
भोपाल / रायपुर : – मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जानलेवा साबित हुए कफ सिरप ने केंद्र सरकार को भी झकझोर दिया है। देश के कई राज्यों में कफ सिरप की गुणवत्ता की जाँच की मांग शुरू हो गई है। इन राज्यों में कई दवा कंपनियां नए – नए नामों से कफ सिरप की सप्लाई कर रही है। सस्ते नशे के रूप में इस्तेमाल किये जाने के चलते ऐसे कंपनियों को मरीजों के अलावा आम नशेड़ियों से भी मोटी कमाई हो रही है। कारोबारी तस्दीक कर रहे है कि छत्तीसगढ़ जैसे कम आबादी वाले राज्य में सालाना ढाई हजार करोड़ से ज्यादा का कफ सिरप बिक जाता है। जबकि सर्दी – खासी में उपयोग आने वाली दवाएं बमुश्किल एक हजार करोड़ का ही कारोबार कर पाती है। उधर मध्य प्रदेश और राजस्थान में जानलेवा कफ सिरप बनाने वाली कम्पनी को बैन कर दिया गया है। छिंदवाड़ा में एक डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि मरने वाले 11 बच्चों के परिजनों को राज्य सरकार ने 4 लाख के मुआवज़े की घोषणा की है। उधर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, स्वास्थ्य सचिवों और औषधि नियंत्रकों के साथ कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग और दवाओं की गुणवत्ता पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक करने की तैयारी कर ली है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दी जाए। वहीं पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सिरप का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह, सीमित मात्रा और सावधानी के साथ किया जाए। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए नुकसानदेह दवाओं पर अब चेतावनी लेबल लगाना अनिवार्य होगा। मामले में तेलंगाना सरकार की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कोल्ड्रिफ सिरप के इस बैच में डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) नाम का जहरीला रसायन मिला है, जो शरीर के गुर्दों (किडनी) को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और जानलेवा साबित हो सकता है। इसी कारण तेलंगाना में इस सिरप को लेकर लोगों को उपयोग तुरंत बंद करने की चेतावनी दी गई है।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के चलते हुए बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ आज शाम में बैठक करने जा रही है। इस बैठक में दवाओं के गुणवत्ता को लेकर अहम फैसले लिए जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, रविवार शाम चार बजे केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों, स्वास्थ्य सचिवों और औषधि नियंत्रकों के साथ कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग और दवाओं की गुणवत्ता पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक करने वाले हैं।

कफ सिरप के अलावा ऐसे ही अन्य सिरप की गुणवत्ता को लेकर भी कोहराम मच रहा है। इनमे से एक ‘कोल्ड्रिफ’ पर CDSCO का रुख सख्त नजर आ रहा है। तमिलनाडु ने इस सिलसिले में एफडीए से कार्रवाई की गुहार लगाई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने सरेशान फार्मास्यूटिकल्स की तरफ से बनाई गई खांसी की दवा कोल्ड्रिफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। यह कदम उस समय उठाया गया जब कई बच्चे इस दवा पीने के बाद मृत पाए गए। सीडीएससीओ तमिलनाडु के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को पत्र लिखकर कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए कहा है। मृत बच्चों में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, राजस्थान और महाराष्ट्र के बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा केरल और तेलंगाना ने भी इस दवा का उपयोग रोकने के लिए जनता को चेतावनी जारी की है।

दवा बाजार से मिली जानकारी के मुताबिक अब कफ सिरप का उत्पादन करने वाली कंपनी पर भी कार्यवाही की तलवार लटक गई है। राज्य सरकार के अलावा केंद्र सरकार भी कफ सिरप का उत्पादन करने वाली कंपनी पर सख्य कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) तमिलनाडु एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) को ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप निर्माता के खिलाफ सबसे गंभीर अपराधों के तहत सख्त कार्रवाई करने के लिए विचार कर रहा है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में उन फैक्ट्रियों की जांच शुरू कर दी है जहां से संदिग्ध दवाएं बनी थीं। बता दें कि मामले में सीडीएससीओ ने 19 दवाओं के सैंपल इकट्ठे किए हैं, जिनमें खांसी की सिरप, एंटीबायोटिक और बुखार की दवाएं शामिल हैं।

मध्य प्रदेश में नेक्स्ट्रो डीएस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध
मध्य प्रदेश में एक और कंपनी नेक्स्ट्रो डीएस के खांसी की दवा के नमूनों की जांच अभी चल रही है। कुल 19 नमूने लिए गए हैं, जिनमें सिरप, एंटीबायोटिक, बुखार की दवा और ओन्डान्सेट्रॉन शामिल हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने तुरंत कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो डीएस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसी कंपनी के अन्य उत्पादों की बिक्री भी रोक दी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस प्रतिबंध की घोषणा की है, जबकि पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ में कफ सिरप की जाँच को लेकर कोई पहल अभी तक सामने नहीं आई है।