
रायपुर/भिलाई। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) की फार्मेसी चौथे सेमेस्टर की परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। मामला परीक्षा केंद्र एमजे कॉलेज ऑफ फार्मेसी से जुड़ा है, जहां से पेपर लीक होने के बाद अब विश्वविद्यालय कड़ा रुख अपनाने की तैयारी में है।
सीएसवीटीयू का कहना है कि एमजे कॉलेज परीक्षाएं कराने के बुनियादी मानकों को भी पूरा नहीं कर पा रहा है। ऐसे में आगामी कार्यपरिषद बैठक में कॉलेज की संबद्धता रद्द करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। इस पूरे मामले की जानकारी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया को भी भेजी जाएगी।
कॉलेज ने दी सफाई, परीक्षा केंद्र बंद करने की मांग
एमजे कॉलेज प्रबंधन ने सीएसवीटीयू को अपना पक्ष भेजा है, जिसमें पेपर लीक और परीक्षा के दिन की मिनट-टू-मिनट जानकारी शामिल है। साथ ही, कॉलेज ने विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर अपना परीक्षा केंद्र बंद करने का निवेदन किया है, यह कहते हुए कि अधिक छात्र संख्या के कारण परीक्षा संचालन में दिक्कत आ रही है। इस पर सीएसवीटीयू ने सवाल उठाया है कि यदि कॉलेज परीक्षा कराने की जिम्मेदारी नहीं ले सकता, तो उसे संबद्धता रखने की जरूरत क्यों है।
गलत प्रश्नपत्र बंटने से मचा हड़कंप
11 अगस्त को फार्मेसी चौथे सेमेस्टर की मेडिशनल केमिस्ट्री की परीक्षा के दौरान कई छात्रों को 18 अगस्त को होने वाले फार्माकोलॉजी विषय का प्रश्नपत्र बांट दिया गया। पैकेट पर विषय कोड और नाम साफ लिखा होने के बावजूद न तो केंद्राध्यक्ष और न ही पर्यवेक्षक ने ध्यान दिया। परीक्षा कक्ष में छात्रों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद हड़बड़ी में गलत प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिकाएं वापस ली गईं। इस दौरान करीब 30 मिनट का समय बर्बाद हुआ। घटना के बाद सीएसवीटीयू ने 18 अगस्त की परीक्षा स्थगित करने का आदेश दिया।
विश्वविद्यालय से भी हो सकती है चूक
सूत्रों के मुताबिक, प्रश्नपत्र सीधे प्रिंटिंग यूनिट से विश्वविद्यालय पहुंचते हैं और परीक्षा से पहले इन्हें कॉलेजवार पैक किया जाता है। संभावना है कि इसी प्रक्रिया में गलत पैकेट शामिल हो गया हो। न तो विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग और न ही कॉलेज से आए फैकल्टी ने इसे जांचा। कुलसचिव ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और स्पष्ट किया है कि यदि विवि के कर्मचारी या अधिकारी दोषी पाए जाते हैं तो उन पर भी कार्रवाई होगी।
यह मामला अब सिर्फ एक कॉलेज की लापरवाही का नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की परीक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहा है।