रायपुर / मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि छतीसगढ़ की आदिवासी कामकाजी युवक,युवतियां कई राज्यों में फंसे हुए है | लेकिन उन्हें वापिस छत्तीसगढ़ लाने के लिए राज्य सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है | माकपा के मुताबिक कुछ युवतियों ने राजस्थान के अलवर से वीडियो बनाकर मदद की गुहार लगाई है | उन्हें लॉकडाउन लगने के बाद से वेतन नहीं मिला है | माकपा ने दावा किया है कि करीब 3 हजार आदिवासी दूसरे राज्य में फंसे हुए है | माकपा नेता संजय पराते ने बताया कि भाजपा सरकार के समय में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया था | जिसमें ट्रेनिंग के बाद नौकरी देने का मामला था न्यूनतम वेतन से अधिक वेतन पर ट्रेनिंग दी गई और पूरे राज्य में दी गई थी | इसकी ट्रेनिंग कांकेर में भी दी गई थी और इन तमाम आदिवासी लड़के और लड़कियों को पूरे देश भर में प्राइवेट कंपनियों के हाथों में दे दिया गया कि आप को नौकरियां दी जा रही है | उन्होंने कहा कि अगर लॉक डाउन नहीं होता तो यह मामला भी शायद सामने नहीं आता | उनके मुताबिक पूरे 3000 लोग छत्तीसगढ़ के अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं | इनमे अधिकांश लड़के और लड़कियां | सरकार की तरफ से किसी भी तरह की पहल नहीं की जा रही है, उन्होंने बताया कि 4 माह से इनको तनख्वा नहीं मिली है | पराते ने कहा कि आज ही उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है कल ही पूरा मामला सामने आया था |
संजय पराते ने कहा कि सरकारी योजना बनाकर बंधुआ मजदूरी में उनको भिजवा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 15 दिन के अंदर यह तमाम लोगों को वापस लाया जाए | इसके बावजूद भी सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है | बड़े अधिकारियों का कहना है कि हमने सरकार को सूचित किया है | जिम्मेदारी कंपनी की भी बनती है यह जिम्मेदारी सरकार की बनती है, उनको छत्तीसगढ़ में वापस लाया जाना चाहिए उनके पुनर्वास के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए |