
भोपाल : – केंद्रीय जाँच एजेंसी सीबीआई ने हिरासत में मौत के मामले में फरार दो पुलिसकर्मियों की जानकारी देने पर 2-2 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है। दरअसल, पुलिस हिरासत में होने वाली प्रताड़ना और मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन के रवैये पर एतराज जताते हुए पुलिस अधीक्षक की कार्य प्रणाली को लेकर जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने आरोपी पुलिस अधिकारियो की अब तक गिरफ्तारी न होने पर सीबीआई को भी फ़ौरन कार्यवाही के निर्देश दिए थे। अदालत ने आरोपियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार करने का आदेश दिया है।केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मध्य प्रदेश के दो फरार पुलिसकर्मियों संजीव सिंह मवई और उत्तम सिंह कुशवाहा की जानकारी देने पर 2-2 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है।

मामला राज्य के गुना जिले के म्याना थाने का है। यहाँ पुलिस हिरासत में देवा पारधी नामक शख्स की पूछताछ के दौरान मौत का मामला सामने आया था। स्थानीय अधिकारियों ने बुधवार को न्यूज़ टुडे को जानकारी देते हुए बताया कि थाना प्रभारी संजीत सिंह मवई और उत्तम सिंह कुशवाहा सहायक उप निरीक्षक के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया है। उनके मुताबिक संदेही देवा पारधी को चोरी के आरोप में हिरासत में लिया गया था। पूछताछ के दौरान हिरासत में उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इस मामले में पहले ही उप निरीक्षक देवराज सिंह परिहार, निरीक्षक जुबैर खान और एक स्थानीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा चूका है, लेकिन निरीक्षक मवई और उपनिरीक्षक कुशवाहा अभी भी फरार हैं। उधर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से पुलिस मुख्यालय भी हरकत में आ गया है।

गुना के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक भी लपेटे में बताये जाते है। उनके खिलाफ अखिल भारतीय सेवा शर्तो के अनुरूप कार्य नहीं करने के चलते वैधानिक कार्यवाही की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हिरासत में मौत के मामलो को गंभीरता से लेने के फरमान जारी किये है। जानकारी के मुताबिक प्रकरण को लेकर कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस की जाँच को सीबीआई को सौंप दिया था।

यह भी बताया जाता है कि मृतक की पत्नी एवं अन्य रिश्तेदारों ने पुलिस अधिकारियो के रवैये को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने घटना की सीबीआई जाँच की मांग की थी। मृतक की मां का आरोप है कि पुलिस ने यातना देकर उनके बेटे की हत्या की है। जबकि पुलिस का दावा है कि मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है। कोर्ट ने घटना की जाँच के प्रत्येक पहलू पर अपनी निगाहें गड़ा दी है। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि अब तक इन दोनों पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है। इसके साथ कोर्ट ने चेतावनी भी दी कि अगर इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई तो पुलिस प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने पीड़ित की मां की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान एमपी पुलिस की साख पर भी सवाल उठाये थे। पीड़ित परिवार ने अवमानना याचिका में कहा था कि इसी साल 15 मई को कोर्ट के आदेश के बावजूद सीबीआई ने अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की है। जबकि जांच को अदालत ने मध्य प्रदेश पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया था। शीर्ष कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह एक महीने के भीतर दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करे। साथ ही यह भी चेतावनी दी कि अगर पीड़ित के इकलौते चश्मदीद गवाह गंगाराम को कुछ भी हुआ, तो एजेंसी को बख्शा नहीं जाएगा। गंगाराम इस समय न्यायिक हिरासत में हैं। देवा पारधी को उसके चाचा गंगाराम के साथ चोरी के आरोप में पकड़ा गया था। कोर्ट ने गंगाराम की सुरक्षा को लेकर कहा कि वह हिरासत में एक और मौत नहीं देखना चाहता।