नई दिल्ली / फर्जी कॉल सेंटर के जरिए धोखाधड़ी कर 4500 से ज्यादा नागरिकों को 1.40 करोड़ डॉलर अर्थात एक अरब रुपये से अधिक का चूना लगाया गया। अमेरिकी जाँच एजेंसियों की सूचना और देशी जाँच एजेंसियों की पड़ताल के बाद दिल्ली पुलिस ने इस कॉल सेंटर पर बोला है। उसने धोखाधड़ी के मामले में 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस के मुताबिक कॉल सेंटर में काम करने वाले लड़के लड़कियां सुनियोजित रूप से लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। वे पीड़ितों को यह कहकर अपनी गिरफ्त में लेते थे कि उनकी संपत्ति को ड्रग जांच के सिलसिले में फ्रीज किया जा रहा है। इसके बाद वे उस शख्स से रकम की मांग करते थे। संपत्ति बचाने के लिए पीड़ित इनके झांसे में आकर उनके खाते में रकम डाल दिया करते थे। पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, इस साजिश में शामिल आरोपियों द्वारा पीड़ितों को फोन कर कहा जाता था कि उनके बैंक खातों और संपत्तियों को जब्त कर दिया गया है।

ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि अमेरिका के कई प्रवर्तन एजेंसियों को मैक्सिको और कोलंबिया में ड्रग कार्टेल से जुड़े कई मामलों में उनके खातों की जानकारी मिली है। आरोपियों के जाल में अब तक 4,500 से अधिक अमेरिकी नागरिक फंसे हैं। इसमें कई भारतीय मूल के ग्रीन कार्ड होल्डर भी है। दिल्ली पुलिस और अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि पिछले दो सालों में इस तरह से करीब 14 मिलियन डॉलर अर्थात एक अरब रुपये से अधिक की धोखाधड़ी हुई है।

दिल्ली पुलिस के अधिकारी अयनेश रॉय के मुताबिक आरोपी पीड़ितों से कहते थे कि वे अपने खाते में जमा राशि के बराबर के मूल्य के बिटकॉइन और गूगल गिफ्ट कार्ड्स को खरीदें। इसके बाद इन बिटकॉइन और कार्ड्स को तथाकथित ‘सुरक्षित सरकारी वॉलेट’ में हस्तांतरित कर दिया जाता था, लेकिन यह तथाकथित ‘सुरक्षित सरकारी वॉलेट’ आरोपियों के ही होते थे। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि ये लोग पीड़ितों को फोनकर डराने के बाद उन्हें दो विकल्प चुनने को कहते थे। पहला विकल्प पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाना था और दूसरे के तौर पर उन्हें वैकल्पिक विवाद समाधान का विकल्प चुनने को कहा जाता था।
