अयोध्या वेब डेस्क / महाराष्ट्र सरकार के 100 दिन पूरा होने पर अयोध्या पहुंचे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रामलला के दर्शन कर अपनी ख़ुशी जाहिर की है | उन्होंने मंदिर निर्माण ट्रस्ट को महाराष्ट्र सरकार की ओर से नहीं बल्कि अपनी पार्टी और परिवार के ट्रस्ट की ओर से एक करोड़ का दान दिया है | बतौर मुख्यमंत्री प्रोटोकॉल के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर स्वागत किया। उद्धव ठाकरे परिवार और शिवसेना के नेताओं के साथ रामलला के दरबार में पहुंचे और माथा टेका | उन्होंने हनुमानगढ़ी के दर्शन भी किये | हालांकि उद्धव ठाकरे के माथे पर कोरोना का खौफ भी दिखाई दिया |
अयोध्या पहुंचने पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं प्रभु श्रीराम का दर्शन करने आया हूं। जब मैं पहली बार यहां आया था तो कहा था कि बार-बार आऊंगा। डेढ़ साल में तीसरी बार यहां आया हूं। मेरी बहुत इच्छा थी कि सरयू आरती करके जाऊं। लेकिन जिस तरह से कोरोना वायरस का आतंक पूरे विश्वभर में फैला है, इसलिए अगली बार आरती करूंगा।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर निर्माण के लिए महाराष्ट्र की तरफ से एक करोड़ की धनराशि देने का एलान किया। उन्होंने कहा कि वो दिन याद है जब मेरे पिताजी बालासाहब ठाकरे यहां आए थे। महाराष्ट्र के गांव-गांव से यहां पत्थर भेजे गए हैं। उद्धव ठाकरे ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करते हुए कहा कि मैं महाराष्ट्र सरकार की तरफ से विनती करता हूं कि अयोध्या में महाराष्ट्र भवन का निर्माण के लिए हमें यहां जमीन का एक टुकड़ा प्रदान करें, ताकि मराठी लोग जब यहां आएं तो उन्हें रहने की परेशानी न हो।
आयोध्या में पूरे समय उद्धव ठाकरे पत्रकारों से घिरे रहे | एक सवाल का जवाब देते हुए पत्रकारों से उन्होंने कहा कि मैं भाजपा से अलग हुआ हूं, हिंदुत्व से नहीं। भाजपा का मतलब हिंदुत्व नहीं है। हिंदुत्व अलग है, भाजपा अलग है।
बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस के खतरे को लेकर उद्धव ठाकरे के अयोध्या में आयोजित दोनों कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने मुख्यमंत्री ठाकरे के अयोध्या आगमन कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया था | राउत ने कहा, प्रधानमंत्री
नरेंद्र के आह्वान के बाद भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों को रद्द किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी ने भी भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों से बचने की अपील की थी। राउत ने कहा था कि कहीं कोई विरोध नजर नहीं आ रहा
है। कोई विरोध करना चाहता है तो वह उसकी भूमिका है। लोकतंत्र में सभी को विरोध
करने का अधिकार है। संत महंत भी राजनीतिक विरोध करने लगे हैं। अच्छी बात है उनमें
जागरूकता आई है।