
रायपुर : – छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ के शराब घोटाले को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है | नकली होलोग्राम चस्पा कर प्रदेश की जनता को अमानक और घटिया शराब मुहैया कराने वाले आबकारी अधिकारीयों ने एक क़ानूनी दांव – पेच आज़माते हुए अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की है | रायपुर में ACB – EOW की विशेष अदालत में क़ानूनी तथ्यों और जाँच रिपोर्ट पर सवालियां निशान लगाते हुए घोटालेबाज आरोपियों ने अग्रिम जमानत प्रदान करने की गुहार लगाई है | मामले की सुनवाई 18 जुलाई को नियत की गई है |

सूत्रों के मुताबिक इस दिन अदालत में उपस्थित होकर तमाम आरोपी एक स्वर में शराब घोटाले से इंकार कर अग्रिम जमानत के लिए अपनी बेगुनाही पेश करेंगे | इससे पूर्व एक घटना क्रम में कई आरोपी आबकारी – अधिकारी पूर्व मुख्यमंत्री के अनाधिकृत ठिकाने में नजर आये | यहाँ गैर – क़ानूनी सलाहकारों के साथ ACB – EOW की चार्जशीट पर जमकर माथा – पच्ची की खबर सामने आ रही है | सूत्रों के मुताबिक इस बैठक के बाद लगभग 23 आबकारी – अधिकारियों ने खुद की अग्रिम जमानत याचिका दायर करने का फैसला लिया | यह भी बताया जाता है कि गोपनीय बैठक में उपस्थित आरोपी आबकारी – अधिकारियों ने शराब घोटाले का पूरा ठीकरा विधायक कवासी लखमा पर फोड़ दिया है | उन्होंने साफ किया है कि पूर्व आबकारी मंत्री लखमा के दिशा – निर्देशो के तहत ही नई आबकारी नीति का पालन सुनिश्चित किया गया था | घोटालेबाज अफसरों ने शराब की अफरा – तफरी से भी इंकार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ‘भू – पे’ बघेल की किसी भी प्रकार की भूमिका के होने से इंकार करने की कसम भी खाई है | सूत्रों के मुताबिक ‘गंगा जल’ लेकर यह कसम पूर्व मुख्यमंत्री के हाथो संपन्न कराइ गई है |

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला में ACB – EOW ने कोर्ट में 2300 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, इसमें 29 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है | करोड़ों रुपये के शराब घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल कर आबकारी विभाग के अधिकारियों की गैरकानूनी गतिविधियों को उजागर किया है | बताया जाता है कि आरोपी बनाए गए 7 अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक सभी 23 आरोपियों ने अपनी वैधानिक जिम्मेदारी को दरकिनार कर घोटाले के लिए अनपढ़ आबकारी मंत्री को जिम्मेदार ठहराया है | जानकारी के मुताबिक चार्जशीट पेश होने के बाद तमाम आरोपियों को अदालत ने 20 जुलाई को अपनी उपस्तिथि दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया है | उधर तू डाल – डाल तो मैं पाद – पाद की तर्ज पर घोटालेबाज अधिकारियों ने अग्रिम जमानत याचिका दायर कर छत्तीसगढ़ शासन और राज्य की बीजेपी सरकार के सामने नई चुनौती पेश कर दी है | बताते है कि 18 जुलाई को अदालत में राज्य की बीजेपी सरकार का पक्ष गौरतलब होगा ?इस ओर लोगों की निगाहें लगी हुई है |

