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कोरोना संक्रमण के चलते अंगदान से लाभांवित होने वालों के अरमानों पर से फिरा पानी, कई मरीजों की जान संकट में, आंख समेत कई अंग रखे -रखे हो ना जाये ख़राब? पशोपेस में डॉक्टर

इंदौर वेब डेस्क / कोरोना के संक्रमण ने अंग प्रत्यापर्ण से जुड़े कई ऑपेरेशनों पर ग्रहण लगा दिया है | विभिन्न मेडिकल कॉलेज और रिसर्च सेंटर पर पिछले 4 माह से कई अंग उन मरीजों में प्रत्यार्पित होने की राह देख रहे है, जो उनके लिए मुक़्कमबल हुए है | ऐसे मरीजों को भी अपनी सर्जरी का इंतज़ार है | लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण ऐसा फैला है कि ऑपरेशन टाले जा रहे है | बताया जाता है कि कोविड-19 के प्रकोप से पहले इंदौर मरणोपरांत अंगदान के बड़े राष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभर रहा था। लेकिन इस महामारी के पिछले चार महीने से जारी कहर के चलते जिले में मृत रोगियों के अंगदान का सिलसिला थम गया है।

इससे उन मरीजों की सांसों पर संकट पैदा हो गया है जिन्हें नयी जिंदगी के लिये दूसरे लोगों के स्वस्थ अंगों की सख्त जरूरत है। शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय की डीन ज्योति बिंदल ने पुष्टि की कि जिले में 24 मार्च को कोविड-19 के शुरूआती मामले सामने के बाद से मरणोपरांत अंगदान नहीं हो सका है।

उन्होंने हालांकि बताया कि शहर के एक निजी अस्पताल में एक जीवित व्यक्ति ने 17 जुलाई को जरूरतमंद मरीज को अपने लीवर का हिस्सा दान किया था। जानकारों का कहना है कि कोविड-19 के प्रकोप के चलते रोगियों के मरणोपरांत अंगदान और इस प्रक्रिया से निकाले गये अंगों को जरूरतमंद मरीजों के शरीर में प्रतिरोपित करने के कई जोखिम हैं। हालांकि, अंगदान को बढ़ावा देने वाले गैर सरकारी संगठनों की मांग है कि महामारी से बचाव के जरूरी उपाय अपनाते हुए इंदौर में मरणोपरांत अंगदान का सिलसिला बहाल किया जाना चाहिये ताकि खराब अंगों के साथ सांसों की जंग लड़ रहे मरीजों की जान बचायी जा सके।

इंदौर में सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन अंगदान की सरकारी प्रक्रिया पूरी कराने में सहयोग करती है। इस समिति से जुड़े “मुस्कान ग्रुप” के कार्यकर्ता संदीपन आर्य के मुताबिक “जरूरतमंद मरीजों के परिजन पिछले कई दिन से उन्हें फोन करके लगातार पूछ रहे हैं कि क्या किसी व्यक्ति के मरणोपरांत अंगदान के जरिये उनके लिये अंगों की व्यवस्था हो सकती है? उनके मुताबिक कोविड-19 के संक्रमण काल के दौरान इंदौर में मरणोपरांत अंगदान का सिलसिला चार महीने से थमा हुआ है।”

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अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 के प्रकोप से पहले, इंदौर में पिछले चार साल के दौरान 39 मरीजों का अंगदान हो चुका है। इससे मिले हृदय, लीवर, किडनी, आंखों और त्वचा के प्रतिरोपण से मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में 220 से ज्यादा जरूरमंद मरीजों को नये जीवन की अनमोल सौगात मिली है। उन्होंने यह भी बताया कि दूसरे राज्यों के जरूरतमंद मरीजों के लिये विशेष व्यवस्था कर अंगों को हवाई मार्ग से संबंधित शहरों तक पहुंचाया गया है। इंदौर में फ़िलहाल कई अंगों को सुरक्षित रखा गया है | लेकिन जानकार बताते है कि इन्हे समय सीमा के भीतर प्रत्यार्पित करना जरुरी है | वर्ना ये ख़राब हो जायेंगे |

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