
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “मुझे आपत्ति है कि विपक्ष को भारत के विदेश मंत्री पर विश्वास नहीं है, लेकिन किसी और देश पर है।”
यह टिप्पणी तब आई जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में यह स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून के बीच कोई फोन वार्ता नहीं हुई थी। इस बयान पर विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया, जिसके बाद अमित शाह ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “यहां देश के विदेश मंत्री खड़े होकर बयान दे रहे हैं, लेकिन विपक्ष को उन पर भरोसा नहीं है। उन्हें बाहरी देशों की बातों पर ज़्यादा यकीन है। मैं समझ सकता हूं कि उनकी पार्टी में ‘विदेश’ का कितना महत्त्व है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उनकी पार्टी की सारी बातें इस सदन पर थोप दी जाएं।”
शाह ने आगे कहा, “यही वजह है कि वे विपक्ष की बेंचों पर बैठे हैं, और अगले 20 वर्षों तक वहीं बैठे रहेंगे।”
अमित शाह का विपक्ष पर यह हमला न केवल संसद में चर्चा का केंद्र बना, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल पैदा कर गया है। ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष की मांगों और सवालों के बीच सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह अपनी विदेश नीति और सैन्य निर्णयों पर पूरी तरह स्पष्ट और एकमत है।