रायपुर: छत्तीसगढ़ में मरीजों की जान जोखिम में नजर आने लगी है। दरअसल, विभाग में इसी वर्ष लगभग 500 करोड़ की दवाओं और उपकरणों की खरीद-फरोख्त जारी है, इसके टेंडर भी सुर्ख़ियों में है। स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आने वाले छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के द्वारा रीजेंट एवं अन्य सामग्री की खरीदी के लिए जारी विभिन्न निविदा-टेंडर को मैनेज कर एक कंपनी विशेष को लाभ पहुंचाने से जुड़ी कवायत सामने आई है। बताया जा रहा है कि टेंडर क्र. 233, 234, 235, 237, 238 में एक अधिकृत सप्लायर को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य प्रशासन के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के नियमों का उल्लंघन करते हुए आखिरी समय टेंडर नियमों में बदलाव कर दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक कमीशनखोरी के बड़े खेल के चलते निविदा समिति के सदस्यों को आखिरी समय तक नियमों में बदलाव की जानकारी नहीं दी गई थी। टेंडर जारी होने के बाद विभाग में बवाल मचा है। बताया जाता है कि अधिकारियों के एक समूह ने शासन द्वारा जारी आदेश का पालन करते हुए नियमों के तहत पारदर्शितापूर्ण निविदा-टेंडर जारी करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सीजीएमएससी में पदस्थ प्रभावशील अधिकारियों ने एक कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए नया फरमान जारी कर दिया था।
इसके तहत सेवा शर्तों में हुए बदलाव से उन कंपनियों को फायदा पहुंचाने की रूप-रेखा तय की गई है, जो नियमों के तहत प्रतियोगिता से बाहर ही नहीं बल्कि अयोग्य हो गई थी। जानकारी के मुताबिक सीजीएमएससी में शासकीय खरीदी में मूल निर्माता OEM (original Equipment Manufacturer) कंपनियों से ही सामग्रीय क्रय करने के आदेश शासन द्वारा जारी किये गए है। लेकिन कतिपय अधिकारियों की कार्यप्रणाली से अब ऐसी कंपनियों को भी निविदा-टेंडर में शामिल होने के मौका दिया गया है, जो मूल निर्माता कंपनियों से दवाओं और उपकरणों की खरीदी कर उसकी आपूर्ति स्वास्थ्य विभाग को करेंगे। इसके चलते मूल निर्माता कंपनियों का माल ऊंची कीमत पर CGMSC में खपाया जायेगा। जबकि सीधे कंपनी से रियायती दरों पर दवाओं और उपकरणों की खरीदी से सरकार के खर्चों में कमी आएगी।
बताते है कि नियमों में बदलाव से छत्तीसगढ़ शासन की तिजोरी पर 50 करोड़ से ज्यादा की चपत लगने के आसार बढ़ गए है। कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के मामले में पूरा स्वास्थ्य महकमा सुर्ख़ियों में है। CGMSC में दवाओं और उपकरणों की खरीदी-आपूर्ति के मामलों में स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक आखिरी समय में तय नियमों के विपरीत निविदा-टेंडर में बदलाव के खिलाफ कई कंपनियों ने आवाज उठाई है।
एक शिकायत में कहा गया है कि CGMSC में बड़े पैमाने पर सुनियोजीत भ्रष्टाचार जारी है। लाइसेंसी/अधिकृत डीलर को निविदा में भाग लेने के लिए मान्य किया गया था। लेकिन सीजीएमएससी ने अपने स्तर में निविदा समिति के नियमों में बदलाव कर दिया।
ऐसे मामलों में शासन द्वारा भी किसी भी संशोधन को गैर-क़ानूनी करार दिया है। लेकिन निविदा समिति की आपत्ति के बाद भी प्रक्रिया शुरू की जाने को बड़े घोटाले की तैयारी से जोड़ कर देखा जा रहा है। शिकायत के मुताबिक मोटे कमीशन के मद्देनजर नियमों में बदलाव के मामले को स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया था।
इसके बाद टेंडर निविदा में किसी भी तरह का संशोधन ना करने का आदेश जी.एम. टेक्निकल ने एक पत्र के माध्यम से जारी किया है। लेकिन CGMSC में उस आदेश को भी दरकिनार कर टेंडर-निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है। फ़िलहाल, शिकायतकर्ताओं ने राज्य सरकार का ध्यान इस ओर दिलाते हुए वैधानिक कार्यवाही की मांग की है। उधर इस मामले को लेकर न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने CGMSC के अधिकारियों की प्रतिक्रिया लेनी चाही। लेकिन कोई प्रतिउत्तर प्राप्त नहीं हुआ।