दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में डॉयल 112 सेवाओं के शुरू होते ही उसकी पोल भी खुल गई है। यह सेवा शुरुआत के दौर में ही अव्यवस्था से जूझ रही है। इसका खामियाजा शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों के पीड़ितों को भुगतना पड़ रहा है। ताजा मामला शुक्रवार का है, सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डायल 112 सेवा के लिए कॉल करने वालों का लोकेशन देने वाले सिस्टम ने अचानक काम करना बंद कर दिया था। नतीजतन, कॉल करने वालों का ना तो लोकेशन डॉयल 112 के कर्मचारियों को मिला और ना ही पीड़ितों को सुविधा मुहैया हो पाई। मामले की जांच की मांग की जा रही है। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक मामला संज्ञान में आने के बावजूद PHQ और सरकार मौन है।

उधर जानकार तस्दीक कर रहे है कि ये समस्या अगले 24 घंटों तक कायम रही। इस दौरान घटनास्थल तक ईआरवी भेजने में समस्या पैदा हुई थी। कुछ कर्मचारी यह भी तस्दीक कर रहे है कि आधुनिक तकनीक का अभाव होने से कमांड सेंटर को कॉल करने वालों तक पहुंचने में कठिनाई उठानी पड़ी। उन्हें इतने सवाल करने पड़ रहे थे कि मदद मांगने वाले भी पूरे समय परेशान होते रहे। जानकारों के मुताबिक PHQ स्तर पर बिना अनुभव वाली कंपनी को डायल 112 का ठेका सौंप दिया गया है। यह कंपनी केवल ईआरवी वाहनों के लिए ड्राइवर व अन्य मैनपॉवर सप्लाई करने का कार्य करती थी। लेकिन जोड़-तोड़ के साथ टेंडर हासिल करने में कामयाब रही।

बताया जाता है कि टाटा कंपनी के कार्य छोड़ने के बाद से डायल 112 का संचालन ABP नामक कंपनी को सौंप दिया गया है। एक शिकायत के मुताबिक इस कंपनी को आईटी और टेक्नीकल कार्य का अनुभव ही नहीं है, इसके बावजूद भी PHQ स्तर पर पूर्व प्रभावशील अधिकारियों ने गैर-जिम्मेदारी का परिचय देते हुए उसे इमरजेंसी सेवाओं के संचालन का ठेका सौंप दिया है। जानकारी के मुताबिक डायल 112 का संचालन करने वाली एबीपी कंपनी को प्रति माह बगैर किसी ठोस कार्य के लाखों का भुगतान किया जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि ठेका कंपनी ने खुद का सिस्टम स्थापित ना कर पीड़ितों के कॉल का लोकेशन देने का काम किसी अन्य दूसरी सॉफ्टवेयर कंपनी को पेटी कॉन्टेक्ट में सौंप दिया है।

जानकारों के मुताबिक पेटी कॉन्टेक्ट कंपनी और ABP के बीच लेन-देन का विवाद होने से सॉफ्टवेयर कंपनी के कर्मचारियों ने शुक्रवार को काम बंद कर दिया था। नतीजतन, डायल 112 की सेवाएं अचानक ठप हो गई। बताया जाता है कि सेवा शर्तों के विपरीत 112 का संचालन होने से गतिरोध कायम है। जबकि छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय से इमरजेंसी सेवाओं के लिए तुरंत भुगतान की व्यवस्था कायम है। छत्तीसगढ़ में शुरूआती दौर से ही डायल 112 का ठेका विवादों से घिरा रहा। नतीजतन, प्रदेश के गिने-चुने 16 जिलों में ही यह सुविधा मुहैया कराई जा सकी। पुलिस मुख्यालय में ठेके को लेकर हुई खींचतान के बीच करोड़ों के बजट से खरीदी गई ईआरवी, 200 से ज्यादा चौपहिया वाहन खड़े-खड़े जर्जर हो गए।

उसका इस्तेमाल नहीं होने से कई वाहनों के कबाड़ में तब्दील होने की जानकारी भी सामने आई हैं। पुलिस मुख्यालय में नए डीजीपी के रूप में अरुण देव गौतम तैनात है। उनकी आमद दरज होने के बाद पुलिस मुख्यालय की कार्यप्रणाली में चाक-चौकस सुधार की अपेक्षाएं की जा रही है। डायल 112 की सेवाएं पुलिस मुख्यालय को मुँह चिढ़ा रही है। कई वरिष्ठ अफसरों ने इन सेवाओं को लेकर चुप्पी साध ली तो कुछ ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर डायल 112 के ठेके को भ्रष्टाचार की भेट करार दिया। फ़िलहाल, इस प्रकरण को लेकर डीजीपी की प्रतिक्रियाएं नहीं प्राप्त हो सकी। इधर पीड़ित इस इमरजेंसी सेवा के सुचारु संचालन को लेकर दुविधा में नजर आ रहे है।