भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस को घोषित करो देश का पहला पीएम और धर्म परिवर्तन को देशद्रोह माना जाए, इन मांगों को लेकर धर्म संसद में एकजुट हुए साधु संत, कहा ‘देशभक्त’ मुसलमान परिवार का हिस्सा हैं…

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‘आनन्द शिल्पी’ लखनऊ ब्यूरो
प्रयागराज:- उत्तर प्रदेश में सियासी पारे की उछाल के बीच साधू संतों की हुंकार से माहौल गरमाया हुआ है. ये साधू संत देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना से ओतप्रोत नज़र आ रहे है. प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में आयोजित धर्म संसद से राजनीति गरमा गई है. धर्म संसद में संतों ने मांग की है कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए. इसके अलावा सुभाष चंद्र बोस को देश का पहला प्रधानमंत्री घोषित किया जाए. इन संतो ने यह भी मांग की कि धर्म परिवर्तन के लिए मौत की सजा दी जाए, इसे देशद्रोह के रूप में माना जाना चाहिए. संतों ने यह भी कहा कि ‘देशभक्त’ मुसलमान परिवार का हिस्सा हैं और उनके ‘घर वापसी’ अभियान को तेज करने की जरुरत है.

सम्मेलन के मुख्य अतिथि, सुमेरु पीठाधीश्वर, जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रनंद सरस्वती, ने कहा- ‘सरकार भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं कर सकती है, लेकिन सभी हिंदुओं को लिखना शुरू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश को हिंदू राष्ट्र करार देना चाहिए. ऐसा करने से, सरकार देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए मजबूर होगी. जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रनंद सरस्वती ने कहा कि इस्लामिक जिहाद मानवता और दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है. इसे कुचलने के लिए चीन की नीति अपनानी होगी.

उन्होंने कहा कि चीन की तरह प्रतिबंध लगाकर इसे रोका जा सकता है. ‘सनातनी’ हर किसी का निशाना है और इसके लिए जरूरी है कि देश में समान शिक्षा और समान न्याय की व्यवस्था लागू हो. उन्होंने यह भी मांग की कि हिंदू मठों और मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण को समाप्त करने की आवश्यकता है. अगर सरकार द्वारा मठों और मंदिरों का अधिग्रहण किया जा रहा है, तो मस्जिदों और चर्च का भी अधिग्रहण किया जाना चाहिए. जगद्गुरु ने कहा कि ‘मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हैं और उनके अल्पसंख्यक दर्जे को वापस लेने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए.’

जगद्गुरु ने कहा, ‘भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के जीवन को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए. धर्मांतरण को देशद्रोह की श्रेणी में रखकर मृत्युदंड का प्रावधान किया जाए.’ धर्म संसद में निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि, ‘हरिद्वार की धर्म संसद में जब धर्मगुरुओं ने अपनी सुरक्षा के लिए कुछ शब्द बोले तो उन्हें जेल में डाल दिया गया है, कहा गया कि इससे एक खास धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है, लेकिन जब तौकीर रजा बरेली में 20,000 की भीड़ इकट्ठी की और सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगला, कोई कार्रवाई नहीं हुई. क्या इससे हमारी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंची? उन्होंने यह भी कहा कि ओवैसी का धमकी भरा वीडियो जारी किया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.’

उन्होंने महामंडलेश्वर नरसिम्हनंद यति और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की रिहाई के लिए मेले में मौजूद संतों और भक्तों से सरकार को पत्र लिखने की अपील की. जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- राष्ट्र का कोई पिता नहीं हो सकता है. राष्ट्र का पुत्र हो सकता है, लेकिन राष्ट्रपिता नहीं. देश के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे, उनके नेतृत्व को स्वीकार किया गया था. ऐसे में उन्हें देश का पहला प्रधानमंत्री घोषित किया जाना चाहिए. इतिहासकारों ने देशवासियों के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं, जिससे आज की पीढ़ी भ्रमित है.

प्रयागराज संगम नगरी में 14 जनवरी से माघ मेला शुरू हो चुका है. 1 मार्च तक चलने वाले माघ मेले में हज़ारों कल्पवासी गंगा के तट पर निवासरत हैं. ज‍िला प्रशासन ने प्रमुख स्नान पर्व की तारीखों का ऐलान कर दिया है. माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को आरटी-पीसीआर र‍िपोर्ट जरूरी है. मेले में कोरोना गाइडलाइंस का सख्‍ती से पालन क‍िया जा रहा है. संगम नगरी में श्रद्धालुओं का वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है. इससे कोरोना का खौफ ख़त्म होता नजर आ रहा है. बेफिक्री के साथ गंगा में डुबकी लगा रहे है.