मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने दिग्गज एक्टर नाना पाटेकर पर मीटू मूवमेंट के दौरान सैक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया था. इस मामले को लेकर तनुश्री ने मुंबई की एक कोर्ट में नाना पाटेकर समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था, जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेने से इनकार कर दिया. तनुश्री ने यह मामला, नाना पाटेकर को इस मामले में मिली राहत के विरोध में दर्ज करवाई थी. उन्होंने मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट का विरोध किया था.
कोर्ट को सबमिट की गई इस रिपोर्ट में दावा किया गया था तनश्री ने नाना पाटेकर के खिलाफ, जो एफआईआर दर्ज करवाई थी, वो झूठी और दुर्भावनापूर्ण थी. अंधेरी के एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने ‘मी टू’ मूवमेंट के दौरान तनुश्री दत्ता द्वारा नाना पाटेकर और तीन अन्य के खिलाफ दर्ज किए गए दो आपराधिक मामलों को निपटा दिया है. पहली एफआईआर 5 अक्टूबर 2018 को ओशिवारा पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी और दूसरी एफआईआर पांच दिन बाद दर्ज की गई थी. ये एफआईआर मार्च 2008 और अक्टूबर 2010 में हुई दो घटनाओं से संबंधित थीं.
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तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर, गणेश आचार्य, राकेश सारंग और अब्दुल सामी अब्दुल गनी सिद्दीकी पर हिंदी फिल्म ‘हॉर्न ओके प्लीज’ के सेट पर उनकी शील भंग करने और उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया था. ओशिवारा पुलिस की जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया और शिकायतें झूठी पाई गईं. पुलिस ने उसके अनुसार एक्शन लिया और केस बंद करने के लिए समरी रिपोर्ट जमा की थी.
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एनवी बंसल ने पहले मामले को क्लोज कर दिया. मजिस्ट्रेट ने कहा कि पुलिस ने समय सीमा समाप्त होने के बाद समरी रिपोर्ट दाखिल की थी. उन्होंने कहा कि तनुश्री ने 2018 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 और 509 के तहत 23 मार्च 2008 को हुई घटना पर एफआईआर दर्ज की थी. अपराध की समय सीमा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के अनुसार तीन साल है. दूसरी कथित घटना में तनुश्री ने अब्दुल सामी, अब्दुल गनी सिद्दीकी के खिलाफ मुख्य आरोप लगाए गए थे. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस मामले कोई दोषपूर्ण इरादा नहीं था और उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोई आधार नहीं था.