काढ़ा अंदर कोरोना बाहर : मध्यप्रदेश में मामा का काढ़ा कारगर, जल्द ही कोविड-19 संक्रमण का आयुर्वेद से होगा उपचार, नतीजों पर आईसीएमआर ने भी लगाई मुहर, मामा के काढ़े की पंजाब और उत्तर प्रदेश में जबरदस्त मांग, दिया गया फार्मूला

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दिल्ली वेब डेस्क / मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मामा का काढ़ा फिट बैठा है | हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई इलाकों में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोगों को आयुर्वेदिक औषधियों से तैयार काढ़ा पिलाया था | कई लोगों ने इसका यह कहकर विरोध किया था कि यह काढ़ा नीम हकीम खतरे जान है | लेकिन वे ये भूल गए थे कि आयुर्वेदिक औषधियों का ना तो साइड इफेक्ट है और ना ही वो शरीर को नुकसान पहुँचाती है | लेकिन अब इस काढ़े की चर्चा देशभर में हो रही है | खबर है कि ICMR ने भी इस काढ़े पर अपनी मुहर लगा दी है |   

डा. जेएलएन शास्त्री ने जानकारी दी कि आयुर्वेदिक काढ़े पर 20 हजार 55 घंटे काम करके डा. भूषण पटवर्धन समेत अन्य के साथ गाइड लाइन तैयार कर ली गई है। आयुर्वेदिक पद्धति से कोविड-19 के संक्रमण का ईलाज करने का प्रोटोकॉल भी तैयार हो चुका है।

डा. शास्त्री बताते हैं कि इसमें आईसीएमआर, सीएसआर जैसी भारत सरकार की संस्था शामिल है। डा. शास्त्री इसको लेकर हुए विलंब के सवाल पर कहते हैं कि पहले तो आयुर्वेद या आयुष पद्धति से ही छुआछूत किया जा रहा था। लोग इसे कोविड-19 के संक्रमण के ईलाज से बाहर रख रहे थे। सरकार ने ही टास्क फोर्स बनाने में देर की। दो अप्रैल को इसके बारे में निर्णय लिया गया, इसके बाद युद्ध स्तर पर काम हुआ है। उनका दावा है कि आयुष पद्धति में कोविड-19 संक्रमण का कारगर ईलाज है। इसके प्रयोग से जल्द ही देश में सकारात्मक नतीजे में आएंगे। 

डा. जेएलएन शास्त्री ने कहा कि कुछ राज्य इसे दवा के रुप में अपनाने लगे हैं, लेकिन भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और आयुष पद्धति के विशेषज्ञों, आईसीएमआर तथा सीएसआर की निगरानी में अब इसके प्रमाणिक ईलाज पर मुहर लगने जा रही है।  जानकार बताते हैं कि आईसीएमआर के सहयोग से आयुष विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग कोविड-19 के संक्रमितों पर किया है। इसके बहुत उत्साहजनक नतीजे आए हैं। इसके बाद आईसीएमआर ने भी इस पर अपनी मुहर लगाई है। 

हालांकि कई लोगों ने पीने के बाद मामा के काढ़े को जबरदस्त बताया था | उन्होंने इसे संक्रमण से बचे रहने का उपाय भी माना | दरअसल कोरोना वायरस की अब तक वैक्सीन नहीं आने के चलते इसे वैकल्पिक डोज माना जा रहा है | बेहतर परिणामों के चलते कई राज्यों ने थक हार कर आयुर्वेद को अपनाना शुरू कर दिया। अहमदाबाद में पुलिस प्रशासन ने राजस्थान के चुरु शहर से कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए काढ़ा मंगवाया तो भीलवाड़ा के जिलाधिकारी और राजस्थान सरकार ने भी इसी तरह की पहल शुरू कर दी है।

पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी मध्य प्रदेश में बने आयुर्वेदिक काढ़े का जोर चल निकला है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता से केंद्र सरकार भी वाकिफ हुई है | केंद्रीय आयुष मंत्रालय की पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हस्तक्षेप करते हुए दो अप्रैल को डा. जेएलएन शास्त्री के नेतृत्व एक टास्क फोर्स का गठन किया था। टास्क फोर्स अब इसके पक्ष में है कि कोविड-19 संक्रमण का ईलाज आयुर्वेद की पद्धति से किया जाए। बताया जाता है कि श्री भंवर लाल दूगड़ विश्वभारती रसायनशाला ने सर्व ज्वरहर चूर्ण बनाया है। इसकी राजस्थान और गुजरात के अहमदाबाद में काफी मांग है। 

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चुरु जिले के गांधी विद्या मंदिर, सरदार शहर में स्थित इस रसायनशाला के चूर्ण को राजस्थान आयुर्वेद की मान्यता प्राप्त है। उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर रसायनशाला के अधिकारी इस चूर्ण को हर तरह के विषाणु (वायरस) से होने वाले ज्वर का नाशक बता रहे हैं। आयुष मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कई राज्य में इस तरह का अलग-अलग प्रयोग चल रहा है। माना जा रहा है कि इस ईलाज के कारगर रूप में सामने आने के बाद आप पूरी दुनिया में आयुष पद्धति का डंका बज सकता है। डा. जेएलएन शास्त्री कहते हैं कि कुछ घंटे इंतजार कीजिए। आपको खुद काफी कुछ पता चल जाएगा।