रिपोर्टर – मनोज सिंह चंदेल
राजनांदगांव / कोरोना वायरस के चलते राजनांदगांव समेत प्रदेश के सभी जिलों की सीमाओं को सील कर दिया गया है, बावजूद प्रदेश से बाहर दूसरे प्रदेशों में गए देहाड़ी मजदूर बड़ी संख्या में किसी तरह जिले की सीमा में प्रवेश कर अपने घरों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे है | लेकिन प्रशासन में इनके लिए कोई व्यवस्था नही बनाई।
लॉक डाउन के बाद दूसरे प्रदेशों से लौट रहे देहाडी मजदूरों के सामने जिले की सीमा में प्रवेश के बाद अपने घरों तक पहुँचने के कोई संसाधन नही होने के कारण सैकड़ो मिल पैदल ही चलकर किसी तरह अपने गांव पहुंचना चाह रहे थें, इन मजदूरों में महिलाएं, बच्चे शामिल थे। सभीदिहाड़ी मजदूर महाराष्ट्र, गुजरात, हैदराबाद, मुम्बई से लौट रहे थे।
छत्तीसगढ़ शासन- प्रशासन ने उन बच्चों की सुध ली जो सम्पन्न घरानों से थे और राजस्थान के कोटा में पढ़ाई कर रहे थे, उन्हें सकुशल लाने बकायदा एसी बसों की व्यवस्था शासन स्तर पर की गई, वही इन देहाडी मजदूरों के लिए सामान्य बस भी उपलब्ध नही करा पाई।ऐसे में कमलेश सिमनकर शहर के सेवाभावी संस्था पाताल भैरवी मन्दिर समिति के अध्यक्ष राजेश मारू के साथ मिलकर लॉक डाउन के 3 दिन से ही जिले की सीमा में पहुंच रहे देहाडी मजदूरों को उनके गांव तक छोड़े का काम किया, इसमे महिलाएं, बच्चे शामिल थे जो ना जाने कितने मिल पैदल चलकर जिले की सीमा तक पहुंचे थे |
अब तक कुल 1774 लोगों को जिले की सीमा से सैकड़ो मिल दूर वनांचल क्षेत्रों में ना सिर्फ गांव तक छोड़ा बल्कि सभी का ब्लॉक स्तर पर सामुदाय स्वास्थ्य केंद्रों में परीक्षण करवाया, गांव की सरहदों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल परीक्षण शिविर लगाया गया है, जिसमे इन मजदूरों का तापमान लिया गया फिर हाथ मे सील लगाकर, गांव के ही पंचायत भवन में 14 दिनों के लिए कोरेन्टीन करवाया गया। इस कार्य के दौरान सोशल डिस्टेंसिग का पूरा ध्यान रखा गया।