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‘माननीयों’, मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के खिलाफ मुकदमों के गवाहों को बिना मांगे सुरक्षा देने के निर्देश, सुप्रीम कोर्ट ने विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम के तहत शिकायतकर्ताओं और गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने की वकालत की

नई दिल्ली / सुप्रीम कोर्ट ने ‘माननीयों’ के मामलों में शिकायतकर्ता और गवाहों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाई है | वर्तमान व पूर्व सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ चल रहे प्रकरणों में गवाहों की सुरक्षा पक्की करने के निर्देश दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल अदालतों से कहा है कि ऐसे मामलों के गवाहों की तरफ से आवेदन नहीं किए जाने के बावजूद उन्हें गवाह संरक्षण योजना के तहत सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता व वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है | उपाध्याय ने माननीयों के खिलाफ मुकदमों के त्वरित निस्तारण की मांग की है।

शीर्ष अदालत ने ट्रायल अदालतों को गवाह संरक्षण योजना लागू करने के निर्देश पुख्ता तौर पर जारी करने के लिए कहा है | एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उसकी तरफ से स्वीकार की जा चुकी गवाह संरक्षण योजना, 2018 को केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को कड़ाई से लागू करना चाहिए। पीठ ने कहा, ऐसे मामलों में गवाहों के जोखिम को ध्यान में रखते हुए ट्रायल अदालत को इस योजना के तहत उन्हें सुरक्षा दे सकती हैं। इसके लिए गवाहों की तरफ से कोई आवेदन नहीं आने पर भी ऐसा किया जाना चाहिए।

अदालत ने यह तथ्य संज्ञान में लिया कि अधिकतर गवाह बयान देने के लिए संबंधित अदालतों के सामने पेश होने के इच्छुक नहीं होते। पीठ ने निर्देश दिया कि माननीयों से जुड़े मामलों में जनहित को ध्यान में रखते हुए गैर जरूरी स्थगन नहीं दिए जाने चाहिए। पीठ ने स्पष्ट किया कि वर्तमान याचिका पर दिए गए ये निर्देश सभी वर्तमान और पूर्व सांसदों व विधायकों के मामले में लागू होंगे।

अदालत ने केंद्र सरकार की तरफ से उपस्थित एडिशन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय और दिया है। तुषार मेहता से माननीयों के खिलाफ विशेष एजेंसियों की तरफ से की जा रही जांच से जुड़ी ताजा स्थिति रिपोर्ट जमा करने को लेकर जवाब मांगा गया है।

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हालांकि इसी मामले में पहले सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने एमिकस क्यूरी की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया की गवाहों को सुरक्षा देने की सलाह दरकिनार कर दी थी | हंसारिया ने विशेष अदालतों को माननीयों के खिलाफ मुकदमों के गवाहों को संरक्षण देने का निर्देश देने की सलाह पीठ को दी थी। लेकिन पीठ ने कहा था कि सांसदों व विधायकों के खिलाफ 4 हजार से ज्यादा मामलों में हजारों गवाह हैं और क्या इन सभी को सुरक्षा दे पाना संभव होगा? लेकिन अदालत के ताजा रुख से किसी को सुरक्षा हासिल करने के लिए आवेदन करना ही होगा। राज्य सरकार ऐसे गवाह और शिकायतकर्ताओं को सुरक्षा देने के लिए अब बाध्य होगी |

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