
दिवाली की शुभकामनाएं! दीपावली का पर्व न केवल दीपों की जगमगाहट और आतिशबाजियों की चमक का उत्सव है, बल्कि यह धन, समृद्धि और सुख-शांति की कामना का प्रतीक भी है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार, देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुईं थीं और उसी समुद्र से शंख भी निकला था, जो उनका भाई माना जाता है। इसलिए लक्ष्मी पूजा के दौरान शंख नहीं बजाया जाता, बल्कि भोंपू का प्रयोग किया जाता है।
शंख का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों में दो प्रकार के शंख बताए गए हैं — वामावर्ती और दक्षिणावर्ती शंख। दक्षिणावर्ती शंख को देवी लक्ष्मी का स्वरूप और उनका सगा भाई माना गया है। तंत्र शास्त्र में इसका विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि अगर इसे विधिपूर्वक घर में स्थापित किया जाए तो अपार धन की प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर होती है। इसीलिए दिवाली की रात में दक्षिणावर्ती शंख की पूजा से लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
दक्षिणावर्ती शंख के लाभ
शास्त्रों के अनुसार यह शंख राज-सम्मान, उच्च पद, संतान प्राप्ति और दीर्घायु का वरदान देता है। इससे शत्रु भय और दुर्भाग्य का नाश होता है। तिजोरी में रखने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और वास्तु दोष समाप्त होते हैं। इसमें जल भरकर छिड़कने से घर और व्यक्ति दोनों पवित्र होते हैं।
शंख पूजन विधि
दिवाली या शुक्रवार को लाल कपड़े पर शंख रखकर गंगाजल से शुद्ध करें। कुश आसन पर बैठकर मंत्र “ऊँ श्री लक्ष्मी सहोदराय नमः” की पांच माला जपें। इसके बाद श्री यंत्र, कौड़ी, गौमती चक्र, कमलगट्टा, गणेश-लक्ष्मी सिक्का आदि रखकर पूजा करें और अगले दिन तिजोरी में रखें। इससे लक्ष्मी स्थिर रहती हैं और धन की वर्षा होती है।
दिवाली 2025 के तीन शुभ मुहूर्त:
प्रदोष काल: शाम 05:46 से रात 08:18 बजे तक
वृषभ काल: शाम 07:08 से रात 09:03 बजे तक
सर्वोच्च मुहूर्त: शाम 07:08 से रात 08:18 बजे तक