोटाले की सीबीआई जांच के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है | मार्च माह के आखिरी हफ्ते में इस पर सुनवाई होगी | बताते है कि सिर्फ सामान्य व्यक्ति ही नहीं बल्कि दिव्यांगो खासकर मूक-बधिर , अपंग , लंगड़े लूले , बेसहारा और लावारिस जनता के कल्याण के लिए विवेक ढांड ने पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया था |