Election Commission On Freebies : चुनाव में ‘रेवड़ी कल्चर’ पर EC सख्त, कहा- खोखले चुनावी वादों के होते हैं दूरगामी प्रभाव , पार्टी घोषणा पत्र पर झूठे वादों पर लगाम के आसार 

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दिल्ली : भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव में झूठे वादों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है | अब पार्टी घोषणा पत्र में राजनीतिक दलों को झूठे वादे करना महंगा पड़ेगा | आयोग ने सभी रजिस्टर्ड दलों को लिखी चिट्ठी लिखी है | इसमें सभी वादों को डिटेल में बताने का प्रस्ताव दिया है | इसके साथ ही उसके तमाम फायदे और आर्थिक पक्ष का ब्योरा देने को भी कहा है | 

केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने देशभर में चुनाव से पहले फ्री योजनाओं को लेकर किए जाने वाले वादों पर आज सभी राजनीतिक दलों को चिट्ठी लिखी है | आयोग ने ‘रेवड़ी कल्चर’ पर सख्ती दिखाते हुए चुनावी वादों की वजह से वित्तीय व्यवहार्यता  के बारे में मतदाताओं को प्रमाणिक जानकारी देने को भी कहा है | आयोग ने कहा कि वह चुनावी वादों की पूरी जानकारी ना देने और उसके वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछनीय प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता है. 

चुनाव आयोग ने इस सम्बन्ध ने 19 अक्टूबर तक सभी दलों से जवाब मांगा है | चुनाव आयोग के मुताबिक, खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होते हैं. निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को लिखी अपनी चिट्ठी में सभी वादों को डिटेल में बताने का प्रस्ताव दिया. साथ ही उसके तमाम फायदे और आर्थिक पक्ष का ब्योरा देने को भी कहा. आयोग ने सभी दलों से 19 अक्टूबर तक अपनी राय भेजने के लिए कहा गया है |  

चुनाव में सुधार के प्रस्ताव के जरिये, निर्वाचन आयोग का मकसद मतदाताओं को घोषणा पत्र में चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में सूचित करना है | ताकि कोई दल गुमराह न कर सके | इसके साथ ही यह भी अवगत कराना है कि क्या वे राज्य या केंद्र सरकार की वित्तीय क्षमता के भीतर हैं या नहीं.

इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने भी रेवड़ी कल्चर को लेकर चिंता जताई थी | सुप्रीम कोर्ट ने  पिछले माह देशभर में चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं के वादे के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की थी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ‘रेवाड़ी कल्चर’ पर सख्ती दिखाते हुए चुनाव से पहले इसका हल निकालने के लिए केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और याचिका के सभी पक्षों से एक संस्था के गठन पर सुझाव मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इन ‘रेवड़ी कल्चर’ से निपटने के लिए एक निकाय बनाने की आवश्यकता है.

कोर्ट ने इसमें फ्री-बी पाने वाले और उसका विरोध करने वालों को इसमें शामिल करने को कहा है | बताया जाता है कि कोर्ट के रुख को देखते हुए आयोग हरकत में आया है | दरअसल, याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष कहा कि ये फ्री योजनाएं देश, राज्य और जनता के बोझ को बढ़ाती हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने सवाल किया कि आखिर इन मुफ्त की योजनाओं का असर किसकी जेब पर पड़ता है.