
दंतेवाड़ा /रायपुर : – छत्तीसगढ़ पुलिस की DSP कल्पना वर्मा और कारोबारी दीपक टंडन के बीच जारी विवाद में रायपुर पुलिस ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर लिए है। हालांकि जाँच अधिकारी के अचानक तबादलें से रिपोर्ट को लेकर गहमा – गहमी देखी जा रही है।

जानकारी के मुताबिक ASP कीर्तन राठौर ने DSP कल्पना वर्मा और उनके परिजनों के बयान रिकॉर्ड कर दीपक टंडन को तलब किया था। यह भी बताया जा रहा है कि कारोबारी टंडन ने मोबाईल चैट से लेकर नगद और बैंको के जरिये लेन -देन का पूरा ब्यौरा पुलिस को सौंप दिया है, जाँच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

पुलिस सूत्र तस्दीक करते है कि मामले की जाँच रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपने के उपरांत ही जांच अधिकारी राजनांदगांव के लिए रिलीव किये जा सकते है। उनके मुताबिक अधिकारियों के तबादलें से जाँच के प्रभावित होने के मसले पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, जाँच रिपोर्ट समय पर सौंपे जाने के आसार जाहिर किये जा रहे है।

उधर DSP कल्पना वर्मा की ऐसी चैट भी सामने आ रही है जो विभागीय गोपनीयता भंग करने के दायरे में बताई जाती है। जानकारी के मुताबिक विभाग में चलनशील आईपीएस अधिकारियो पर जबरदस्त पकड़ के चलते DSP कल्पना वर्मा करोडो में खेल रही थी। कभी रकम की वसूली के लिए तो कभी प्यार का सौदा पटाने के लिए अपने परिजनों के अलावा खुद के एकाउंट में भी डिजिटल माध्यम से उसने लाखो की रकम इक्कट्ठा की थी।

यह भी बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने उसका तबादला दंतेवाड़ा किया था, लेकिन कार्यस्थल से भी वो अक्सर नदारद रहती थी। वरिष्ठ अधिकारियो ने उस पर ऐसी कृपा बरसाई की नगद नारायण के अलावा इन अधिकारियो ने पिछले दरवाजे से DSP कल्पना वर्मा की तैनाती सुविधाजनक पुराने पुलिस मुख्यालय में कर दी।

सूत्रों के मुताबिक नक्सली उन्मूलन से जुडी एक शाखा में पिछले लगभग 5 माह से कल्पना वर्मा रायपुर में ही अटैच बताई जा रही है। जबकि दंतेवाड़ा में नक्सलियों के खिलाफ जारी अभियान में DSP की उपस्थिति जरुरी बताई जाती है। वर्तमान में DSP कल्पना वर्मा की तैनाती रायपुर में है या दंतेवाड़ा में ? इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी पुलिस मुख्यालय से नहीं मिल पाई है।

इस बीच DSP कल्पना वर्मा की दंतेवाड़ा में पोस्टिंग के दौरान कई ऐसी चैट भी सामने आ रही है, जिससे साफ़ होता है कि विभागीय गोपनीयता कायम रखने के लिए DSP कल्पना वर्मा कभी भी सतर्क और गंभीर नहीं थी। उनकी अनुशासनहीनता से नक्सली ऑपरेशन की गोपनीयता भी भंग हो रही थी। ये चैट गंभीर अनुशासनहीनता का जीता – जागता प्रमाण बताया जा रहा है।

सवाल उठ रहा है कि कारोबारी दीपक टंडन को विभागीय सूचनाएं उपलब्ध कराने का मकसद आखिर क्या था ? आमतौर पर नक्सली सफाये से जुड़े अभियानों के बारे में सूचनाएं सार्वजानिक करने को लेकर पुलिस तंत्र में उपयुक्त अधिकारियो की तैनाती की गई है। ऐसी सूचनाओं को जाहिर करने के लिए पुलिस प्रवक्ता सक्रीय रहते है, लेकिन जनसामान्य ( सिविलियन ) को DSB की सूचनाएं आखिर क्यों शेयर की जा रही थी ? फ़िलहाल, दोनों पक्षों की दलीलों को दर्ज करने के बाद जाँच रिपोर्ट का इंतजार जारी है।

देखना गौरतलब होगा कि सुर्खियों में बने हुए इस प्रकरण पर रायपुर पुलिस का अगला कदम किस ओर उठता नजर आता है।





