Asam terrist : असम में खूंखार संगठन अब भी हैं सक्रिय , 8 आदिवासी समूहों के घुटने टेकने के बाद बदली रणनीति ,आत्मसमर्पण और बगावत को लेकर फिर संघर्ष के आसार

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दिल्ली / दिसपुर : असम में गृहमंत्री अमित शाह के साथ 8 आदिवासी संघटनो के प्रमुखों की तस्वीरें उग्रवादियों को रास नहीं आ रही है | इन आदिवासी संघठनो के हथियार डाल दिये जाने के बाद मौजूदा सक्रिय आतंकी संगठनों में खलबली मच गई है। इनमे लगभग आधा दर्जन संघटन आत्म समर्पण को लेकर आमने-सामने आ गए है। वो केंद्र  की शांति वार्ता को लेकर दो गुटों में बंट गए है। एक गुट नई शर्तो के साथ मुख्यधारा में लौटना चाहता है। जबकि दूसरा अभी हथियार डालने के मूड में नहीं है। वे अपनी पुराने मांगो पर अड़े  हुए है। इन संगठनों के बीच वर्चस्व को लेकर शुरू हुई माथा पच्ची अब संघर्ष की ओर बढ़ रही है | इसके गहराने के आसार है। 

राज्य में अक्सर हिंसा की आग सुलगाने वाले ये संगठन शांति बहाली की राह में रोड़ा अटकाने को लेकर अब सक्रिय हो गए है। दरअसल वे आत्मसमर्पण करने वाले आदिवासियों को केंद्र सरकार की बड़ी कामयाबी के रूप में देख रहे है। इससे उन्हें झटका लगा है | बता दे कि , राज्य में उग्रवाद की हिंसा में शामिल रहे 8 आदिवासी संगठनों के करीब 1100 लोगों ने अपने हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम सरकार और 8 जनजातीय समूहों के प्रतिनिधियों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। शाह ने माना है कि सरकार का सबसे बड़ा एजेंडा नार्थ ईस्ट में शांति बहाल करना है और सरकार हर विवाद को 2024 तक खत्म करना चाहती है | हालांकि ये कहना अभी जल्दबाजी होगी कि इसके बाद असम पूरी तरह से शांत हो जायेगा क्योंकि उग्रवाद में लिप्त दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी नामक संगठन इस समझौते में शामिल नहीं हुआ है | 

DNLA वही उग्रवादी संगठन है, जिसने पिछले साल अगस्त में असम के कई जिलों में हिंसक वारदाते की थी | प्रदेश के एक जिले में सात ट्रक में आग लगा कर उसने पांच ट्रक ड्राइवरो को जिंदा जला दिया था | दरअसल, इस वारदात से पहले मई महीने में असम राइफल्स और राज्य पुलिस ने ज्वाइंट आपरेशन चलाकर डीएनएलए के सात उग्रवादियों को मार गिराया था |

इसीलिये माना गया कि उसका बदला लेने के मकसद से इसी गुट ने आगजनी की इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया था. इस संगठन के उग्रवादी असम के अलावा नागालैंड में भी सक्रिय हैं | दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी का गठन 15 अप्रैल, 2019 को किया गया था | इसकी स्थापना सूचना एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये मीडिया को दी गई थी | यह संगठन दावा करता है कि स्वतंत्र दिमासा राष्ट्र की मांग को लेकर वह हर तरह का संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध है | 

जानकारी के मुताबिक समूचे नार्थ-ईस्ट में ,सौ से भी अधिक जातीय समूह हैं | ये अलग-अलग जनजाति समूह अपने लिए अलग राज्य की मांग करते रहे हैं | बोडो जाति का बोडो आंदोलन भी मैदान में है | उसने अलग राज्य की अपनी मांग को अभी छोड़ा नहीं है | ये समूह असम को भारत से अलग करने को लेकर दशकों तक संघर्ष कर रहे हैं |  हालांकि NDA कार्यकाल में इन सभी को कुछ न कुछ देकर शांत कर दिया गया था |लेकिन अब मोदी सरकार उनसे दो -दो हाथ कर रही है | उसमे इन्हे हथियार डालने पर भी मजबूर कर दिया है |