प्रदेश के कॉलेजेस में ऑनलाइन परीक्षा लिए जाने का आदेश छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग ने सोमवार को जारी कर दिया। अब इस आदेश को लेकर पेरेंट्स का मानना है कि स्कूली बच्चों को भी ऑनलाइन एग्जाम की सुविधा दी जानी चाहिए थी मगर सिर्फ कॉलेज के स्टूडेंट्स को छूट दी गई है।
छत्तीसगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल ने इस विषय को लेकर पिछले महीने उन्होंने छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय के काम से मुलाकात की थी। पत्र भेजकर यह मांग भी रखी थी कि स्कूली बच्चों की परीक्षा ऑनलाइन ली जाए। मगर इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा यह रहा कि फरवरी के आखिर और मार्च में बच्चों ने स्कूल जाकर अपनी परीक्षाएं दीं।
क्रिस्ट्रोफर पॉल ने बताया कि परीक्षा से कुछ दिन पहले ही उसको छत्तीसगढ़ में स्कूल खोले गए थे। बच्चों को साल भर ऑनलाइन क्लास लेकर ही पढ़ाया गया था, पिछले साल भी इसी तरह से क्लासेस ली गई थी मगर तब ऑनलाइन की एग्जाम लिए गए, परीक्षा में सुविधा दी गई थी। स्कूली बच्चों को ऑनलाइन एग्जाम की जरूरत ज्यादा थी मगर यह सुविधा उन्हें नहीं दी गई।
कोरोना के खतरे के बीच बच्चों ने दी परीक्षा
प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले पनेश त्रिवेदी ने बताया कि कोविड-19 का खतरा अब तक टला नहीं है। बावजूद इसके एग्जाम सेंटर में बुलाकर बच्चों ने एग्जाम लिए गए। जबकि बच्चों को वैक्सीन भी नहीं लग पा रही है। इस बीच ऑफलाइन एग्जाम लेना जोखिम से कम नहीं था। कॉलेज के स्टूडेंट्स को सुविधा दी गई अच्छी बात है लेकिन स्कूली बच्चों को इस तरह से नजरअंदाज करना यह रवैया ठीक नहीं लगा।
NSUI ने किया था विरोध प्रदर्शन
प्रदेश की कई युनिवर्सिटीज में NSUI ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करते हुए ऑनलाइन एग्जाम की मांग की थी। जबकि ऑफलाइन परीक्षा लेने के टाइम टेबल जारी हो चुके थे। 15 दिन पहले रायपुर के रविशंकर विश्व विद्यालय में भी ऐसा विरोध प्रदर्शन हुआ था। सिर्फ रविशंकर युनिवर्सिटी में ही इस बार हो रही परीक्षा में 1 लाख 82 हजार से अधिक स्टूडेंट्स शामिल होंगे। पूरे प्रदेश में करीब 2.50 लाख स्टूडेंट अब ऑनलाइन एग्जाम देंगे ।