डायबिटिक रेटिनोपैथी: समय पर पहचान क्यों जरूरी है
डायबिटीज एक बार हो जाने पर जीवनभर साथ रहती है और इसके साथ कई अन्य समस्याएं भी आती हैं। डायबिटिक रेटिनोपैथी इन्हीं में से एक है, जो आंखों की रोशनी पर गंभीर असर डाल सकती है। इसमें रेटिना की नाज़ुक रक्त वाहिकाएं प्रभावित होती हैं, जिससे सूजन, रिसाव या ब्लॉकेज हो सकता है।
शुरुआत में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते, लेकिन समय के साथ फ्लोटर्स, धुंधली दृष्टि, आंखों के सामने अंधेरा छा जाना और रात में कम दिखना जैसे संकेत सामने आते हैं। यदि ब्लड शुगर लेवल लंबे समय तक नियंत्रण में न रहे, तो यह स्थायी अंधेपन का कारण भी बन सकता है।
किन्हें है ज्यादा खतरा
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोग, जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित है, 5-10 साल या उससे अधिक समय से डायबिटीज से जूझ रहे लोग, गर्भावस्था में डायबिटीज वाले मरीज, और हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल वाले व्यक्ति इसमें उच्च जोखिम समूह में आते हैं।
बचाव और देखभाल
डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना, नियमित आंखों की जांच कराना, और शुरुआती लक्षण दिखते ही नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करना। याद रखें, समय पर पहचान से इलाज आसान और प्रभावी हो जाता है।
