रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला सामने आने के बाद प्रवर्तन निर्देशालय ने अपनी जाँच को अंजाम की राह पर ले आया है। बताया जाता है कि हालिया छापेमारी से शराब का सरकारी और गैर सरकारी कारोबार ही ED के कब्जे में आ गया है, सिर्फ तस्दीक का दौर जारी है, इस बीच सुर्खियों में वो अधिकारी है, जो अभी तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गुड बुक में शामिल थे, लेकिन अपने दफ्तरों से लेकर मंत्रालय तक ऐसे अफसर ढूंढे नहीं मिल रहे है।
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बताते है कि उनकी तस्दीक के लिए अब छत्तीसगढ़ शासन को ही जाँच के दायरे में शामिल करने के आसार बढ़ गए है, फ़िलहाल राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर ED ने इसकी बानगी पेश कर दी है।
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राज्य में यह पहला मौका है, जब मुख्य सचिव कार्यालय को भी घेरे में लिया गया है, इसके पूर्व ED मंत्रालय में छापेमारी कर चुकी है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य कर्ता-धर्ता IAS अनिल टुटेजा और आबकारी विभाग के सचिव एपी त्रिपाठी, दोनों को ED कई बार तलब कर चुकि है, लेकिन वे अपने शासकीय कर्तव्यों का निर्वहन करने के बजाय एजेंसियों के चंगुल से छूट कर नौ-दो ग्यारह हो गए है। दोनों ही शासकीय अधिकारियो का गायब होना छत्तीसगढ़ शासन की छबि पर बट्टा लगा रहा है।
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बताते है कि दोनों ही अधिकारियों की संदिग्ध कार्यप्रणाली के चलते मुख्य सचिव का कार्यालय भी सवालों के घेरे में है। इसी की कड़ी के रूप में प्रशासन के जानकर इस समन की गंभीरता जाहिर कर रहे है।
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बताया जाता है कि समन सौपे जाने के बाद मंत्रालय में खलबली है, इसे शासन की मान मर्यादा की बहाली से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रशासनिक अनुभव रखने वाले वरिष्ठ अधिकारियो की दलील है कि राज्य गठन के इतने सालो बाद ऐसे शर्मनाक हालातो से छत्तीसगढ़ शासन को गुजरना पड़ रहा है।
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उनके मुताबिक संवैधानिक संस्थाओ की गरिमा हनन की स्थिति प्रदेश में इससे पूर्व कभी भी निर्मित नहीं हुई। मुख्य सचिव स्तर के चुनिंदा अधिकारियों ने इसके लिए पूर्व चीफ सेकेट्री विवेक ढांड की कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराया है।
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उनके मुताबिक कभी रेरा तो कभी आयोगों की कुर्सी पर बैठकर विवेक ढांड सरकारी मशीनरी को अपने हितो में बुरी तरह से प्रभावित कर रहे है। सूत्रों का दावा है कि ढांड के अभी भी प्रशासनिक हस्तक्षेप के चलते छत्तीसगढ़ शासन की स्थिति शर्मानाक हालत में पहुंच गई है, इससे संवैधानिक संस्थाओ की मन मर्यादाओ को गहरी ठेस पहुंच रही है। फ़िलहाल चीफ सेकेट्री कार्यालय द्वारा संदेही अधिकारियो को कब और कैसे समन की तामीली की जाएगी चर्चा का विषय बना हुआ है।