
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन दौरे पर आते ही विदेशी मीडिया में उनके कार्यो की जमकर प्रशंसा हो रही है | इसमें गुलाम भारत के दौर में अंग्रेजो के योगदान के अलावा नए भारत की सोच और विकास के कार्यो को लेकर जमकर माथा -पच्ची हो रही है | ब्रिटेन में भारतीय प्रधानमंत्री की गूंज सुनाई दे रही है | जानकारों के मुताबिक PM मोदी की दो दिवसीय यह यात्रा भारत-ब्रिटेन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है | यह दौरा खासकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के जरिए द्विपक्षीय व्यापार को एक नई ऊंचाई देने की कोशिश है | पीएम मोदी इस बार अपनी चौथी ब्रिटेन यात्रा पर है, जबकि कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला ब्रिटेन दौरा है | लंदन पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत किया गया, जहां खासतौर पर भारतीय नागरिक उनके बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. लंदन का माहौल इस दौरान पूरी तरह ‘मोदीमय’ हो गया था, जहां भारतीय मूल के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया.

ब्रिटिश अखबारों और मीडिया में पीएम मोदी के ब्रिटेन दौरे की पुरानी तस्वीरों की चर्चा जोरों पर है | इसे खासतौर पर दिखाया जा रहा है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन से उनके जुड़ाव की कुछ पुरानी तस्वीरें लेकर लोग PM से मेल -मुलाकात के लिए खूब हाथ मार रहे है | हालांकि ‘मोदी आर्काइव’ ने 1993 के बाद की यात्राओं का ब्योरा साझा किया है, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के तौर पर ब्रिटेन गए थे. 1993 में उनका पहला ब्रिटेन दौरा भी कामयाब बताया जाता है | इस दौर में मोदी भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय राजनीति में एक उभरती हुई हस्ती के रूप में अपनी पहचान बना रहे थे | जानकरों के मुताबिक PM मोदी का पहली अमेरिकी यात्रा से लौटते वक्त अचानक ब्रिटेन जाना हुआ था, यहाँ वह कुछ समय रुके. न कोई तय कार्यक्रम था, न कोई भव्य मंच. यह बस अमेरिका से लौटते समय ब्रिटेन एक सहज, अनौपचारिक पड़ाव था |

मोदी के पहले ब्रिटेन के पड़ाव में भी उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय से जुड़ने का अवसर नहीं छोड़ा था | उन्होंने इस दौरान ‘सनराइज रेडियो’ और एक गुजराती अखबार जैसी सामुदायिक संस्थाओं का दौरा किया. उन्होंने क्रॉयडन और हेस्टिंग्स में कई परिवारों से मुलाकात की. यह अनौपचारिक बातचीत थी. लंदन अंडरग्राउंड में उन्होंने ब्रिटेन में रहने वाले आम भारतीयों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया. विदेश मामलो के जानकारों के मुताबिक अहम बात यह है कि वह जो बीज उस समय बोए गए, उन्होंने आने वाले दशकों तक भारत की प्रवासी कूटनीति को मजबूती दी |

पीएम मोदी का 1999 में दूसरी बार ब्रिटेन दौरा भी सुर्खियों में रहा है | इस दौर में जहाँ भाजपा जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही थी तो गुजरात में नरेंद्र मोदी भी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे थे | 1985 और 1995 के बीच पार्टी का जमीनी नेटवर्क एक से बढ़कर 16 हजार से ज्यादा ग्राम इकाइयों तक पहुंचा था. इसका फायदा 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला. उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे. गुजरात में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 26 में से 20 लोकसभा सीटें जीतीं. इस शानदार जीत के बाद 1999 में दूसरी बार ब्रिटेन दौरे पर गए थे. उनकी 5 दिवसीय ब्रिटेन यात्रा का केंद्र बिंदु नीसडेन के स्वामीनारायण स्कूल में आयोजित ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके) का ऐतिहासिक कार्यक्रम था. उस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी, “भाजपा राष्ट्रवाद और देशभक्ति का प्रतीक है.”

भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की दुनिया भर में प्रशंसा हो रही है | हालिया दौरे में भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और एनडीए के नीतिगत दृष्टिकोण पर ब्रिटेन में विस्तार से चर्चा जारी है | पूर्व के दौरों में नरेंद्र मोदी ने भाजपा को सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि परंपरा, धर्म, संस्कृति और आधुनिकता से जुड़ा हुआ एक आंदोलन बताया था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है. इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी का लोहाना महाजन समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया था, जहां उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारतीय सभ्यता के ‘सच्चे राजदूत’ कहा. सितंबर 2000 में भी नरेंद्र मोदी लंदन में एक छोटी यात्रा पर गए. कैरेबियन में विश्व हिंदू सम्मेलन और अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र शांति सम्मेलन की यात्रा पर जाते समय वो लंदन में ठहरे. ब्रिटेन की इस संक्षिप्त यात्रा में भी नरेंद्र मोदी ने एक अमिट छाप छोड़ी थी | फ़िलहाल ब्रिटेन और भारत के बीच नए व्यापार समझौतों पर मुहर लगना जारी है |