‘नरक में बनती हैं जोड़ियां स्वर्ग में नहीं’, हाईकोर्ट के जज साहब की तल्खी भरी टिप्पणी, पति पत्नी की दलीले सुनाने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने घरेलू विवाद-हिंसा और दहेज़ प्रताड़ना जैसे गंभीर मामलो के आरोपी पति को दी अग्रिम जमानत, तीस हजार की जमानत पर पति ने ली राहत की सांस…

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मुंबई:- घरेलू विवाद-हिंसा और दहेज़ प्रताड़ना जैसे गंभीर मामलो का आरोपी पति अपनी गिरफ्तारी के भय से छिपता फिर रहा था. उसने अपनी अग्रिम जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. केस डायरी और दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद कोर्ट ने पति को गिरफ्तारी से पहले जमानत देते हुए तल्ख़ टिप्पणी की है. दरअसल पत्नी ने पति पर मारपीट समेत दहेज की मांग करने का आरोप लगाया था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने घरेलू विवाद के इस मामले में सुनवाई के बाद आरोपी पति की अग्रिम जमानत स्वीकृत की. लेकिन कोर्ट ने जो टिप्पणी की वो गौरतलब है अदालत ने कहा कि ‘जोड़ियां स्वर्ग में नहीं, नरक में बनती हैं’.

हाईकोर्ट के जस्टिस सारंग कोतवाल की सिंगल बेंच ने पीड़ित पति की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता की पत्नी ने क्रूरता और दहेज की मांग करने का आरोप उस पर लगाया था. दोनों के बीच सम्बन्ध इतने खराब हो चुके थे की वे एक साथ रहने को तैयार नहीं थे. सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया की पति और पत्नी ने एक-दूसरे के खिलाफ क्रॉस शिकायतें दर्ज कराई हैं, इस पर जस्टिस एसवी कोतवाल ने आदेश में कहा, “एफआईआर से पता चलता है कि पति और पत्नी एक साथ नहीं रह सकते हैं. उनके बीच लगातार झगड़े होते थे.” ” मामले की सुनवाई के दौरान, जस्टिस कोतवाल ने यह भी टिप्पणी की थी कि “जोड़ियां स्वर्ग में नहीं, नरक में बनती हैं.”

बताया जाता है कि पत्नी ने दिसंबर 2021 में अपने पति के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में उसने आरोप लगाया था कि 2017 में उनकी शादी के दौरान पति का परिवार अपने घर के हर सदस्य के लिए एक सोने का सिक्का चाहता था. चूंकि महिला का परिवार मांग को पूरा नहीं कर सका, इसलिए ससुरालवाले उसे को परेशान करने लगे. पीड़ित पत्नी ने दावा किया कि उसने अपने पति को फ्लैट खरीदने के लिए 13,50,000 रुपये दिए थे. इस फ़्लैट में यह दंपति अपने 3 साल के बेटे के साथ रहते थे. उसने यह भी आरोप लगाया कि पति ने उस पर मारपीट के झूठे आरोप लगाए. यह दिखाने के लिए पति ने खुद पर कुछ घाव किए और लोगों को बताया की पत्नी ने उसके साथ मारपीट की थी.

वहीं दूसरी ओर पति का आरोप यह था कि उसने फ्लैट के लिए 90,00,00 रुपये का लोन लिया था. उसने बताया कि शादी के बाद वह अपनी पत्नी को घुमाने फिराने के लिए मॉरीशस ले गया था. यहाँ उसे एक महंगा सेल फोन भी गिफ्ट में दिया था. उसने कुछ वॉट्सएप चैट के जरिए अदालत को बताया कि कैसे उसे पत्नी द्वारा लगातार परेशान कर रही थी. पति ने आरोप लगाया कि पत्नी के खिलाफ उसने एक शिकायत दर्ज कराई थी, और जवाब स्वरूप पत्नी ने भी पति पर झूठा केस दर्ज करा दिया. 

जस्टिस  कोतवाल ने कहा, दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि पति की हिरासत से इस मुद्दे का हल नहीं होगा. जांच के उद्देश्य से भी पुरुष से हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है. उसे जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने के लिए कहा जा सकता है. दोनों पक्षों के आरोप और जवाबी आरोप हैं, जिनका फैसला केवल सुनवाई के दौरान ही किया जा सकता है. लिहाजा उन्होंने पुलिस को निर्देश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में पति को एक या अधिक जमानतदारों के साथ 30,000 रुपये के मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाए.