दिल्ली (वेब डेस्क):- एक ही गोत्र और परिवार में शादी का चलन भारत में नहीं है. इसका मुख्य कारण अनुवांशिक बीमारियों के खतरे से बचाव है. लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में इस तरह का ना तो कोई चलन है और ना ही सामाजिक मान्यताएं. नतीजतन अब इस देश की बड़ी आबादी अनुवांशिक बीमारियों की चपेट में हैं. इसका खुलासा अब जाकर हुआ है. वो भी तब जब कोरोना से बचाव और संक्रमन को लेकर कई रिसर्च सामने आई थी. ऐसे समय डाक्टरों और वैज्ञानिकों ने शोध में पाया की एक ही परिवार में करीबी रिश्तों के चलते होने वाले विवाह नई पीढी के लिए खतरनाक साबित हो रहे है.
पाकिस्तान में ज्यादातर समुदाय में करीबी रिश्तेदारी में शादी को एक परंपरा के तौर पर देखा जाता है. लेकिन पाया गया है कि इस तरह की शादियों से बच्चों में कई तरह की आनुवांशिक बीमारियां पाई जा रही हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि करीबी रिश्तेदार से शादी की परंपरा सिर्फ इस्लाम या पाकिस्तान में ही है. जेरूसलम में अरबों, पारसियों और यहां तक कि दक्षिण भारतीयों में भी करीबी रिश्तेदारों में शादियां की जाने की परंपरा है. लेकिन इन इलाकों में शोध की जानकारी अब तक सामने नहीं आई है. पाकिस्तान में हुए इस खुलासे के बाद इस सामाजिक परम्परा को जारी रखने अथवा इस पर रोक को लेकर बहस छिड गई है.
इस्लाम में चचेरी, ममेरी, मौसेरी या फुफेरी बहन से शादी करने की इजाजत है. वैसे तो निकाह की ये व्यवस्था पूरी तरह वैकल्पिक है लेकिन पाकिस्तान में करीबी रिश्तेदारी में शादी को एक परंपरा के तौर पर देखा जाता है. हालांकि, कुछ लोग इस परंपरा पर सवाल भी उठाते रहे हैं. उनका कहना है कि इस प्रथा की वजह से जेनेटिक डिसऑर्डर यानी आनुवांशिक विकार के मामले बढ़ रहे हैं.जर्मनी के DW न्यूज ने पाकिस्तान के उन लोगों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है जो निकाह की इस परंपरा से बंधे हुए हैं. इस इंटरव्यू में लोगों ने अपने निजी अनुभव बांटे हैं.
करीबी रिश्तेदार से शादी में समस्या तब सामने आती है जब किसी एक साथी में किसी तरह की आनुवांशिक बीमारी हो. समुदाय के भीतर शादी करने पर हो सकता है कि पार्टनर में भी यही आनुवांशिक समस्या हो. ऐसे में होने वाले बच्चे को जीन में दो विकार मिलते हैं और उसमें डिसऑर्डर की संभावना बढ़ जाती है. वहीं, जब समुदाय के बाहर शादी करने पर जीन पूल बड़ा हो जाता है और बच्चे को माता-पिता से आनुवांशिक तौर पर समस्या मिलने की संभावना कम हो जाती है.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रहने वाले 56 साल के गफूर हुसैन शाह आठ बच्चों के पिता हैं. शाह ने कहा कि यहां के रीति-रिवाजों के अनुसार उनसे उम्मीद की जा रही है कि वो अपने बच्चों की शादी परिवार के करीबी रिश्तेदारों में ही करें. हालांकि, शाह इस तरह की शादी से होने वाले बच्चों में प्रचलित आनुवांशिक रोग के खतरों के बारे में अच्छे से जानते हैं.उन्होंने 1987 में अपने मामा की बेटी से शादी की थी और उनके तीन बच्चे किसी ना किसी हेल्थ डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं.
शाह ने DW से बताया कि उनके बेटे का दिमाग सामान्य आकार में विकसित नहीं हुआ है. उनकी एक बेटी को बोलने में दिक्कत होती है जबकि दूसरी को ठीक से सुनाई नहीं नहीं देता है. उन्होंने कहा, ‘मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का है कि ये पढ़ाई नहीं कर सके.मैं हमेशा उनके बारे में चिंतित रहता हूं. मेरे और मेरी पत्नी के जाने के बाद कौन उनकी देखभाल करेगा.’ शाह ने बताया कि यहां कजिन मैरिज का बहुत ज्यादा सामाजिक दबाव है. रिश्तेदारी में शादी ना करने पर लोगों को समाज से बहिष्कृत भी कर दिया जाता है.
शाह ने बताया कि उन्हें अपने एक बेटे और दो बेटियों की शादी करीबी रिश्तेदारों से करनी पड़ी. उनके परिवार की मेडिकल हिस्ट्री में ब्लड डिसऑर्डर, लर्निंग डिसेबिलिटी, अंधापन और बहरापन की समस्याएं हैं. शाह के अलावा इस्लामाबाद, कंराची, गुजरेवाला, लाहौर और खैबरपख्तून में भी इस तरह के मामले आम बताए जा रहे हैं. यहाँ की बड़ी आबादी इन अनुवांशिक बीमारियों के इलाज के लिए डाक्टरों के चक्कर काट रही है.
ऐसा नहीं है कि करीबी रिश्तेदार से शादी की परंपरा सिर्फ इस्लाम या पाकिस्तान में ही है. जेरूसलम में अरबों, पारसियों और यहां तक कि दक्षिण भारतीयों में भी करीबी रिश्तेदारों में शादियां की जाने की परंपरा है. दक्षिण भारत में कई ऐसे समुदाय हैं जो करीबी रिश्तेदारों में विवाह करते हैं. वहां गोत्रम (पैतृक वंश) को गंभीरता से लिया जाता है और उसमें विवाह नहीं किया जाता है. यानी एक ही गोत्र के पुरुष और महिला के बीच शादी नहीं होती है. भाई अपनी बहन से शादी नहीं कर सकता है लेकिन वो अपनी ममेरी बहन से शादी कर सकता है. इसी तरह यहां मामा और भांजी की भी शादी हो सकती है और होती भी है.
ब्लड रिलेशन की शादी से होने वाले बच्चों को सेहत से जुड़ी समस्या होती है, इस पर सालों से संदेह किया जा रहा है. इस तरह की शादी से पैदा हुए 11,000 से ज्यादा बच्चों पर की गई UK की एक स्टडी में 386 बच्चों में जन्मजात विसंगतियों पाई गईं. ऐसे बच्चों का आंकड़ा 3 प्रतिशत जबकि समुदाय से बाहर की शादियों से होने वाले बच्चों में जन्मजात विसंगतियों का आंकड़ा 1.6 प्रतिशत पाया गया. ये स्टडी UK के एक छोटे से इलाके ब्रैडफोर्ड के बच्चों पर की गई थी जहां पाकिस्तानी मुसलमानों की आबादी 16.8 फीसदी है. यहां 75 प्रतिशत लोग कजिन मैरिज करते हैं. हालांकि, 3 प्रतिशत के आंकड़े के के अलावा ब्रैडफोर्ड की स्टडी में बाकी सारे बच्चे उसी तरह सामान्य और स्वस्थ पाए गए जैसे कि नॉन-कजिन मैरिज से होते हैं.