Donald Trump: पेरिस समझौते के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी अमेरिका बाहर, शपथ के बाद ट्रंप का बड़ा फैसला

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Donald Trump: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अपने शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका के बाहर निकलने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। कोरोना महामारी के वक्त ट्रंप इस संगठन पर काफी हमलावर थे। व्हाइट हाउस में आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के साथ डब्ल्यूएचओ पक्षपात कर रहा है। यहां चीन को तवज्जो दी जा रही है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हमें ठगा है।

इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने बीती रात अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण की। इसके लिए आयोजित समारोह में दुनिया की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भी मौजूद थे। मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चैन, अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस और उनकी मंगेतर लॉरेन सांचेज, साथ ही गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और ट्रंप के सबसे करीबी सलाहकारों में से एक एलन मस्क भी समारोह में मौजूद थे। एपल के सीईओ टिम कुक और टिकटॉक के सीईओ शोउ जी च्यू भी समारोह में मौजूद थे।

इससे पहले ट्रंप ने शपथ लेने के तत्काल बाद अमेरिका के पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने की घोषणा की थी। व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप एक बार फिर अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर करने जा रहे हैं। ट्रंप ने शपथ ग्रहण के कुछ घंटों बाद ही कैपिटल वन एरिना में कार्यकारी आदेशों के अपने पहले सेट पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान पेरिस जलवायु संधि से हटने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए।

दरअसल, राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका को वापस लेने के लिए तेजी से कदम उठाया। एक ऐसा कदम जिसके बारे में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व के रूप में देश की स्थिति को कमजोर करेगा और अगली महामारी से लड़ना कठिन बना देगा।

शपथ लेने के लगभग आठ घंटे बाद जारी किए गए एक कार्यकारी आदेश में ट्रंप ने कई कारणों का हवाला दिया, जिसमें डब्ल्यूएचओ का कोविड-19 महामारी से गलत तरीके से निपटना और तत्काल आवश्यक सुधारों को अपनाने में विफलता शामिल है। उन्होंने कहा कि एजेंसी अमेरिका से अनुचित रूप से भारी भुगतान की मांग करती है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि एजेंसी के लिए चीन कम भुगतान करता है।