छत्तीसगढ़ में कोरोना से ज्यादा भ्रष्ट्राचार बेलगाम , पीएचई में सरकारी धन की बंदरबांट वाली योजना को ऊपर से संरक्षण का दावा , बैक डेट में रातों रात तैयार हो रहा है खास कंपनियों को फ़ायदा पहुंचाने वाला स्पेशिफिकेशन , आदिवासियों के मूलभूत अधिकारों पर भ्रष्ट्राचार का वार 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में कोरोना की रफ़्तार जोरों पर है | लेकिन उससे कहीं तेज गति से भ्रष्ट्राचार अपने नए रिकार्ड बना रहा है | अफसरों की कार्यप्रणाली से ऐसा लगने लगा है जैसे भ्रष्ट्राचार को प्रोत्साहन देना कांग्रेस सरकार की नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है | ईमानदार को प्रोत्साहन नहीं और बेईमान को दंड नहीं | यही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार का नारा बनता जा रहा है | मामला आदिवासियों और आम जनता को समुचित जल उपलब्ध कराने वाली लगभग 15 हजार करोड़ की नल-जल योजना से जुड़ा है | इस योजना पर भ्रष्ट्राचार का साया मंडराने से उसकी कामयाबी पर अभी से सवालियां निशान लगने लगा है | दरअसल  खास कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए अपनी चर्चित कार्यप्रणाली के लिए कुख्यात कुछ अफसर रातों रात स्पेशिफिकेशन तैयार करने में जुटे है | ये स्पेशिफिकेशन बैक डेट पर तैयार कर निविदा-टेंडर में लागू किये गए | ताकि उन्ही कंपनियों से सामानों की आपूर्ति की जा सके , जिससे अफसरों ने सांठगांठ की है | 

सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि बैक डेट में तैयार स्पेशिफिकेशन पर साइन करने के लिए पीएचई के कई जिम्मेदार अफसरों ने इंकार कर दिया है | लेकिन अब उन पर दबाव बनाया गया है कि साइन ना करने पर उन्हें “इधर से उधर” करने में कोई कसर छोड़ी नहीं जाएगी | दरअसल इन अफसरों को यह कहकर धमकी दी जा रही है कि ऊपर से ऑर्डर आया है ,  आप देख ले | राज्य में नल जल योजना में करीब 10 हजार करोड़ के विभिन्न किस्म के पंप और वॉटर सप्लाई पाइप की खरीदी की जानी है | जबकि शेष पांच हजार करोड़ की रकम भी अन्य विकास कार्यों में खर्च होगी | लिहाजा पीएचई विभाग के कुछ अफसरों ने लोक कल्याण के लिए खर्च की जाने वाली इस रकम का बड़ा हिस्सा स्वकल्याण की मद में डालने का ब्यौरा तैयार किया है | इसे क्रियान्वित करने के लिए पीएचई विभाग ने विवादित टेंडर-निविदा प्रक्रिया को अंजाम दिया है | बताया जाता है कि खास कपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके अनुसार  स्पेशिफिकेशन तैयार किये गए है | इन्हे रातों रात तैयार कर बैक डेट में साइन करने लिए जिलों में तैनात अफसरों को भेजा जा रहा है | उधर कई अफसर इस विवादित प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहते , इसलिए वे इस  स्पेशिफिकेशन पर अपने हस्ताक्षर करने से आनाकानी कर रहे है | बैक डेट में तैयार इस स्पेशिफिकेशन को ज्यादातर अफसरो ने रिजेक्ट करने का मन बना लिया है  | 

दरअसल उन्हें इस बात का  अंदेशा है कि भविष्य में यह  स्पेशिफिकेशन उनके गले की फ़ांस बन जायेगा | बैक डेट में विवादित शर्तो को मंजूरी देने में उन्हें वैधानिक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है | दरअसल अफसर इसलिए भी डर रहे है कि  यदि सरकारी धन के अपव्यय और भ्रष्ट्राचार की जांच हुई तो बैक डेट पर तैयार  स्पेशिफिकेशन पर साइन  करने वाले अफसर पहले लपेटे में आएंगे | राज्य का  EOW हो या फिर केंद्रीय विजिलेंस या सीबीआई , भ्रष्ट्राचार के मामलों में शुरुआती कारवाई नीचे के सिरे से शुरू होना लाजमी बताई जा रही है | आरटीआई एक्टिविस्ट मुकेश कुमार के मुताबिक केंद्र सरकार और राज्य सरकार के आर्थिक सहयोग से संचालित होने वाली छत्तीसगढ़ की इस महती नल जल योजना में भ्रष्ट्राचार के नींव रखने की शिकायत केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय और केंद्रीय जांच एजेंसियों से भी की गई है | 

छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए गुणवत्ता वाली पाइप लाइन बिछाने और क्लोरीन पंप समेत अन्य जल प्रदाय पंप स्थापित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने बड़ी योजना को मंजूरी दी है | इस योजना से राज्य की एक बड़ी आबादी को शुद्ध जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकेगा | यही नहीं बस्तर और सरगुजा समेत अन्य आदिवासी इलाकों में जहां आजादी के बाद से लेकर अब तक पाइप लाइन बिछाने और जलापूर्ति करने की योजना नहीं पहुँच पाई है , ऐसे इलाकों में भी इस योजना से पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा | हालांकि राज्य में इस महती योजना के क्रियान्वयन पर अभी से भ्रष्ट्राचार का साया मंडराने लगा है | कुछ अफसर अपनी गैर जिम्मेदराना कार्यप्रणाली कापरिचय देते हुए गुणवत्ता विहीन वॉटर पंप , क्लोरीन पंप और विभिन्न किस्म के पाइप बाजार भाव से चार गुनी अधिक कीमत पर खरीदने की रणनीति को अंजाम दे चुके है | इसके लिए उन्होंने काफी सोच समझकर ऐसा स्पेशिफिकेशन तैयार किया है , जिससे  उनसे सांठगाठ वाली कंपनियों को ही फायदा पहुंच सके | बताया जाता है कि खुले बाजार में अच्छी गुणवत्ता का वही वॉटर पंप , क्लोरीन पंप और विभिन्न किस्म के पाइप काफी सस्ती दर पर उपलब्ध है | लेकिन उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर मोटा कमीशन देने वालों को ही विभाग में इंपैनल्मेंट किया जा रहा है | 

टेंडर-निविदा को जनता के फायदे के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे की सोच रखकर अफसर इस योजना को अंजाम दे रहे है | घटिया पाइप लाइन बिछाने और वॉटर पंप  स्थापित करने से इस योजना की सिर्फ खाना पूर्ति होगी लेकिन आम आदमी को नल जल योजना से लाभान्वित होने का मौका नहीं मिल पायेगा | सरकार को इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा | बताया जाता है कि बैक डेट में तैयार स्पेशिफिकेशन  से कुछ खास कम्पनियों को करोड़ों का फायदा होगा | लेकिन यह उन लाखों आदिवासियों के मुंह पर सीधा तमाचा होगा जो कई वर्षो से शुद्ध पयेजल की राह तक रहे है | यह उनका मूलभूत अधिकार भी  है | 

जानकारी के मुताबिक झंवर-अग्रवाल नामक दो विभागीय दलाल इन दिनों जोर-शोर के साथ उन कंपनियों के साथ डीलिंग में जुटे है , जो सामानों की आपूर्ति में पीएचई विभाग में इम्पैनल्ड  की जा रही है | इनमे से एक अग्रवाल नामक दलाल हॉर्टीकल्चर माफिया के नाम से कुख्यात है | जबकि झंवर नामक शख्स के अवैधनिक कार्यों के चलते ही पीएचई विभाग के तत्कालीन ईई और मौजूदा ईएनसी को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने निलंबित किया था | यह भी दिलचस्प है कि इसी सरकार के पीएचई मंत्री के निर्देश पर निलंबित ईई को सीधे बहाल कर पीएचई विभाग का ईएनसी बना दिया गया | इस हैरत अंगेज कारनामे को अंजाम देते वक्त राज्य सरकार ने भी निहित कायदे कानूनों का कोई पालन नहीं किया | जानकारी के मुताबिक मौजूदा ईएनसी का आरोप पत्र रद्दी की टोकरी में डालकर उनकी ईएनसी के पद पर सीधे बहाली की गई | इस प्रकरण से साफ़ हो रहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्ट्राचार को प्रोत्साहन सरकार की प्राथमिकता और नीति में शामिल है |