नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। उनके इस्तीफे से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत ही सियासी उथल-पुथल से हुई।
धनखड़ का कार्यकाल और इस्तीफे की टाइमिंग
74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का कार्यभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक प्रस्तावित था। लेकिन अचानक इस्तीफे ने भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को चौंका दिया है। खास बात यह है कि वे राज्यसभा के सभापति भी थे, ऐसे में संसद संचालन में एक महत्वपूर्ण शून्य बन गया है।
छह महीने में होगा नया चुनाव
संविधान के मुताबिक, उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद 6 महीनों के भीतर नए चुनाव कराना अनिवार्य है। तब तक राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन सदन की कार्यवाही की जिम्मेदारी संभालेंगे।
NDA उम्मीदवार पर मंथन शुरू
भाजपा सूत्रों के अनुसार, एनडीए उपराष्ट्रपति पद के लिए जल्द ही एक विश्वसनीय और संतुलित चेहरा तय करेगा। पार्टी का लक्ष्य है कि उम्मीदवार “गैर-विवादास्पद, अनुभवी और संगठन से जुड़े” हों। संभावित नामों में शामिल हैं:
- हरिवंश नारायण सिंह (राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन, JDU सांसद)
- वरिष्ठ राज्यपाल जिनका कार्यकाल निकट भविष्य में समाप्त हो रहा है
- केंद्रीय मंत्री जिनकी छवि पार्टी में संतुलनकारी और स्पष्ट रही हो
हरिवंश बन सकते हैं मजबूत दावेदार
राजनीतिक गलियारों में सबसे ज़्यादा चर्चा हरिवंश को लेकर है। वे जनता दल (यूनाइटेड) से राज्यसभा सदस्य हैं और वर्तमान में उपसभापति के रूप में कार्यरत हैं। उनकी सरकार के साथ अच्छी तालमेल और संतुलित छवि उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए मजबूत दावेदार बनाती है।
तीसरे उपराष्ट्रपति जिन्होंने दिया इस्तीफा
जगदीप धनखड़ भारत के तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया है। उनसे पहले वीवी गिरि (1969) और आर. वेंकटरमण (1987) ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ा था।
आगे क्या?
अब भाजपा और एनडीए को सांविधानिक और राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए नया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार तय करना होगा। यह निर्णय न केवल राज्यसभा के संचालन, बल्कि भविष्य के राष्ट्रपति पद की राजनीति के लिए भी अहम साबित हो सकता है।
