दिल्ली / रायपुर: छत्तीसगढ़ में 6 हज़ार करोड़ के महादेव एप्प घोटाले को लेकर ED और EOW जल्द दागी आईपीएस अधिकारियों से पूछताछ शुरू करेगी। इन अफसरों के खिलाफ ED ने महीनो से धूल खा रही इन्वेस्टिगेशन फाइल को फिर खोल दिया है। पूर्ववर्ती विवेचना में बच निकले ऐसे अफसर चर्चा में है। अब नए सिरे से दागी आईपीएस अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी शुरू हो गई है।
ED गलियारों से मिली जानकारी के मुताबिक लगभग आधा दर्जन आईपीएस अफसरों को जल्द ही नोटिस थमाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय दिल्ली ने विभागीय तौर पर महादेव ऐप्प घोटाले में लिप्त पाए गए, आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ जांच के निर्देश दिए है, जल्द ही इन्हे तलब किया जा सकता है। बताया जाता है कि अदालत में पेश चार्जशीट और घोटाले की जड़ में शामिल पुलिसिया तंत्र की भूमिका को भारत सरकार ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में ED और छत्तीसगढ़ पुलिस की विवेचना का भी परिक्षण कराया गया है।
सूत्र बताते है कि पीएमओ द्वारा भी घोटाले की पारदर्शितापूर्ण जांच के निर्देश दिए गए है। इसके बाद ED की कार्यवाही भी तेज हो गई है। महादेव एप्प अंतरराज्यीय घोटाले में लिप्त पाए गए 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा, 2004 बैच के अजय यादव, 2005 बैच के शेख आरिफ और 2007 बैच के आईपीएस प्रशांत अग्रवाल को जल्द तलब किये जाने की जानकारी सामने आ रही है। बताते है कि एप्प के प्रमोशन और सट्टोरियों को संरक्षण देने के एवज में दागी आईपीएस अधिकारियों को प्रतिमाह लाखों की नगदी मिलती थी।
हाल ही में आरोपियों पुलिस अधिकारी चंद्रभूषण वर्मा समेत अन्य ने EOW में दर्ज कराये अपने बयानों में दोहराया था कि हर माह इन आईपीएस अधिकारीयों के अलावा उनके अधीनस्त ASP – DSP और थाने दारों को प्रतिमाह मोटी रकम का भुगतान किया जाता था। चंद्रभूषण वर्मा ने पुलिस अधिकारीयों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल और उनके रिश्तेदार पूर्व सलाहकार विनोद वर्मा की उगाही का हवाला भी अपने बयानों में दर्ज कराया है।
EOW से पूर्व इन सभी आरोपियों ने ED को दिए अपने बयानों में महादेव एप्प की ओर से प्रतिमाह प्रदान की जाने वाली प्रोटेक्शन मनी का पूरा ब्यौरा एजेंसियों को सौंपा था। ED ने दागी आईपीएस अधिकारीयों के खिलाफ वैधानिक प्रकरण दर्ज करने के निर्देश राज्य के EOW को दिए थे। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर EOW ने अपनी विवेचना शुरू की थी। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल और उनके करीबियों के खिलाफ नामजद FIR EOW में दर्ज की गई थी। लेकिन इस FIR में आईपीएस अधिकारियों का नाम बतौर अज्ञात आरोपियों के रूप में पंजीबद्ध किया गया था।
महादेव एप्प घोटाले की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस के अलावा महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश पुलिस भी कर रही है। इसकी विवेचना के लिए मुंबई पुलिस ने SIT का गठन भी किया है। महाराष्ट्र में यह घोटाला लगभग 15 हज़ार करोड़ का आंका गया है, जबकि आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम में भी करोड़ो के महादेव एप्प सट्टा कारोबार को लेकर FIR दर्ज की गई थी। इस मामले में आधा दर्जन से ज्यादा आरोपियों को हिरासत में भी लिया गया था।
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2005 बैच के मुंबई में पदस्थ एक आईपीएस अधिकारी के पद और प्रभाव के चलते छत्तीसगढ़ के दागी आईपीएस अफसरों को अनैतिक संरक्षण प्राप्त हो रहा था। ED के इस जिम्मेदार अधिकारी की कार्यप्रणाली के चलते सुप्रीम कोर्ट में 2200 करोड़ के शराब घोटाले की ECIR भी ख़ारिज हो गई थी।
बताते है कि 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ के बैचमेट के मुंबई से तबादले के बाद छत्तीसगढ़ के विभिन्न घोटालों की जॉंच क़ानूनी राह पर आ गई है। इससे ED की कार्यप्रणाली में रचनात्मक सुधार देखा जा रहा है। अब आरोपियों की धर पकड़ के साथ विवेचना भी क़ानूनी रूप ले चुकी है। सूत्रों का दावा है कि जल्द ही दागी आईपीएस अधिकारीयों की नाक में नकेल भी कसी जाएगी।