लॉक डाउन के कारण कई घरो में बवाल, पति – पत्नी  के बीच तक़रार, ढिशूम – ढिशूम भी, बढ़े घरेलू हिंसा के मामले, लॉक डाउन खुले तो महिलाएं पहले जाएँगी थाने और महिला आयोग के पास  

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दिल्ली वेब डेस्क / देश में लॉक डाउन उन परिवारों पर भारी पड़ रहा है, जहाँ अक्सर पारिवारिक सदस्यों के बीच किसी भी मुद्दे पर वाद विवाद होता है | एक छत के नीचे इन दिनों तमाम छत्रपों का जमावड़ा लगा है | लाज़मी है, तक़रार तो होना ही है | सरकार ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा क्या की, उसका दूसरा ही असर सामने आने लगा है। कई घरों में पति – पत्नी के बीच तू तू मैं मैं इतनी बढ़ी की मामले के थाने तक पहुँचने की नौबत आ गई |भला हो पड़ोसियों का और परिवार के समझदार सदस्यों का, जिन्होंने मामले को रफा दफा करना ही मुनासिफ समझा | फिर भी वाद विवाद करने वाले शख्स लॉक डाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे है | ताकि थाने जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सके |

दिल्ली में राष्ट्रीय महिला आयोग को 23 मार्च से 30 मार्च तक घरेलू हिंसा की 58 शिकायतें मिली हैं। न्यूज़ टुडे से आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने कहा कि ज्यादातर शिकायतें उत्तर भारत खासकर पंजाब से मिली हैं। उन्होंने कहा कि पुरुष घरों में बैठे-बैठे परेशान हो गए हैं और अपना सारा गुस्सा महिलाओं पर निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सारी शिकायतें ईमेल से प्राप्त हुई हैं। वास्तविक आंकड़ों का पता तब चलेगा जब समाज की निचले तबके की महिलाओं की शिकायतें डाक से मिलेंगी, जो कि डाक बंदी के कारण अभी नहीं आ रही हैं।

आयोग के अनुसार सीकर राजस्थान के एक पिता की ओर से शिकायत मिली है, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी की मदद करने की गुहार लगाई है। पिता ने कहा कि उनकी बेटी की बेरहमी से पिटाई की जा रही है। नाम न बताने की शर्त पर बुजुर्ग ने कहा कि उनका दामाद शिक्षक है और जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से उनकी बेटी को खाना नहीं दिया गया है। रेखा शर्मा ने कहा कि घरेलू हिंसा की शिकार अधिकांश महिलाएं ईमेल से शिकायत भेजना नहीं जानतीं, इसलिए डाक से शिकायतें मिलने के बाद यह आंकड़ा और बढ़ेगा।

राष्ट्रिय महिला आयोग ने यह भी बताया कि कई राज्य आयोगों के पास भी ऐसी शिकायतें मिल रही हैं। हिंसा की शिकार ज्यादातर महिलाओं का कहना है कि यदि उन्हें लॉक डाउन का पहले पता होता तो वह सुरक्षित स्थानों पर चली जातीं। कई महिलाओं ने लॉक डाउन की वजह से अपने घरों से बाहर निकल कर कानून के सलाहकारो और थानों का चक्कर काटने से बेहतर लॉक डाउन खुलने का इंतज़ार करना बेहतर समझा है | 

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उधर विशेषज्ञों ने भी माना है कि इस दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़ गए हैं। घरों में बंद पति अपना गुस्सा पत्नियों पर उतारने लगे हैं और पत्नियों के सामने उनसे बचाव का कोई रास्ता नहीं है। हालाँकि उन्होंने इस तथ्य को भी स्वीकार किया है कि कई मामलों में महिलाओं का नज़रियाँ अमर्यादित और अलोकतांत्रिक भी है | जो प्रचलित शिस्टाचार के खिलाफ है | वे भी मानते है कि लॉक डाउन खुलने के बाद महिला आयोग और महिला थानों में शिकायतों का अम्बार लग सकता है | दरअसल पूरे देश में 24 मार्च की मध्य रात्रि से तीन हफ्ते का लॉकडाउन है। करीब 130 करोड़ लोगों को कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए घरों में ही रहने के निर्देश दिए गए हैं।