शराब घोटाले समेत भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में बीजेपी सरकार की कथनी और करनी को लेकर लोगों के बीच संशय की स्थिति देखी जा रही है | दरअसल, 2023 विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी और उसके दिग्गज नेताओं ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के चलनशील घोटालेबाजों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का एलान किया था | लेकिन सत्ता में काबिज होने के बाद घोटालेबाजों के प्रति राज्य की बीजेपी सरकार का रवैया आम लोगो के बीच काफी नरम आँका जा रहा है | कांग्रेस राज्य के दौरान केंद्र सरकार की जाँच एजंसियों ने जिस कड़ी मेहनत और लगन के साथ कई कुख्यात आरोपियों को जेल की हवा खिलाई थी | बीजेपी के सत्ता में आने के बाद ऐसे कई आरोपी एक के बाद एक जेल से रिहा होते चले गए | राज्य की बीजेपी सरकार का विधि – विधायी विभाग अदालत में तमाम आरोपियों की दलीलों के सामने फिसड्डी साबित हुआ | अब बारी 3200 करोड़ के शराब घोटाले की बताई जा रही है |

प्रदेश के आपराधिक मामले के जानकारों के मुताबिक आरोपी आबकारी अधिकारियों ने राज्य की जाँच एजेंसियों के समक्ष ऐसे राजनैतिक बयान दर्ज कराये है, जिससे साफ़ होता है कि शराब घोटाला सिर्फ चंद प्राइवेट कारोबारी ही अंजाम दे रहे थे | इसमें आरोपी आबकारी अधिकारियों की कोई भूमिका – सहभागिता दर्ज नहीं थी | ये अफसर सिर्फ सरकारी फरमानों का पालन सुनिश्चित कर रहे थे | बताया जाता है कि दागी अफसरों ने अपनी बेगुनाही का रोना भी अग्रिम जमानत याचिका में रोया है | उनके दर्ज कराए गए बयान अभी भी सवालों के घेरे में बताये जाते है | सूत्रों का दावा है कि दागी अफसरों के बयानों में पूर्व मुख्यमंत्री भू -पे बघेल का जिक्र तक नहीं किया गया है | जानकारी के मुताबिक ED ने शराब घोटाले को 2200 करोड़ के दायरे में बताया था | जबकि ACB की जाँच में यह घोटाला 3200 करोड़ का आंकड़ा पार कर चूका है |

प्राप्त जानकारी के अनुसार शराब के सरकारी कारोबार में व्याप्त भ्रष्टाचार की जाँच फरवरी 2019 में ED ने शुरू की थी | इसमें डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिये शराब की अवैध बिक्री का मामला उजागर हुआ था | ED ने इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व आबकारी सचिव AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर समेत अन्य को धर – दबोचा था | तब से लेकर अब तक कथित करोड़ों रुपये के शराब घोटाले में लगातार विभिन्न जांच एजेंसियों की कार्यवाही जारी है। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इसी माह 7 जुलाई को रायपुर की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल कर 29 से अधिक आबकारी विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया है।

जानकारी के अनुसार, चार्जशीट में 29 फाइलों की करीब 5000 पन्नों में सरकारी अधिकारियों की भूमिका का विवरण सौंपा है | EOW के अनुसार, इस घोटाले में डुप्लिकेट होलोग्राम वाली शराब की अवैध बिक्री को “जिला आबकारी अधिकारियों की देखरेख में खपाए जाने का काला चिटठा शामिल है | इसमें साफ़ किया गया है कि दागी अफसर डिस्टलरी से सीधे सरकारी शराब दुकानों तक अवैध माल पहुंचाते थे | हालाँकि आरोपों की गंभीरता के बावजूद भी एजेंसियों ने बगैर गिरफ़्तारी नामित आबकारी अधिकारीयों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट पेश कर दी थी | शराब घोटाले में सरकारी सेवकों के बगैर गिरफ़्तारी चालान पेश होने के मामले ने राजनैतिक रंग भी ले लिया है | कांग्रेस जहां शराब घोटाले को काल्पनिक करार दे रही है, वही वरिष्ठ बीजेपी नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगा कर वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए जोर दिया है | उन्होंने ट्वीट कर अपनी नाराजगी और हैरानी भी जाहिर की थी | हालांकि उनके ट्वीट के बाद पार्टी के भीतर व्यापक प्रतिक्रिया भी सामने आई थी |