कोरोना ने लील लिया संसद का शीतकालीन सत्र, ज्यादातर सांसदों ने संक्रमण से बचने के लिए शीतकालीन सत्र को टालने की लगाई गुहार, अब सीधे जनवरी में शुरू होगा बजट सत्र, कई राज्यों ने भी विधानसभा का शीतकालीन सत्र किया स्थगित

0
4

नई दिल्ली / दिल्ली समेत दर्जन भर राज्यों में कोरोना का कहर अब भी जारी है। देश भर के ज्यादातर सांसद दिल्ली से खौफ खा रहे है। उन्होंने मौजूदा दौर में दिल्ली से किनारा करना ही मुनासिब समझा है। इन सांसदों ने शीतकालीन सत्रों को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए है। लिहाजा सरकार ने भी शीतकालीन सत्र को रद्द कर दिया है। अब जनवरी माह में सीधे बजट सत्र की शुरुआत होगी। माना जा रहा है कि इस अवधि में कोरोना वैक्सीन देश में उपलब्ध हो जाएगी। दरअसल कोरोना वायरस महामारी और कृषि कानून को लेकर जारी किसानों के आंदोलन के बीच संसद सत्र के जल्द ही शुरू होने के आसार नजर आ रहे थे। लेकिन संक्रमण ने इस पर पानी फेर दिया है।

केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी को लिखे पत्र के अनुसार, सरकार जनवरी से बजट सत्र को शुरू कर सकती है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को लिखे एक पत्र में केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘सर्दियों का महीना कोविड-19 के प्रबंधन के लिहाज से बेहद अहम है क्योंकि इसी दौरान कोरोना के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है, खासकर दिल्ली में। अभी हम दिसंबर मध्य में हैं और कोरोना का टीका जल्द आने की उम्मीद है।’

जोशी ने कहा कि उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से संपर्क स्थापित किया था। ‘उन्होंने भी महामारी पर चिंता जताते हुए शीतकालीन सत्र से बचने की सलाह दी है।’ जोशी ने पत्र में लिखा, ‘सरकार संसद के आगामी सत्र की बैठक जल्द बुलाना चाहती है। कोरोना महामारी से पैदा हुई अभूतपूर्व स्थिति को ध्यान में रखते हुए बजट सत्र की बैठक 2021 की जनवरी में बुलाना उपयुक्त होगा।’

ये भी पढ़े : बड़ी खबर : कोरोना वायरस के खात्मे के लिए यूवी-एलईडी बल्ब का इस्तेमाल, वैज्ञानिकों का दावा – वायरस का कर सकता है खात्मा

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते इस साल संसद का मानसून सत्र देरी से आरंभ हुआ था। जोशी ने इस सत्र की उत्पादकता को लेकर सभी दलों के सहयोग की सराहना की थी। संसद का शीतकालीन सत्र सामान्यत: नवंबर के आखिरी या दिसंबर के पहले सप्ताह में आरंभ होता है। लेकिन अब यह रद्द माना जा रहा है।

संवैधानिक व्यवस्थाओं के मुताबिक संसद के दो सत्रों की बैठक के बीच छह महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। बहरहाल, संसद के एक साल में तीन- बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र की बैठक बुलाए जाने की परंपरा रही है। शीतकालीन सत्र के रद्द होने की खबर से सांसदों ने राहत की सांस ली है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते कुछ सांसदों की मौत भी हुई है। उधर शीतकालीन सत्र सिर्फ संसद का ही रद्द नहीं हुआ है, कई राज्यों में विधानसभा का शीतकालीन सत्र या तो रद्द कर दिया गया है, या फिर उसकी अवधि बेहद कम कर दी गई है। इसका मकसद विधायकों और सरकारी स्टाफ को संक्रमण से बचाना है।