व्यायाम- अगर आप बुजुर्ग हैं या आपको पहले से घटिया है तो आप ठंड के मौसम से अधिक प्रभावित होते हैं व्यायाम की कमी से समस्या और बढ़ जाती है जिससे अधिक दर्द होता है ऐसे में आपको हमेशा शारीरिक गतिविधि करते रहना चाहिए.आपको किसी ना किसी प्रकार के दैनिक व्यायाम या गतिविधि में शामिल होना चाहिए ताकि प्रभावित क्षेत्रों में कुछ लचीलापन आ सके.
हाइड्रेट रहें-हाइड्रेट रहना तो साल भर जरूरी होता है लेकिन ये सर्दीयों में सबसे जरूरी होते हैं.जब धूप और गर्मी होती है तो आप खूब पानी पीने पर विचार करते हैं लेकिन सर्दीयों में ड्राई एअर आपको डिग्रेशन से दर्द का एहसास कराती है ऐसे में खूब पानी पीना ना भूले.तरल पदार्थ पीने से जोड़ों और मांसपेशियों के समुचित कार्य सुनिश्चित होते हैं
ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचें-सर्दियों में ठंडी हवा लगने से शरीर में दर्द और अकड़न की समस्या बढ़ जाती है, ऐसे में इससे बचने के लिए कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा घर में ही रहें लेकिन अगर किसी काम की वजह से बाहर निकल रहे हैं,तो फुल स्लीव्स के कपड़े, स्वेटर और सिर को अवश्य ढकें
सही आहार लें-बुजुर्ग या युवा कोई भी जो जोड़ों में दर्द का अनुभव करते हैं इससे बचने के लिए विटामिन सी,डी और के युक्त भोजन करें. जाड़े के मौसम में पालक, गोभी टमाटर और संतरे जैसी चीजें खाने में शामिल करें. इनमें कैल्शियम और अन्य खनिज होते हैं जिससे हड्डियां और जोड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जाता है.
खास तरह की एक्सरसाइज करें- मांसपेशियों को आराम देने और जोड़ों के दर्द से बचने के लिए स्ट्रेचिंग व्यायाम सबसे अच्छा है. इसके अलावा नियमित व्यायाम में साइकिल चलाना, पैदल चलना एरोबिक एक्सरसाइज को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं इससे आपको बहुत फायदा मिलेगा.
धूप सेकें-धूप के संपर्क में आए और यहीं से विटामिन डी पाएं अक्सर लोगों को वक्त की कमी के चलते धूप के संपर्क में आने का वक्त नहीं मिलता है.ऐसे में मांस पेशियों या लिगामेंट में कम लचीलापन होता है जो मूवमेंट होने पर बहुत थकान और मांसपेशियों में दर्द का अनुभव देता है. ऐसे व्यक्ति को जब भी संभव हो दिन के दौरान धूप में रहना चाहिए, क्योंकि इससे मसल्स का स्टीफनेस बहुत कम होता है