रायपुर : छत्तीसगढ़ में सिर्फ कोयले की दलाली और कालाबाजारी से सूर्यकान्त तिवारी रोजाना 2 करोड़ रूपए कमाया करता था। जबकि ट्रांसफर – पोस्टिंग और अन्य सरकारी विभागों में ठेकेदारी से होने वाली आवक भी करोडो में आंकी जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि तमाम संसाधनों से लगभग 8 सौ करोड़ रूपए प्रतिमाह की अवैध वसूली छत्तीसगढ़ में होती थी। इसमें शराब , CSEB में कोल परिवहन के ठेके , खदानों और कई उद्योग धंधो से होने वाली करोडो की कमाई भी शामिल है। सूत्रों के मुताबिक सरकारी सरंक्षण में चल रहे इस रैकेट में स्थानीय कारोबारियों के आलावा IAS और IPS अफसरों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण बताई जा रही है।
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यह भी बताया जा रहा है कि रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू के आलावा तीन IPS अधिकारी इस कारोबार में शामिल थे। ये अफसर अवैध रकम को वसूलने के बाद उसे ठिकाने लगाने के मामले में काफी हुनरबाज बताये जाते है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार के परिवहन विभाग पर सूर्यकान्त तिवारी का सीधा नियंत्रण था। राज्य में कोल खदानों में दौड़ रहे हजारो डम्फरों और ट्रकों के टैक्स अदाएगी और फिटनेस को लेकर परिवहन विभाग का दोहरा रवैया सामने आया है। बताया जाता है कि सूर्यकान्त से जुड़े हजारो डम्फरों की फिटनेस की जांच तक परिवहन विभाग ने नहीं की। जबकि 25 रूपये टन लेव्ही देने से इंकार करने वाले कई कारोबरियों के वाहनों को चेकिंग के नाम पर जगह – जगह रोक कर उन पर दबाव बनाया जाता रहा।
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हालांकि सहमति बन जाने के बाद उन वाहनों को परिवहन के नियमों कि धज्जियां उड़ाने के लिए अधिकृत कर दिया जाता था। सूत्रों के मुताबिक कोयला खदानों में दौड़ रहे कई डम्फरों और हाइवा के असली मालिक दागी IAS और IPS अफसर बताये जाते है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे अफसरों का बड़ा निवेश कोल परिवहन के कारोबार में बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कई ट्रांसपोर्ट कम्पनियो में ऐसे अफसरों ने अपने परिजनो और परिचितों के नाम पर बड़े पैमाने पर काली कमाई निवेश की है। इसके जरिये वो हर माह करोडो का धनशोधन कर रहे है।
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ताजा जानकारी के मुताबिक परिवहन और GST विभाग ने सूर्यकान्त तिवारी की टांसपोर्ट कंपनी का लगभग 50 करोड़ रूपए माफ़ – साफ़ कर दिया है। इसमें तत्कालीन GST कमिश्नर समीर विश्नोई और परिवहन विभाग के आला अधिकारी शामिल बताये जाते है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि टैक्स माफ़ी की फाइल भी ED के छापो के मद्देनजर परिवहन विभाग से गायब कर दी गई है।
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जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सूर्यकान्त की सहयोगी ट्रांसपोर्ट कंपनी के हाथो में 108 एम्बुलेंस के संचालन का ठेका भी है। इसके लिए लगभग 2 हजार एम्बुलेंस इस कम्पनी ने खरीदी है। नियमानुसार इन वाहनों का कमर्शियल टैक्स छत्तीसगढ़ शासन की तिजोरी में जमा कराया जाना था। लेकिन विश्नोई समेत अन्य अफसरों ने इस रकम को डकारने की योजना बनाई। अफसरों ने यह टैक्स माफ़ कर दिया और बगैर क़ानूनी प्रक्रिया पूर्ण किये सूर्यकान्त को सीधा फायदा पहुंचाया गया।
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सूत्र बताते है कि टैक्स माफ़ी से जेब आई रकम अफसरों ने रियल स्टेट कारोबार में निवेश कर दी। सूर्यकान्त तिवारी और उसके गिरोह की रायपुर के आस – पास करीब 500 करोड़ की संपत्ति बताई जाती है। सूत्रों के मुताबिक परिवहन और कोयले की अफरा – तफरी से कमाई गई इस रकम से छत्तीसगढ़ के पडोसी राज्यों में भी निवेश किये जाने की जानकारी सामने आई है।
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अधिकृत जानकारी के मुताबिक 108 एम्बुलेंस के ठेके भी सूर्यकान्त तिवारी को अहर्ता न होने के बावजूद भी दिए गए है। 108 एम्बुलेंस के ठेको में शामिल कम्पनियो ने टेंडर में कमर्शियल टैक्स और GST शामिल कर सभी शर्तो को पूरा करते हुए अपने दस्तावेज जमा किये थे। लेकिन उनकी बोली इसलिए काम नहीं आई क्योकि सूर्यकान्त तिवारी की कम्पनी ने बगैर कमर्शियल टैक्स और GST के बोली लगाई थी। लिहाजा कम लगाई गई बोली के चलते अफसरों ने सूर्यकान्त को ठेका दे दिया। इस दौरान उसके कई संदिग्ध दस्तावेजों की शिकायतो के बावजूद बघेल सरकार द्वारा कोई जांच नहीं की गई।
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अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की कार्यप्रणाली जांच के घेरे में है। बताया जाता है कि इस ठेके में भी कई अफसर और नेता गोपनीय भागीदार है। उधर न्यूज़ टुडे की पड़ताल में यह तथ्य भी सामने आया है कि 108 एम्बुलेंस के टेंडर में वाहनों के टैक्स माफ़ी जैसी कोई शर्त नहीं रखी गई थी। इसे टेंडर हासिल करने के बाद सूर्यकान्त को फ़ायदा पहुंचाने के लिए अमली जामा पहनाया गया। जबकि टेंडर की नियमानुसार शर्ते पूरी करने वाले शख्स प्रतियोगिता से बाहर हो गए।पड़ताल में यह भी तथ्य सामने आया कि परिवहन और GST दोनों ही विभागों में टैक्स माफ़ी की फाइल का कोई अता – पता नहीं है।
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न्यूज़ टुडे ने इस मामले को लेकर परिवहन और GST के कुछ अफसरों से भी संपर्क किया गया , लेकिन अफसरों ने इस फाइल के बारे में कोई अधिकृत जानकारी देने से इंकार कर दिया। अपितु अफसर टैक्स माफ़ी को लेकर अनिभिज्ञता जाहिर करते रहे।सूत्र बता रहे है कि सेन्ट्रल फंडिंग वाली लोक कल्याणकारी 108 एम्बुलेंस सेवा में सुनियोजित भ्रष्टाचार को लेकर भारत सरकार बेहद गंभीर है। इस मामले में अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की सहभागिता को आपराधिक दायरे में लेकर ED कई बड़े खुलासे की ओर बढ़ रही है।
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जबकि सूर्यकान्त की कम्पनी से प्राप्त कमर्शियल टैक्स की जानकारी देने के बारे में भी परिवहन विभाग द्वारा कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री बघेल की बगैर जानकारी के सूर्यकान्त गिरोह ने इस अपराध को अंजाम दिया है। फिलहाल ED की टीम छत्तीसगढ़ में डटी हुई है। आने वाले दिनों अखिल भारतीय सेवाओं के कई और अफसरों के बेनकाब होने के आसार बढ़ गए है।