आपने नोटिस किया होगा कि की-बोर्ड में ‘F’ और ‘J’ पर एक लकीर सी बनी होती है. शायद आपने नोटिस न भी किया हो, लेकिन अब कीजियेगा. बहुत कम लोग जानते होंगे कि इसे कीबोर्ड पर हमारी सहूलियत के लिए ही बनाया गया है. यहां हम बता रहे हैं कि ये लकीर क्यों होती है?
अगर आप कीबोर्ड देखेंगे तो पाएंगे कि ‘F’ और ‘J’ पर बने ये निशान हल्के उभरे हुए होते हैं. कीबोर्ड पर बने इस डैश का आविष्कार जून ई बॉटिच ने वर्ष 2002 में किया था. उसके बाद से लगभग सभी मॉडर्न कीबोर्ड मॉडल अब इस सुविधा के साथ आते हैं. इंटरेस्टिंग फैक्ट्स एंड इंफॉर्मेशन पोर्टल की 2016 रिपोर्ट के अनुसार कंप्यूटर कीबोर्ड पर ‘F’ और ‘J’ बटन पर पाई जाने वाली लकीरें हमें नीचे देखे बिना सही बटन का पता लगाने में मदद करने के लिए डिजाइन की गई थी. उदाहरण के लिए अगर आप कीबोर्ड पर देखे बिना टाइप करते हैं तो आप डैश को छू कर पता लगा पाएंगे कि कौन-सा बटन कहां हैं. अगर हम इन दोनों डैश को बैलेंस कर सही इस्तेमाल करना सीख जाते है तो यह हमारी टाइपिंग स्पीड को बढ़ाता है और कीबोर्ड के इस्तेमाल को भी आसान बना देता है.
बीच की रो को होम रो key पोजिशन कहा जाता है. एक बार जब आप अपनी बाईं और दाईं उंगलियों को ‘F’ और ‘J’ कीज पर रखते हैं, तो बाकी कीबोर्ड तक का एक्सेस काफी आसान हो जाता है. दो उठी हुई keys पर अपनी उंगलियों के साथ – आपका बायां हाथ A, S, D और F को कवर करता है जबकि दायां हाथ J, K, L और कोलन को कवर करता है, और दोनों अंगूठे तब स्पेस बार पर रहते हैं.
बढ़ती है टाइपिंग स्पीड
अगर हम इन लाइन का इस्तेमाल करके अपने हाथों को सही ढंग से बैलेंस करते हैं, तो यह हमारी टाइपिंग स्पीड में भी सुधार करता है और इससे कीबोर्ड का इस्तेमाल करना आसान हो जाता है.